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गहलोत 'राज' 1 साल : कानून-व्यवस्था की कसौटी पर कितना खरा उतर पाई खाकी, देखें रिपोर्ट कार्ड

प्रदेश में गहलोत सरकार के 1 वर्ष के कार्यकाल में राजस्थान पुलिस में कई नई व्यवस्थाएं शुरू की गईं. इन नई व्यवस्थाओं ने पुलिस का काम जरूर बढ़ाया, लेकिन सकारात्मक परिणाम देखने को मिले.

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कैसा रहा राजस्थान में कानून व्यवस्था का एक साल
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Published : Dec 13, 2019, 2:17 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 4:51 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने थाने पर आने वाले हर पीड़ित व्यक्ति का मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर आदेश दिए और इसके साथ ही यदि थाने पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता तो एसपी ऑफिस में भी मुकदमा दर्ज कराने की नई व्यवस्था शुरू की. गहलोत सरकार का एक साल का कार्यकाल, राजस्थान पुलिस में शुरू की गई कई नई व्यवस्थाओं को लेकर काफी चर्चा में है.

कैसा रहा राजस्थान में कानून व्यवस्था का एक साल (पार्ट-1)

एडीजी क्राइम बीएल सोनी की मानें तो सरकार ने बोल्ड निर्णय लेते हुए पुलिस स्टेशन आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज किए जाने के आदेश दिए. जिसके परिणामस्वरूप आमजन में न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा. आईए आपको बताते हैं, राजस्थान सरकार के एक साल के कार्यकाल में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

1. थाने में आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज करना
-ये व्यवस्था शुरू होने के बाद से प्रदेश में दर्ज होने वाली FIR की संख्या में 31% बढ़ोतरी हुई. इस दौरान तकरीबन ढाई लाख मुकदमे दर्ज किए गए.
- एसएचओ के मुकदमा दर्ज नहीं करने पर एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने की व्यवस्था की गई.
- मुकदमा दर्ज नहीं करने पर थानाधिकारी का स्पष्टीकरण लेकर उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए.
- प्रदेश में अबतक ऐसे 180 मामले सामने आए, जिनमें एसपी कार्यालय में मुकदमे दर्ज किए गए.
- 32 मामलों में संबंधित एसएचओ की लापरवाही सामने आई और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई जारी है.

कैसा रहा राजस्थान में कानून व्यवस्था का एक साल ( पार्ट-2)

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल: कांग्रेस के संगठन और सत्ता के बीच 1 साल रहा खट्टा मीठा अनुभव

2. थानों में स्वागत कक्ष की स्थापना
- थानों में स्वागत कक्ष बनाए जाने से परिवादियों को बैठने, पीने के पानी, शिकायत लिखने के लिए कागज, पेन की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाने लगीं.

3. कांस्टेबल बने जांच अधिकारी
प्रदेश में बढ़ती मुकदमों की संख्या के चलते राजस्थान सरकार ने कांस्टेबल को भी प्रकरणों की जांच करने के लिए नियुक्त करने के आदेश दिए.
9 साल का सेवाकाल थानों में पूरा करने वाले कांस्टेबल को एक छोटी सी प्रक्रिया के बाद अनुसंधान अधिकारी बनाए जाने का प्रावधान किया गया. इस व्यवस्था के बाद प्रदेश के 60% सामान्य मुकदमों की जांच कॉन्स्टेबल द्वारा की जा सकेगी.

4. प्रदेश में घृणित अपराधों की रोकथाम के लिए एचसीएमयू का गठन
हिनीयस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट द्वारा संगीन अपराधों की विशेष निगरानी के लिए क्राइम ब्रांच के अंदर ये व्यवस्था शुरू की गई. जिसमें घृणित मामलों को चिन्हित कर उसकी जांच जल्द पूरी कर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का प्रयास किया जाता है.

5. सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो डालना बना अपराध
-सरकार के निर्देश पर राजस्थान पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में अवैध हथियारों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया.

-सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो अपलोड कर जनता को डराने और भय फैलाने वाले बदमाशों को भी गिरफ्तार किया गया.

