जयपुर. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) में पूरा देश स्वतंत्रता के 75 साल (Achievements75) पूरे करने के उपलक्ष्य में जश्न में डूबा हुआ है. राजस्थान में भी उत्साह परवान पर है. इन 75 सालों में राजस्थानी ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर कई क्षेत्रों में तरक्की हासिल की है. कई दशकों तक राजस्थान की गिनती देश के पिछड़े हुए राज्यों में हुआ करती थी. राजस्थान को हर लिहाज से बीमारू प्रदेश माना जाता था. इसके पीछे बुनियादी सुविधाओं में कमी होना एक बड़ी वजह रही थी. इन सब सूरत-ए- हाल के बीच आज आजादी के साढ़े सात दशक बीतने के साथ ही राजस्थान की तस्वीर भी बदली है. चिकित्सा हो या शिक्षा या फिर खेल, राजस्थान ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है. यही वजह है कि आज राजस्थान की इमेज बदली है और राजस्थान खुशहाली की ओर आगे बढ़ कर देश की आजादी के जश्न में शिरकत कर रहा है.
चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां- राजस्थान में आजादी के बाद चिकित्सा क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि (Achievements of rajasthan in Health Sector) के तौर पर 33 में से 30 जिलों में मेडिकल कॉलेज का होना है. वर्तमान में राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां निशुल्क इलाज के साथ मुफ्त जांच की सुविधा सरकार दे रही है. राजधानी जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल भी इस दिशा में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सवाई मानसिंह अस्पताल में सालाना करीब 60 लाख मरीजों का इलाज किया जाता है.
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उत्तर भारत में सरकारी क्षेत्र का एसएमएस (SMS) पहला अस्पताल है, जहां हार्ट ट्रांसप्लांट की सुविधा मौजूद है. राजस्थान से ही नहीं बल्कि देश के हर राज्यों से सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इलाज करवाने के लिए मरीज पहुंचते हैं. मरीजों के इलाज में दिल्ली एम्स को पीछे छोड़कर एसएमएस आगे पहुंच गया है. इस अस्पताल में प्रदेश के लोगों के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट निशुल्क होता है. कोरोना काल में भीलवाड़ा और रामगंज मॉडल लागू कर विश्व भर में राजस्थान ने महामारी नियंत्रण के क्षेत्र में सुर्खियां बटोरी थी.
खेल में किया नाम रोशन (Achievements of Rajasthan in Sports Sector)- राजस्थान के जयपुर में दुनिया का तीसरा बड़ा क्रिकेट स्टेडियम करीब 630 करोड़ रुपए की लागत के साथ राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन तैयार करवा रहा है. जो कि खेलों की दिशा में एक कीर्तिमान स्थापित (Achievements of Rajasthan in Sports Sector) करेगा. ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतकर 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी नई उम्मीदों को स्थापित किया था।. पैरा ओलंपिक खेलों में राजस्थान के एथलीट (जेवेलियन) देवेन्द्र झाझड़िया ने 2004 पैरालंपिक एथेंस में पहला स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद वर्ष 2016 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित हुए ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक खेलों में दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने राजस्थान का मान बढ़ाया.
टोक्यो पैरालंपिक खेलों में झाझड़िया ने रजत पदक जीता. इसी तरह से टोक्यो पैरालंपिक खेलों में प्रदेश की अवनी लेखरा (Avani Lekhara) ने शूटिंग में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत कर इतिहास बनाया. देश के खेल इतिहास में पैरालंपिक खेलों में एक ही साल में दो मेडल जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी बनी. प्रदेश के एथलीट (जेवेलिन) खिलाड़ी सुंदर गुर्जर (sundar singh gurjar) ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में सुंदर गुर्जर ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा.
शिक्षा के क्षेत्र में रचे कीर्तिमान (Achievements of Rajasthan in Education Sector) - साल 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब राजस्थान में सभी कॉलेज आगरा की यूनिवर्सिटी के अधीन आते थे. इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र (Achievements of Rajasthan in Education Sector) में तरक्की करते हुए सबसे पहले जयपुर में राजपूताना यूनिवर्सिटी बनी, जिसे वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना 8 जनवरी 1947 को राजपूताना विश्वविद्यालय के नाम से की गई थी. 1956 में इसे वर्तमान नाम दिया गया. डॉ. मोहन सिंह मेहता इसके पहले और संस्थापक उपकुलपति थे. आज राजस्थान यूनिवर्सिटी शिक्षा का एक बड़ा केंद्र है, जहां देश-विदेश से पढ़ने के लिए बच्चे आते हैं. आज राजस्थान में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, 26 सरकारी यूनिवर्सिटी समेत कुल 80 विश्वविद्यालय है.
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राजस्थान में फिलहाल करीब 1500 महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं. वहीं, 439 महाविद्यालय सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे हैं. राजस्थान में दूरस्थ शिक्षा के लिए कोटा में भगवान वर्धमान महावीर विश्वविद्यालय नए आयाम स्थापित कर रहा है. कोटा में तकनीकी विश्वविद्यालय और जोधपुर में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की ख्याति भी देश के कोने-कोने में पहुंच चुकी है. आजाद राजस्थान में साक्षरता का प्रतिशत 10 फीसदी था. वर्तमान में साक्षरता दर 66.11 प्रतिशत से ऊपर है. जिसमें शहरी क्षेत्र में 79.7 और ग्रामीण इलाकों में 61.4 प्रतिशत साक्षरता दर है. साक्षर महिलाएं करीब 52 फीसदी है, तो साक्षर पुरुषों की संख्या 80 फीसदी के आसपास है.