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चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने नगरीय निकाय क्षेत्र में तय किए छूट के प्रावधान

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Published : Nov 17, 2021, 5:07 PM IST

राजस्थान सरकार ने चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार के लिए नगरीय निकाय क्षेत्र में छूट के प्रावधान तय कर दिए हैं. वर्तमान में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में नगरीय विकास विभाग ने सभी नगरीय निकायों को वर्तमान में संचालित चिकित्सा संस्थाओं के विस्तार के प्रकरण में छूट देने के निर्देश दिए हैं.

state government expansion of medical facilities
चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार के लिए राज्य सरकार ने तय किए छूट के प्रावधान

जयपुर. नगरीय विकास विभाग (Urban Development Department) ने बीते साल जून में कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) के दौरान मेडिकल सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न छूट प्रदान की थी. वर्तमान में एक बार फिर कोरोना के मरीज सामने आने लगे हैं.

ऐसे में नगरीय विकास विभाग ने सभी नगरीय निकायों को वर्तमान में संचालित चिकित्सा संस्थाओं के विस्तार के प्रकरण में छूट देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शहरी क्षेत्रों में कोरोना प्रोटोकॉल (corona protocol) की पालना कराने के लिए प्लानिंग भी की जा रही है.

वर्तमान में कोविड-19 महामारी के दौरान मेडिकल सुविधाओं पहले से ज्यादा सुदृढ़ किये जाने और भविष्य में आपदा की स्थिति में राज्य में आमजन के लिए उचित मेडिकल संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चिकित्सा क्षेत्र को प्रोत्साहित करना आवश्यक है. चिकित्सा सुविधाएं विकसित करने में निजी, सार्वजनिक क्षेत्रों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किए जाने के लिए मेडिकल सेक्टर के अंतर्गत मेडिकल संस्थान के लिए राज्य सरकार की ओर से इन प्रकरणों में छूट देय होगी.

राज्य सरकार की ओर से इन प्रकरणों में छूट देय होगी

वर्तमान में संचालित चिकित्सा संस्थानों मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालयों के विस्तार के प्रकरण, कृषि, अकृषि भूमि, निजी, राजकीय भूमि पर चिकित्सा सुविधाओं के लिए नव प्रस्तावित परियोजनाएं स्थापित किए जाने के प्रस्ताव, गैर आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित भूमि या विद्यमान भवन का चिकित्सा सुविधाएं विकसित किये जाने के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से उपयोग, सामाजिक सुविधाएं विकसित किए जाने के लिए रियायती दर पर आवंटित भूमि पर चिकित्सा सुविधाएं विकसित किए जाने के प्रकरण राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से अनुमत होंगे.

पढ़ें. World COPD Day: राजस्थान सीओपीडी से मौत के मामलों में देश में पहले पायदान पर...जागरूकता के अभाव में बढ़ रहा खतरा

राज्य सरकार के स्तर से प्रदान की गई छूट

मेडिकल सेक्टर के अन्तर्गत आने वाली गतिविधियों को व्यापक जनहित के अन्तर्गत मानते हुए मास्टर प्लान के समस्त उपयोगों में अनुज्ञेय उपयोग की श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है. इन भू-उपयोगों में स्थित कृषि, अकृषिक भूमि पर अनुज्ञेय की जा सकेगी. विद्यमान आवासीय योजनाओं में चिकित्सा सुविधाएं पूर्व में अकृषि प्रयोजनार्थ स्वीकृत एकल पट्टा प्रकरणों, गैर आवासीय भूखण्डों, भवनों एवं विद्यमान आवासीय योजना के ऐसे क्षेत्र जिनका मास्टर प्लान में भू-उपयोग वाणिज्यिक, मिश्रित, संस्थानिक दर्शाया गया है, उन पर ही देय होगी. चिकित्सा सुविधाओं के लिए भू-उपयोग परिवर्तन में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की गई है. चिकित्सा सुविधाओं के लिए भूमि रूपान्तण करने पर प्रीमियम राशि और लीज राशि में छूट दी गई है.

राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट में जोड़ी गई ये शर्तें

चिकित्सा सुविधाओं के लिए प्रस्तावित नये प्रोजेक्ट या विद्यमान संस्थानों के विस्तार के प्रकरणों में यदि विकासकर्ता संस्था की ओर से किसी भी मद में पूर्व में जमा करवाई जा चुकी राशि लौटाई नहीं जाएगी. चिकित्सा संस्थानों की स्थापना और विस्तार का काम दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाना अनिवार्य होगा. नहीं तो छूट और शिथिलता के लिए देय शुल्क ब्याज सहित जमा कराया जाना होगा. चिकित्सालयों की ओर से राज्य सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ आम नागरिकों को दिया जाना अनिवार्य होगा.

पढ़ें. घाटे से उबारने के लिए डिस्कॉम बरतेगा सख्ती, वसूली में फिसड्डी कार्यालयों और सर्किल में लगाए नोडल ऑफिसर

अनुमोदन के लिए प्राप्त ऐसे प्रस्तावों का क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुरूप सुविधाओं का आंकलन वरिष्ठतम नगर नियोजक से करवाकर तकनीकी राय प्राप्त करनी होगी. इन शिथिलताओं में अवधि विस्तार और दूसरे प्रचलित प्रावधानों में यदि छूट शिथिलता अपेक्षित है तो इस संबंध में प्रकरण विशेष में गुण-अवगुण के आधार पर राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद दी जा सकेगी.