6. हर थाने के टॉप 10 मोस्ट वांटेड अपराधियों की गिरफ्तारी का अभियान
- जनता को भयमुक्त वातावरण देने के लिए राजस्थान पुलिस द्वारा हर जिले में थाना स्तर पर टॉप 10 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया गया.
- लंबे समय से फरार चल रहे इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया गया.
-आंकड़ों के अनुसार इस अभियान के तहत अबतक 260 इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जो लंबे समय से फरार चल रहे थे.

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल: कैसा रहा बेरोजगारों के लिए ये साल...

7. तस्करों पर शिकंजा
- मादक पदार्थों के खिलाफ पूरे प्रदेश में सरकार के निर्देश पर राजस्थान पुलिस द्वारा एक बड़ा अभियान चलाया गया. जिसके तहत बड़ी मात्रा में मादक पदार्थो की खेप जप्त की गई और बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया गया.
- पुलिस की मानें तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष डेढ़ गुना ज्यादा कार्रवाईयां की गईं. 2 गुना ज्यादा मादक पदार्थ जब्त किए गए.

8. गैंगस्टर्स पर शिकंजा
- संगठित अपराध के खिलाफ एसओजी और एटीएस ने प्रदेशभर में विभिन्न बदमाशों की गैंग को चिन्हित कर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया. जिसके तहत शातिर बदमाशों की गैंग को दबोचा गया, जो जनता को लूटने या फिर बड़े अपराधों को अंजाम देने की फिराक में थे.

9. महिलाओं के खिलाफ अपराध
- महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को लेकर प्रीवेंटिव कार्रवाई के लिए सभी जिलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिशा-निर्देश दिए गए.
-इसके साथ ही जो मुकदमे दर्ज हुए हैं, उनका अनुसंधान 2 महीने में पूरा करने और चालान पेश कर अपराधियों को सजा दिलाने के निर्देश दिए गए.

पढ़ेंः SPECIAL : सरहदों के दर्द के बीच सोशल मीडिया बना 'फरिश्ता', 72 साल बाद अपनी बिछुड़ी बहन से मिलेगा भाई

10. सड़क हादसों में कमी
- सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया. साथ ही स्टूडेंट्स को यातायात नियमों की पालना करने के लिए प्रेरित किया गया.
-प्रदेश में हर वर्ष औसतन 10 हजार 500 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं. जिसे देखते हुए सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और लोगों को यातायात नियमों का पालन करने को लेकर जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया.

गहलोत सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में पुलिस महकमे में कई सुधारात्मक प्रयास किए गए और कई उपलब्धियां भी हासिल की गईं. लेकिन कई वारदातों ने पुलिस पर सवालिया निशान भी खड़े किए. अलवर के बहरोड़ में जेल ब्रेक कांड, थानागाजी सामूहिक रेप कांड, सीकर ऑनर किलिंग, धौलपुर में डकैतों का आतंक, जयपुर रेप कांड के अलावा प्रदेशभर में हुई कई हिंसक घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया. इन घटनाओं के बीच पुलिस के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी चट्टान की तरह खड़ी हैं. जिनसे निपटने के लिए पुलिसिया तंत्र को अभी और मजबूत करने की जरूरत है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने थाने पर आने वाले हर पीड़ित व्यक्ति का मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर आदेश दिए और इसके साथ ही यदि थाने पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता तो एसपी ऑफिस में भी मुकदमा दर्ज कराने की नई व्यवस्था शुरू की. गहलोत सरकार का एक साल का कार्यकाल, राजस्थान पुलिस में शुरू की गई कई नई व्यवस्थाओं को लेकर काफी चर्चा में है.

कैसा रहा राजस्थान में कानून व्यवस्था का एक साल (पार्ट-1)

एडीजी क्राइम बीएल सोनी की मानें तो सरकार ने बोल्ड निर्णय लेते हुए पुलिस स्टेशन आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज किए जाने के आदेश दिए. जिसके परिणामस्वरूप आमजन में न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा. आईए आपको बताते हैं, राजस्थान सरकार के एक साल के कार्यकाल में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

1. थाने में आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज करना
-ये व्यवस्था शुरू होने के बाद से प्रदेश में दर्ज होने वाली FIR की संख्या में 31% बढ़ोतरी हुई. इस दौरान तकरीबन ढाई लाख मुकदमे दर्ज किए गए.
- एसएचओ के मुकदमा दर्ज नहीं करने पर एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने की व्यवस्था की गई.
- मुकदमा दर्ज नहीं करने पर थानाधिकारी का स्पष्टीकरण लेकर उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए.
- प्रदेश में अबतक ऐसे 180 मामले सामने आए, जिनमें एसपी कार्यालय में मुकदमे दर्ज किए गए.
- 32 मामलों में संबंधित एसएचओ की लापरवाही सामने आई और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई जारी है.

