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राजस्थान विश्वविद्यालय के एलएलएम पाठ्यक्रम की अतिरिक्त दस फीसदी सीटों को भरने पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के एलएलएम पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा के बजाए एलएलबी के प्राप्तांकों के आधार पर प्रवेश देने के मामले में अतिरिक्त दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court news, राजस्थान विश्वविद्यालय एलएलएम पाठ्यक्रम
दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक
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Published : Feb 4, 2021, 11:09 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के एलएलएम पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा के बजाए एलएलबी के प्राप्तांकों के आधार पर प्रवेश देने के मामले में अतिरिक्त दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक लगा दी है.इसके साथ ही अदालत ने विवि से जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राहुल गौत्तम व अन्य की याचिका पर दिए.

दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक

याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय के त्रिवार्षिक एलएलबी पाठ्यक्रम में सेमेस्टर प्रणाली के अभाव में परसनटेज कम आती है. इस साल भी एलएलबी के गोल्ड मेडलिस्ट के महज 62 फीसदी अंक आए हैं. जबकि निजी विवि में सेमेस्टर स्कीम होने के चलते छात्रों को पचास फीसदी इंटरनल मार्क्स मिल जाते हैं और उनकी परसनटेज काफी अच्छे आते हैं. याचिका में कहा गया कि विवि प्रशासन एलएलएम में एडमिशन के लिए हर साल प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना का हवाला देकर एलएलबी के प्राप्तांकों के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है.

पढ़ें: गवाहों को सुरक्षा देने की क्या है नीति, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

जिसके चलते ऊंची कट ऑफ जाने के चलते विवि के छात्रों को ही प्रवेश नहीं मिल सका है. यहां तक की स्वयं लॉ कॉलेज के टॉपर का भी प्रवेश नहीं हो पाया. याचिका में कहा गया कि विवि प्रशासन ने एमबीए और बीपीएड आदि पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा के जरिए ही एडमिशन दिए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एलएलएम के लिए बढ़ाई गई अतिरिक्त दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक लगा दी है

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के एलएलएम पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा के बजाए एलएलबी के प्राप्तांकों के आधार पर प्रवेश देने के मामले में अतिरिक्त दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक लगा दी है.इसके साथ ही अदालत ने विवि से जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राहुल गौत्तम व अन्य की याचिका पर दिए.

दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक

याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय के त्रिवार्षिक एलएलबी पाठ्यक्रम में सेमेस्टर प्रणाली के अभाव में परसनटेज कम आती है. इस साल भी एलएलबी के गोल्ड मेडलिस्ट के महज 62 फीसदी अंक आए हैं. जबकि निजी विवि में सेमेस्टर स्कीम होने के चलते छात्रों को पचास फीसदी इंटरनल मार्क्स मिल जाते हैं और उनकी परसनटेज काफी अच्छे आते हैं. याचिका में कहा गया कि विवि प्रशासन एलएलएम में एडमिशन के लिए हर साल प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना का हवाला देकर एलएलबी के प्राप्तांकों के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है.

पढ़ें: गवाहों को सुरक्षा देने की क्या है नीति, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

जिसके चलते ऊंची कट ऑफ जाने के चलते विवि के छात्रों को ही प्रवेश नहीं मिल सका है. यहां तक की स्वयं लॉ कॉलेज के टॉपर का भी प्रवेश नहीं हो पाया. याचिका में कहा गया कि विवि प्रशासन ने एमबीए और बीपीएड आदि पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा के जरिए ही एडमिशन दिए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एलएलएम के लिए बढ़ाई गई अतिरिक्त दस फीसदी सीटों पर एडमिशन देने पर रोक लगा दी है

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