ETV Bharat / city

NIA के मानद विश्वविद्यालय बनने से होंगे बेहतर शोध कार्य : CM गहलोत - Deemed university

प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश के प्रतिष्ठित जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को मानद विश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) का दर्जा मिलने से अब संस्थान अपनी जरूरत के हिसाब से सिलेबस तैयार कर सकेगा. साथ ही साथ बेहतर शोध कार्य होंगे, जिसका लाभ आयुर्वेद के विकास में मिलेगा.

सीएम अशोक गहलोत  मानद विश्वविद्यालय  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  शोध कार्य  डीम्ड यूनिवर्सिटी  आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान  jaipur latest news  rajasthan latest news  National Ayurved Institute  CM Ashok Gehlot  Honorary university  Prime Minister Narendra Modi
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को मानद विश्वविद्यालय का मिला दर्जा
author img

By

Published : Nov 13, 2020, 9:08 PM IST

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती पर शुक्रवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर को मानद विश्वविद्यालय के रूप में और जामनगर (गुजरात) के आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम के दौरान वीसी के माध्यम से संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 175 साल पहले इस संस्थान की शुरूआत साल 1845 में बाईजी के मंदिर, जयपुर में हुई थी. साल 1946 में इसे राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बनाया गया था. साल 1976 में भारत सरकार ने इस संस्थान को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का दर्जा दिया. इस प्रतिष्ठित संस्थान को आज डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है, इसके लिए मैं केन्द्र सरकार का धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने साल 2003 में जोधपुर में सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्ण आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की. यह गुजरात के जामनगर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बाद देश का दूसरा आयुर्वेद विश्वविद्यालय है.

यह भी पढ़ें: राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया खोले के हनुमान जी मंदिर की वेबसाइट का लोकार्पण

प्रदेश में 10 आयुर्वेद, 10 होम्योपैथी, 3 यूनानी और 7 योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय इससे संबद्ध हैं. प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जड़ी बूटियां मिलती हैं. इन जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने साल 2002 में स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड का गठन किया. साल 2004 में अजमेर में आयुर्वेद औषधि परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई. साल 2010 में होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए अलग से होम्योपैथिक निदेशालय तथा यूनानी को बढ़ावा देने यूनानी निदेशालय स्थापित किया गया.

साल 2013 में देश में पहली बार राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग परिषद का गठन किया गया, ताकि आयुर्वेद नर्सिंग सेवा को विधिक मान्यता दी जा सके. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय आयुष मंत्रालय को ड्रग एंड काॅस्मेटिक एक्ट- 1940 में संशोधन कर आयुर्वेद स्टोर संचालन में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता लागू करने, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद् को वैधानिक दर्जा देने के लिए केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का गठन करने और केन्द्रीय आयुष नर्सिंग परिषद की स्थापना करने के संबंध में सुझाव दिए. उन्होंने राजस्थान को राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत विशेष दर्जा देने की मांग भी रखी.

यह भी पढ़ें: भाजपा में भी 'परिवारवाद' की छाया, केंद्रीय मंत्री के पुत्र से लेकर पूर्व विधायक तक चुनाव मैदान में

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में नाडी विज्ञान का काफी महत्व है. ऐसे में इसका अधिक से अधिक प्रसार किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्रों को वैलनेस सेंटर्स के रूप में स्थापित किए जाने पर जोर दिया. ताकि आवश्यक आयुर्वेदिक दिनचर्या, ऋतुचर्या, वनौषधि संरक्षण आदि के बारे में आमजन को परामर्श मिल सके. इस अवसर पर केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डाॅ. ट्रेडाॅस, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के निदेशक संजीव शर्मा एनआईए से जुड़े. इनके अलावा आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान, जामनगर के निदेशक एवं अन्य पदाधिकारी भी वीसी से जुड़े रहे.

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती पर शुक्रवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर को मानद विश्वविद्यालय के रूप में और जामनगर (गुजरात) के आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम के दौरान वीसी के माध्यम से संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 175 साल पहले इस संस्थान की शुरूआत साल 1845 में बाईजी के मंदिर, जयपुर में हुई थी. साल 1946 में इसे राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बनाया गया था. साल 1976 में भारत सरकार ने इस संस्थान को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का दर्जा दिया. इस प्रतिष्ठित संस्थान को आज डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है, इसके लिए मैं केन्द्र सरकार का धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने साल 2003 में जोधपुर में सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्ण आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की. यह गुजरात के जामनगर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बाद देश का दूसरा आयुर्वेद विश्वविद्यालय है.

यह भी पढ़ें: राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया खोले के हनुमान जी मंदिर की वेबसाइट का लोकार्पण

प्रदेश में 10 आयुर्वेद, 10 होम्योपैथी, 3 यूनानी और 7 योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय इससे संबद्ध हैं. प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जड़ी बूटियां मिलती हैं. इन जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने साल 2002 में स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड का गठन किया. साल 2004 में अजमेर में आयुर्वेद औषधि परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई. साल 2010 में होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए अलग से होम्योपैथिक निदेशालय तथा यूनानी को बढ़ावा देने यूनानी निदेशालय स्थापित किया गया.

साल 2013 में देश में पहली बार राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग परिषद का गठन किया गया, ताकि आयुर्वेद नर्सिंग सेवा को विधिक मान्यता दी जा सके. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय आयुष मंत्रालय को ड्रग एंड काॅस्मेटिक एक्ट- 1940 में संशोधन कर आयुर्वेद स्टोर संचालन में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता लागू करने, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद् को वैधानिक दर्जा देने के लिए केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का गठन करने और केन्द्रीय आयुष नर्सिंग परिषद की स्थापना करने के संबंध में सुझाव दिए. उन्होंने राजस्थान को राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत विशेष दर्जा देने की मांग भी रखी.

यह भी पढ़ें: भाजपा में भी 'परिवारवाद' की छाया, केंद्रीय मंत्री के पुत्र से लेकर पूर्व विधायक तक चुनाव मैदान में

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में नाडी विज्ञान का काफी महत्व है. ऐसे में इसका अधिक से अधिक प्रसार किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्रों को वैलनेस सेंटर्स के रूप में स्थापित किए जाने पर जोर दिया. ताकि आवश्यक आयुर्वेदिक दिनचर्या, ऋतुचर्या, वनौषधि संरक्षण आदि के बारे में आमजन को परामर्श मिल सके. इस अवसर पर केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डाॅ. ट्रेडाॅस, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के निदेशक संजीव शर्मा एनआईए से जुड़े. इनके अलावा आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान, जामनगर के निदेशक एवं अन्य पदाधिकारी भी वीसी से जुड़े रहे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.