जयपुर. देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. ये चुनाव भले ही राजस्थान में ना हो फिर भी इन चुनावों में राजस्थान से आने वाले कई दिग्गज राजनेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर ऐसे राज्य हैं जहां चुनावी प्रबंधन से लेकर टिकट वितरण तक की जिम्मेदारियां राजस्थान से जुड़े नेताओं को दी गई हैं. यही कारण है कि मार्च में आने वाले चुनाव परिणाम इन दिग्गजों के सियासी भविष्य और कद को तय करेगा.
'पंजाब' में राजस्थान के कांग्रेस व भाजपा के ये नेता है आमने-सामने...
विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में है. इनमें से पंजाब ऐसा राज्य है जहां प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के चुनाव प्रभारी राजस्थान से ही बनाए गए हैं. कांग्रेस ने जहां राजस्थान से आने वाले वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी को प्रभारी की जिम्मेदारी दे रखी है, तो वहीं भाजपा ने जोधपुर सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को यहां प्रभारी का दायित्व दे रखा है. इसके अलावा राजस्थान भाजपा से जुड़े पंजाब के सीमावर्ती जिलों के कई बीजेपी नेता व कार्यकर्ताओं को भी कुछ विधानसभा सीटों की जिम्मेदारियां (Rajasthan BJP leaders in Punjab election) दी गई हैं. हालांकि प्रमुख जिम्मेदारी भाजपा से शेखावत और कांग्रेस के चौधरी के पास ही है. मतलब पंजाब की धरती पर राजस्थान के मारवाड़ से आने वाले इन दो दिग्गजों की अग्निपरीक्षा होगी.
पढ़ें: यूपी-पंजाब चुनाव में जुटेंगे राजस्थान के 180 भाजपाई, कंधों पर 20 जिलों की जिम्मेदारी...
'उत्तर प्रदेश' में मेघवाल और गुर्जर की प्रतिष्ठा दांव पर...
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी राजस्थान के भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. भाजपा ने बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को उत्तर प्रदेश में भाजपा का सह प्रभारी बनाकर जिम्मेदारी दे रखी है. वहीं, कांग्रेस ने राजस्थान के धीरज गुर्जर को सचिव के रूप में चुनावी भागदौड़ की जिम्मेदारी (Rajasthan congress leaders in UP election) दी है. साथ ही राजस्थान से आनेवाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र को इन चुनावों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी में अहम जिम्मेदारी मिली है.
वहीं, धीरज गुर्जर यहां प्रियंका गांधी के साथ पूरा चुनावी मैनेजमेंट देख रहे हैं. इसके अलावा 100 से अधिक राजस्थान भाजपा से जुड़े नेताओं को उत्तर प्रदेश की बहुत सी विधानसभा सीटों पर अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. मतलब यहां राजस्थान के इन दिग्गजों को चुनावी मैदान में अपने सियासी कौशल के प्रबंधन को दिखाकर अग्नि परीक्षा पास करनी होगी.
'मणिपुर' चुनाव में राजस्थान के भूपेंद्र यादव के पास भाजपा की भागदौड़ : बात करें मणिपुर चुनाव की तो यहां भाजपा ने बतौर चुनाव प्रभारी केंद्रीय श्रम व वन पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को जिम्मेदारी दे रखी है. भूपेंद्र यादव राजस्थान से ही भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं. मतलब मणिपुर के चुनाव परिणाम भी भूपेंद्र यादव के आगामी सियासी भविष्य पर असर डालेंगे.
'उत्तराखंड' में राजस्थान के कुलदीप इंदौरा के साथ प्रशांत और ज्योति को कांग्रेस ने दी जिम्मेदारी...
इसी तरह उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में राजस्थान से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप इंदौरा को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी. कांग्रेस ने यहां इंदौर आ के साथ ही कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा और जयपुर से आने वाली पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल को भी इन चुनाव में भेजा है. मतलब उत्तराखंड के चुनाव परिणाम में इन नेताओं के सियासी कौशल के परफॉर्मेंस दिखेगा.
चुनाव परिणाम से तय होगा भविष्य का सियासी कद...
पांचों प्रदेशों में आगामी 10 फरवरी से चुनाव शुरू होंगे. इस बार चुनाव अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग चरणों में होंगे लेकिन परिणाम 10 मार्च को आएंगे. यही परिणाम तय करेंगे कि राजस्थान से इन प्रदेशों में भेजे गए भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों ने क्या कमाल किया. यदि परिणाम सकारात्मक आए तो उस राज्य में लगे नेताओं का सियासी कद राजस्थान में ही नहीं पार्टी में भी बढ़ेगा लेकिन परिणाम भी विपरीत आए तो निश्चित तौर पर उन नेताओं का सियासी कद कम होना तय है. यही कारण है कि राजस्थान से जुड़े नेताओं ने संबंधित प्रदेशों में पसीना बहाना तेज कर दिया है.