जयपुर. राजधानी के कालवाड़ थाना इलाके में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर एक अनपढ़ किसान को 13 लाख रुपए का चूना लगा दिया. वहीं, ठगी का पता चलने पर जब पीड़ित पक्ष शिकायत दर्ज करने थाने पहुंचा तो पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया. इसके बाद पीड़ित पक्ष को इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा और कोर्ट की दखलंदाजी के बाद कालवाड़ थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई.
यह है पूरा मामला
ठगी के संबंध में किसान के बेटे गणेश जाट ने कोर्ट के इस्तगासा के जरिए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई है. शिकायत में इस बात का जिक्र किया गया है कि पीड़ित के पिता ने वर्ष 2015 में रेनवाल फागी में अपनी कई बीघा जमीन 50 लाख 90 हजार रुपए में बेची थी, जिसपर उनके एक परिचित मोतीराम ने जमीन बेचने पर प्राप्त हुई राशि को राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक में जमा कराने के लिए कहा.
पीड़ित के पिता अनपढ़ थे, जिसके चलते उन्होंने मोतीराम को साथ में बैंक चलकर खाता खुलवाने के लिए कहा. मोतीराम पीड़ित के पिता को लेकर कालवाड़ से राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक लेकर गया और मैनेजर गौतम गुप्ता से मुलाकात करवाई. जहां तमाम कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पीड़ित के पिता का बैंक खाता खोल दिया गया और उक्त राशि उस खाते में जमा करवा दी गई.
इस दौरान बैंक मैनेजर गौतम गुप्ता और मोतीराम ने धोखाधड़ी करते हुए पीड़ित के पिता से कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए और उनके नाम से चेक बुक जारी करवा अपने पास ही रख ली. उस चेक बुक का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हुए बैंक मैनेजर गौतम गुप्ता ने 12 लाख रुपए अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिए. इसके साथ ही 1 लाख रुपए नगद मोतीराम ने खाते से निकालकर अपने पास रख लिए.
इसके बाद आरोपियों ने मिलीभगत करते हुए चित्तौड़ा गांव में एसबीआई बैंक में पीड़ित के पिता के नाम से खाता खुलवाया, जहां बैंक मैनेजर व अन्य कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर उस खाते में आरोपियों ने अपने मोबाइल नंबर लिंक करवा लिए और साथ ही इंटरनेट बैंकिंग के राशि का ट्रांजैक्शन करने लगे. बेटी की शादी के लिए जब पीड़ित के पिता बैंक से कुछ राशि निकालने गए और खाते का स्टेटस जाना तब उन्हें उनके साथ हुई ठगी का पता चला.
पीड़ित ने पुलिस थाने पहुंच शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन वहां उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई. जिसके बाद कोर्ट के इस्तगासा के जरिए कालवाड़ थाने में आईपीसी की धारा 417, 420, 465, 467, 468, 471, 477, 406, 409 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है.