पूर्व में राज्य सरकार की ओर से नगरीय निकायों को कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना कराने के लिए भी निर्देशित किया गया था. हालांकि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीजों के बीच अब तीसरी लहर की आशंका बढ़ गई है. ऐसे में नगरीय निकाय एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार कर सकते हैं. हालांकि अभी तक गृह विभाग की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है.

जयपुर. नगरीय विकास विभाग (Urban Development Department) ने बीते साल जून में कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) के दौरान मेडिकल सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न छूट प्रदान की थी. वर्तमान में एक बार फिर कोरोना के मरीज सामने आने लगे हैं.

ऐसे में नगरीय विकास विभाग ने सभी नगरीय निकायों को वर्तमान में संचालित चिकित्सा संस्थाओं के विस्तार के प्रकरण में छूट देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शहरी क्षेत्रों में कोरोना प्रोटोकॉल (corona protocol) की पालना कराने के लिए प्लानिंग भी की जा रही है.

वर्तमान में कोविड-19 महामारी के दौरान मेडिकल सुविधाओं पहले से ज्यादा सुदृढ़ किये जाने और भविष्य में आपदा की स्थिति में राज्य में आमजन के लिए उचित मेडिकल संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चिकित्सा क्षेत्र को प्रोत्साहित करना आवश्यक है. चिकित्सा सुविधाएं विकसित करने में निजी, सार्वजनिक क्षेत्रों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किए जाने के लिए मेडिकल सेक्टर के अंतर्गत मेडिकल संस्थान के लिए राज्य सरकार की ओर से इन प्रकरणों में छूट देय होगी.

राज्य सरकार की ओर से इन प्रकरणों में छूट देय होगी

वर्तमान में संचालित चिकित्सा संस्थानों मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालयों के विस्तार के प्रकरण, कृषि, अकृषि भूमि, निजी, राजकीय भूमि पर चिकित्सा सुविधाओं के लिए नव प्रस्तावित परियोजनाएं स्थापित किए जाने के प्रस्ताव, गैर आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित भूमि या विद्यमान भवन का चिकित्सा सुविधाएं विकसित किये जाने के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से उपयोग, सामाजिक सुविधाएं विकसित किए जाने के लिए रियायती दर पर आवंटित भूमि पर चिकित्सा सुविधाएं विकसित किए जाने के प्रकरण राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से अनुमत होंगे.

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राज्य सरकार के स्तर से प्रदान की गई छूट

मेडिकल सेक्टर के अन्तर्गत आने वाली गतिविधियों को व्यापक जनहित के अन्तर्गत मानते हुए मास्टर प्लान के समस्त उपयोगों में अनुज्ञेय उपयोग की श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है. इन भू-उपयोगों में स्थित कृषि, अकृषिक भूमि पर अनुज्ञेय की जा सकेगी. विद्यमान आवासीय योजनाओं में चिकित्सा सुविधाएं पूर्व में अकृषि प्रयोजनार्थ स्वीकृत एकल पट्टा प्रकरणों, गैर आवासीय भूखण्डों, भवनों एवं विद्यमान आवासीय योजना के ऐसे क्षेत्र जिनका मास्टर प्लान में भू-उपयोग वाणिज्यिक, मिश्रित, संस्थानिक दर्शाया गया है, उन पर ही देय होगी. चिकित्सा सुविधाओं के लिए भू-उपयोग परिवर्तन में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की गई है. चिकित्सा सुविधाओं के लिए भूमि रूपान्तण करने पर प्रीमियम राशि और लीज राशि में छूट दी गई है.

राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट में जोड़ी गई ये शर्तें

चिकित्सा सुविधाओं के लिए प्रस्तावित नये प्रोजेक्ट या विद्यमान संस्थानों के विस्तार के प्रकरणों में यदि विकासकर्ता संस्था की ओर से किसी भी मद में पूर्व में जमा करवाई जा चुकी राशि लौटाई नहीं जाएगी. चिकित्सा संस्थानों की स्थापना और विस्तार का काम दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाना अनिवार्य होगा. नहीं तो छूट और शिथिलता के लिए देय शुल्क ब्याज सहित जमा कराया जाना होगा. चिकित्सालयों की ओर से राज्य सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ आम नागरिकों को दिया जाना अनिवार्य होगा.

पढ़ें. घाटे से उबारने के लिए डिस्कॉम बरतेगा सख्ती, वसूली में फिसड्डी कार्यालयों और सर्किल में लगाए नोडल ऑफिसर

अनुमोदन के लिए प्राप्त ऐसे प्रस्तावों का क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुरूप सुविधाओं का आंकलन वरिष्ठतम नगर नियोजक से करवाकर तकनीकी राय प्राप्त करनी होगी. इन शिथिलताओं में अवधि विस्तार और दूसरे प्रचलित प्रावधानों में यदि छूट शिथिलता अपेक्षित है तो इस संबंध में प्रकरण विशेष में गुण-अवगुण के आधार पर राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद दी जा सकेगी.

पूर्व में राज्य सरकार की ओर से नगरीय निकायों को कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना कराने के लिए भी निर्देशित किया गया था. हालांकि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीजों के बीच अब तीसरी लहर की आशंका बढ़ गई है. ऐसे में नगरीय निकाय एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार कर सकते हैं. हालांकि अभी तक गृह विभाग की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है.

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