जयपुर. प्रदेश में महिला अत्याचार के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसके साथ ही यदि बात अनुसूचित जाति अत्याचार और अनुसूचित जनजाति अत्याचार की करें तो उनमें भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही (Atrocities cases against SC ST women increasing in Rajasthan) है. इन अपराधों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते पुलिस भी काफी चिंतित नजर आ रही है. लेकिन अनेक प्रयत्न करने के बावजूद भी अपराध का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने का दावा किया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर पुलिस के आंकड़े तमाम दावों की पोल खोलते हुए नजर आ रहे हैं.
महिला अत्याचारों में 24 फीसदी की वृद्धि: यदि बात प्रदेश में महिला अत्याचारों की बात करें तो वर्ष 2022 के शुरुआती 5 महीनों में पिछले वर्ष की तुलना में तकरीबन 24 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि वर्ष 2021 में जनवरी से मई माह तक महिला अत्याचारों से संबंधित कुल 15414 प्रकरण दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2021 में जनवरी से मई माह तक 19094 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
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महिला दुष्कर्म के प्रकरणों की बात करें तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष तकरीबन 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई (Rape cases increased in 2022) है. वर्ष 2021 में मई माह तक दुष्कर्म के 2461 प्रकरण दर्ज किए गए. वहीं 2022 में दुष्कर्म के 2953 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इसी प्रकार से यदि बात पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों की करें, तो वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2021 में मई माह तक 562 प्रकरण दर्ज किए गए थे, तो वहीं 2022 में 663 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
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अनुसूचित जाति अत्याचारों में 28 और अनुसूचित जनजाति अत्याचारों में 40 फीसदी की वृद्धि: एडीजी क्राइम ने बताया कि वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में मई माह तक अनुसूचित जाति अत्याचारों में 28.28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. जहां वर्ष 2021 में मई माह तक कुल 2829 प्रकरण दर्ज किए गए थे, तो वहीं 2022 में मई माह तक 3629 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इसी प्रकार से अनुसूचित जनजाति अत्याचारों में वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में मई माह तक 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2021 में मई माह तक 767 प्रकरण दर्ज किए गए थे, तो वहीं 2022 में मई माह तक 1074 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
दुष्कर्म के 705 प्रकरणों में लगी एफआर: प्रदेश में सरकार ने एक पॉलिसी बना रखी है जिसके तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद मामला दर्ज कराने वाली पीड़ित महिला को सरकार की ओर से मुआवजा राशि दी जाती है. दुष्कर्म के प्रकरण में 5 लाख और सामूहिक दुष्कर्म के प्रकरण में 8.50 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने का प्रावधान है. दुष्कर्म का मामला दर्ज होने और पीड़िता का मेडिकल होने के बाद मुआवजे की आधी राशि दी जाती है और प्रकरण में चालान पेश होने के बाद शेष राशि दी जाती है. जिसका कई लोग गलत फायदा भी उठा रहे हैं और दुष्कर्म का मामला दर्ज करवा कर मुआवजे की आधी राशि लेने के बाद में आरोपी पक्ष से समझौता कर रहे हैं.
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प्रदेश में वर्ष 2022 में मई माह तक दर्ज हुए दुष्कर्म के 2953 प्रकरणों में से 705 प्रकरणों में पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की है. एडीजी क्राइम का कहना है कि सरकार की पॉलिसी के मुताबिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कराने वाले पीड़ित को मुआवजा राशि दी जाती है और बाद में यदि प्रकरण में समझौता होता है व एफआर लगती है तो दी गई मुआवजा राशि को वापस लेने का कोई भी प्रावधान नहीं है. हालांकि ऐसा कोई भी एनालिसिस नहीं किया गया है कि मुआवजा राशि लेने के लिए झूठे मामले दर्ज करवाए गए हो और बाद में समझौता कर प्रकरण में एफआर लगवाई गई हो. हालांकि यह जांच का एक बड़ा विषय है कि दुष्कर्म के जिन मामलों में एफआर पेश की गई है, उसमें मुआवजा राशि लेने के बात समझौता क्यों किया गया है.