जयपुर. जल जीवन मिशन के तहत निर्धारित किए गए लक्ष्यों का काम समय पर पूरा नहीं होता है तो संबंधित ठेकेदार के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी और उन पर कार्रवाई भी होगी. यह निर्देश जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने मंगलवार को दिए.
डॉ. कल्ला मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से प्रदेश में जल जीवन मिशन एवं गर्मियों में पेयजल प्रबंधन सहित अन्य योजनाओं की समीक्षा की. उन्होंने जेजेएम में गांवों के लिए बाकी बची योजनाओं की स्वीकृति जल्द से जल्द देने के निर्देश दिए. डॉ. बीडी कल्ला ने जल जीवन मिशन के डीपीआर तैयार करने से लेकर गांवों में लोगों को ‘हर घर नल कनेक्शन‘ के माध्यम से स्वच्छ पेयजल करने तक के सभी कार्यों को समयबद्ध रूप से सम्पादित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में जेजेएम के लक्ष्यों को पूरा कर सभी घरों में नल से जल कनेक्शन पहुंचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है. सभी अधिकारी इस मिशन में 'टीम भावना' के साथ जुटें.
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डॉ. कल्ला ने कहा कि जेजेएम के कार्यों में गुणवत्ता लाने के लिए अतिरिक्त मुख्य अभियंता से लेकर कनिष्ठ अभियंता तक के अधिकारियों को निर्धारित नॉर्म्स के अनुसार फील्ड विजिट कर मैटेरियल की जांच कर कार्यों की सघन मॉनिटरिंग करनी चाहिए. विशेष रूप से जहां टेंडर के बाद दरे नीचे आई है, उन स्थानों पर कार्यों की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. पेयजल की गुणवत्ता जांच के लिए प्रयोगशालाओं को गतिशील करने के निर्देश दिए.
जलदाय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं की तकनीकी स्वीकृतियां, निविदाएं और कार्यादेश का काम विभाग के स्तर निर्धारित टाइमलाइन की पालना कर पूरा करें. तकनीकी त्रुटियों और डिजाइन में किसी प्रकार की आपत्तियां हों तो उनको एक साथ चिन्हित करें और डिजिटल माध्यम से ही उनका निराकरण करें. उन्होंने कहा कि जेजेएम के तहत बनाई जानी वाली योजनाओं की पूर्णता अवधि को 18, 21 और 24 माह की रेंज में हो, जिससे योजनाएं 2024 की तय समय सीमा में पूरी हो सके. इसके लिए पुरानी गाइडलाइंस में संशोधन करते हुए जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए रिवाइज्ड टाइमलाइन के आदेश जारी करने के भी निर्देश दिए.
अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जिला एवं रीजन कार्यों में मंत्रालयिक तथा तकनीकी संवर्ग के कार्मिकों की पदोन्नति के बकाया प्रकरणों का निस्तारण कर पात्र कर्मचारियों को समय पर परिलाभ दिलाने के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि जेजेएम में प्रदेश में अब तक स्वीकृत परियोजनाओं के मुकाबले तकनीकी स्वीकृतियों का 88 प्रतिशत तथा निविदाएं जारी करने का 68 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है.
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प्रदेश में गर्मियों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल प्रबंधन के लिए कंटीजेंसी प्लान के कार्यों की भी समीक्षा कर कल्ला ने कहा कि गर्मी के शेष बचे दिनों के लिए किसी भी जिले में जल परिवहन एवं अन्य कार्यों के लिए और अधिक राशि की आवश्यकता हो तो उसके प्रस्ताव तैयार करके भेजे जाएं. कई जिलों में गर्मियों के लिए स्वीकृत ट्यूबवेल और हैंडपम्प खुदाई के काम समय पर शुरू नहीं होने पर नाराजगी जताई.
जेजेएम के मिशन निदेशक तथा मुख्य अभियंता (ग्रामीण) आरके मीना ने बताया कि पूर्व में 9101 गांवों के लिए मंजूर पेयजल योजनाओं की तुलना में अब तक 8035 गांवों की योजनाओं की तकनीकी स्वीकृतियां तथा 6109 गांवों की निविदाएं जारी की गई है. 15 जिलों जयपुर, चुरू, बूंदी, बारां, दौसा, झुंझुनू, बांसवाड़ा, टोंक, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, सीकर, अलवर, भीलवाड़ा, जालौर एवं राजसमंद में लगभग सभी तकनीकी स्वीकृतियां जारी कर दी गई हैं.
तकनीकी स्वीकृतियों और निविदाओं के बाद 1527 गांवों के कार्यों के लिए कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं और 1063 गांवों में मौके पर ‘हर घर नल कनेक्शन‘ का कार्य शुरू हो चुका है. मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत स्वीकृत परियोजनाओं में अब तक 2716 गांवों की तकनीकी स्वीकृतियां और 1550 गांवों की निविदाएं जारी की गईं हैं.