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याचिका खारिज, तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करने पर लगी रोक हटी

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Published : Mar 6, 2020, 8:00 PM IST

चिकित्सा विभाग ने साल 2013 में 15 हजार 773 पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसमें बिना बोनस अंक वाले याचिकाकर्ताओं का चयन हुआ था, लेकिन सरकार ने 4 हजार 514 पदों को एनआरएचएम का बताते हुए पदों की संख्या घटाकर 11 हजार 259 कर दी. वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 में तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करने पर लगी रोक को हटाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018, jaipur news
तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करने पर लगी रोक हटी

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने छह हजार 35 पदों पर निकाली गई नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 में तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करने पर लगी रोक को हटाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश सुभाष चन्द्र और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि चिकित्सा विभाग ने साल 2013 में 15 हजार 773 पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसमें बिना बोनस अंक वाले याचिकाकर्ताओं का चयन हुआ था, लेकिन सरकार ने 4 हजार 514 पदों को एनआरएचएम का बताते हुए पदों की संख्या घटाकर 11 हजार 259 कर दी.

वहीं, राज्य सरकार ने 2016 में 4 हजार 514 पदों को मेडिकल विभाग के बताते हुए फिर से भर्ती निकाल दी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर सरकार ने भर्ती विज्ञापन वापस लेते हुए 30 मई 2018 को छह हजार 35 पदों पर भर्ती निकाली.

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वे साल 2013 में ही चयनित हो गए थे, लेकिन राज्य सरकार ने इन्हें एनआरएचएम का बताते हुए कम कर दिए. ऐसे में उन्हें इन पदों पर नियुक्ति दी जाए. वहीं महाधिवक्ता की ओर से रिकॉर्ड पेश कर कहा गया कि कम किए गए पद एनआरएचएम के ही थे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.

पढ़ें- जयपुर: बारिश और ओलावृष्टि में भी डटे रहे नींदड़ के किसान, 61 किसानों ने ली जमीन समाधि

वहीं एकलपीठ ने भर्ती में दिव्यांगों को आरक्षण देने के मामले में नया मेडिकल बोर्ड गठित कर याचिकाकर्ता दिव्यांगों का मेडिकल परीक्षण करने के बाद प्रमाण पत्र जारी करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने छह हजार 35 पदों पर निकाली गई नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 में तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करने पर लगी रोक को हटाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश सुभाष चन्द्र और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि चिकित्सा विभाग ने साल 2013 में 15 हजार 773 पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसमें बिना बोनस अंक वाले याचिकाकर्ताओं का चयन हुआ था, लेकिन सरकार ने 4 हजार 514 पदों को एनआरएचएम का बताते हुए पदों की संख्या घटाकर 11 हजार 259 कर दी.

वहीं, राज्य सरकार ने 2016 में 4 हजार 514 पदों को मेडिकल विभाग के बताते हुए फिर से भर्ती निकाल दी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर सरकार ने भर्ती विज्ञापन वापस लेते हुए 30 मई 2018 को छह हजार 35 पदों पर भर्ती निकाली.

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वे साल 2013 में ही चयनित हो गए थे, लेकिन राज्य सरकार ने इन्हें एनआरएचएम का बताते हुए कम कर दिए. ऐसे में उन्हें इन पदों पर नियुक्ति दी जाए. वहीं महाधिवक्ता की ओर से रिकॉर्ड पेश कर कहा गया कि कम किए गए पद एनआरएचएम के ही थे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.

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वहीं एकलपीठ ने भर्ती में दिव्यांगों को आरक्षण देने के मामले में नया मेडिकल बोर्ड गठित कर याचिकाकर्ता दिव्यांगों का मेडिकल परीक्षण करने के बाद प्रमाण पत्र जारी करने को कहा है.

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