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आगामी विधानसभा सत्र में CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी में गहलोत सरकार

राजस्थान विधानसभा का सत्र 24 जनवरी से बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस सत्र में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी भी होगी. इस संबंध में दो दिन पहले विधायक वाजिब अली ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.

rajasthan assembly news, जयपुर न्यूज
24 जनवरी से शुरू होगा विधानसभा सत्र
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Published : Jan 19, 2020, 5:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा का सत्र 24 जनवरी से बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस बार सत्र राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे घटनाक्रम के नजरिए से भी महत्वपूर्ण रहेगा. सत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण की मियाद बढ़ाने का अनुमोदन भी किया जाएगा. साथ ही नागरिकता संशोधन कानून सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी भी होगी.

राजस्थान में सीएए और सरकार के कामकाज को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में चल रही खींचतान अब विधानसभा में भी दिखेगी. सरकार ने 24 जनवरी से विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है. सत्र की तैयारियों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से भी राजभवन में मुलाकात की थी हालांकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच आगामी विधानसभा सत्र को लेकर भी अनौपचारिक चर्चा हुई है.

24 जनवरी से शुरू होगा विधानसभा सत्र

24 जनवरी से सत्र शुरू करने की तैयारी के साथ इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि आगामी सत्र का काफी हंगामेदार रह सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण सीएए के खिलाफ सरकार की तरफ से प्रस्ताव लाने की तैयारी है. इस संबंध में दो दिन पहले विधायक वाजिब अली ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और सीएए के खिलाफ विधानसभा प्रस्ताव लाने का आग्रह किया.

सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारियों के साथ ही विधानसभा के आगामी सत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण का मुद्दा भी मुख्य रूप से आना है. संसद ने पहले ही इस आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. राज्य की विधानसभा में भी इसका अनुमोदन होना था, इस अनुमोदन की मियाद इस साल 25 जनवरी को खत्म हो रही है, लिहाजा उसके 1 दिन पहले सत्र बुलाना सरकार के लिए राजनीति मैसेज देने के नजरिये से भी जरूरी हो जाता है.

पढ़ें- ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी दिल्ली के चुनावी मैदान में, पौत्रवधू आकांक्षा ओला को मॉडल टाउन से मिला टिकट

इसमें अनुसूचित जाति- जनजाति का आरक्षण का अनुमोदन करके सत्ताधारी पार्टी भी आरक्षित वर्ग में मैसेज देने की कोशिश करेगी. यह अनुमोदन सदन में सर्वसम्मति से होने के आसार हैं. लिहाजा कांग्रेस को इसका फायदा लेने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी.

शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारियों पर बीजेपी ने एतराज जताया है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि सरकार संविधान के खिलाफ जाने की कोशिश कर रही है. राठौड़ कहते हैं कि नियमों के मुताबिक सत्र से पहले कम से कम 21 दिन का नोटिस देना चाहिए था लेकिन सरकार नियमों को दरकिनार कर रही है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा का सत्र 24 जनवरी से बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस बार सत्र राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे घटनाक्रम के नजरिए से भी महत्वपूर्ण रहेगा. सत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण की मियाद बढ़ाने का अनुमोदन भी किया जाएगा. साथ ही नागरिकता संशोधन कानून सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी भी होगी.

राजस्थान में सीएए और सरकार के कामकाज को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में चल रही खींचतान अब विधानसभा में भी दिखेगी. सरकार ने 24 जनवरी से विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है. सत्र की तैयारियों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से भी राजभवन में मुलाकात की थी हालांकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच आगामी विधानसभा सत्र को लेकर भी अनौपचारिक चर्चा हुई है.

24 जनवरी से शुरू होगा विधानसभा सत्र

24 जनवरी से सत्र शुरू करने की तैयारी के साथ इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि आगामी सत्र का काफी हंगामेदार रह सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण सीएए के खिलाफ सरकार की तरफ से प्रस्ताव लाने की तैयारी है. इस संबंध में दो दिन पहले विधायक वाजिब अली ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और सीएए के खिलाफ विधानसभा प्रस्ताव लाने का आग्रह किया.

सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारियों के साथ ही विधानसभा के आगामी सत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण का मुद्दा भी मुख्य रूप से आना है. संसद ने पहले ही इस आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. राज्य की विधानसभा में भी इसका अनुमोदन होना था, इस अनुमोदन की मियाद इस साल 25 जनवरी को खत्म हो रही है, लिहाजा उसके 1 दिन पहले सत्र बुलाना सरकार के लिए राजनीति मैसेज देने के नजरिये से भी जरूरी हो जाता है.

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इसमें अनुसूचित जाति- जनजाति का आरक्षण का अनुमोदन करके सत्ताधारी पार्टी भी आरक्षित वर्ग में मैसेज देने की कोशिश करेगी. यह अनुमोदन सदन में सर्वसम्मति से होने के आसार हैं. लिहाजा कांग्रेस को इसका फायदा लेने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी.

शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारियों पर बीजेपी ने एतराज जताया है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि सरकार संविधान के खिलाफ जाने की कोशिश कर रही है. राठौड़ कहते हैं कि नियमों के मुताबिक सत्र से पहले कम से कम 21 दिन का नोटिस देना चाहिए था लेकिन सरकार नियमों को दरकिनार कर रही है.

Intro:जयपुर। राजस्थान विधानसभा का सत्र 24 जनवरी से बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार सत्र राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे घटनाक्रम के नजरिए से भी महत्वपूर्ण रहेगा। सत्र में अनुसूचित जाति- जनजाति के आरक्षण की मियाद बढ़ाने का अनुमोदन भी किया जाएगा। साथ ही नागरिकता संशोधन कानून सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी भी होगी।


Body:राजस्थान में सीएए और सरकार के कामकाज को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में चल रही खींचतान अब विधानसभा में भी दिखेगी। सरकार ने 24 जनवरी से विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है। सत्र की तैयारियों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से भी राजभवन में मुलाकात की थी हालांकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच आगामी विधानसभा सत्र को लेकर भी अनौपचारिक चर्चा हुई है।
24 जनवरी से सत्र शुरू करने की तैयारी के साथ इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि आगामी सत्र का काफी हंगामेदार रह सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण सीएए के खिलाफ सरकार की तरफ से प्रस्ताव लाने की तैयारी है।
इस संबंध में दो दिन पहले विधायक वाजिब अली ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और सीएए के खिलाफ विधानसभा प्रस्ताव लाने का आग्रह किया।
सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारियों के साथ ही विधानसभा के आगामी सत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण का मुद्दा भी मुख्य रूप से आना है। संसद ने पहले ही इस आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। राज्य की विधानसभा में भी इसका अनुमोदन होना था इस अनुमोदन की मियाद इस साल 25 जनवरी को खत्म हो रही है लिहाजा उसके 1 दिन पहले सत्र बुलाना सरकार के लिए राजनीति मैसेज देने के नजरिये से भी जरूरी हो जाता है। इसमें अनुसूचित जाति- जनजाति का आरक्षण का अनुमोदन करके सत्ताधारी पार्टी भी आरक्षित वर्ग में मैसेज देने की कोशिश करेगी। यह अनुमोदन सदन में सर्वसम्मति से होने के आसार हैं लिहाजा कांग्रेस को इसका फायदा लेने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी।
शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारियों पर बीजेपी ने एतराज जताया है। प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि सरकार संविधान के खिलाफ जाने की कोशिश कर रही है। राठौड़ कहते हैं कि नियमों के मुताबिक सत्र से पहले कम से कम 21 दिन का नोटिस देना चाहिए था लेकिन सरकार नियमों को दरकिनार कर रही है।

बाईट
1. वाजिब अली विधायक
2. राजेंद्र राठौड़ उपनेता प्रतिपक्ष

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Conclusion:
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