कैसा रहा राजस्थान में कानून व्यवस्था का एक साल ( पार्ट-2)

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल: कांग्रेस के संगठन और सत्ता के बीच 1 साल रहा खट्टा मीठा अनुभव

2. थानों में स्वागत कक्ष की स्थापना
- थानों में स्वागत कक्ष बनाए जाने से परिवादियों को बैठने, पीने के पानी, शिकायत लिखने के लिए कागज, पेन की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाने लगीं.

3. कांस्टेबल बने जांच अधिकारी
प्रदेश में बढ़ती मुकदमों की संख्या के चलते राजस्थान सरकार ने कांस्टेबल को भी प्रकरणों की जांच करने के लिए नियुक्त करने के आदेश दिए.
9 साल का सेवाकाल थानों में पूरा करने वाले कांस्टेबल को एक छोटी सी प्रक्रिया के बाद अनुसंधान अधिकारी बनाए जाने का प्रावधान किया गया. इस व्यवस्था के बाद प्रदेश के 60% सामान्य मुकदमों की जांच कॉन्स्टेबल द्वारा की जा सकेगी.

4. प्रदेश में घृणित अपराधों की रोकथाम के लिए एचसीएमयू का गठन
हिनीयस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट द्वारा संगीन अपराधों की विशेष निगरानी के लिए क्राइम ब्रांच के अंदर ये व्यवस्था शुरू की गई. जिसमें घृणित मामलों को चिन्हित कर उसकी जांच जल्द पूरी कर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का प्रयास किया जाता है.

5. सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो डालना बना अपराध
-सरकार के निर्देश पर राजस्थान पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में अवैध हथियारों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया.

-सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो अपलोड कर जनता को डराने और भय फैलाने वाले बदमाशों को भी गिरफ्तार किया गया.

6. हर थाने के टॉप 10 मोस्ट वांटेड अपराधियों की गिरफ्तारी का अभियान
- जनता को भयमुक्त वातावरण देने के लिए राजस्थान पुलिस द्वारा हर जिले में थाना स्तर पर टॉप 10 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया गया.
- लंबे समय से फरार चल रहे इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया गया.
-आंकड़ों के अनुसार इस अभियान के तहत अबतक 260 इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जो लंबे समय से फरार चल रहे थे.

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल: कैसा रहा बेरोजगारों के लिए ये साल...

7. तस्करों पर शिकंजा
- मादक पदार्थों के खिलाफ पूरे प्रदेश में सरकार के निर्देश पर राजस्थान पुलिस द्वारा एक बड़ा अभियान चलाया गया. जिसके तहत बड़ी मात्रा में मादक पदार्थो की खेप जप्त की गई और बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया गया.
- पुलिस की मानें तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष डेढ़ गुना ज्यादा कार्रवाईयां की गईं. 2 गुना ज्यादा मादक पदार्थ जब्त किए गए.

8. गैंगस्टर्स पर शिकंजा
- संगठित अपराध के खिलाफ एसओजी और एटीएस ने प्रदेशभर में विभिन्न बदमाशों की गैंग को चिन्हित कर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया. जिसके तहत शातिर बदमाशों की गैंग को दबोचा गया, जो जनता को लूटने या फिर बड़े अपराधों को अंजाम देने की फिराक में थे.

9. महिलाओं के खिलाफ अपराध
- महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को लेकर प्रीवेंटिव कार्रवाई के लिए सभी जिलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिशा-निर्देश दिए गए.
-इसके साथ ही जो मुकदमे दर्ज हुए हैं, उनका अनुसंधान 2 महीने में पूरा करने और चालान पेश कर अपराधियों को सजा दिलाने के निर्देश दिए गए.

पढ़ेंः SPECIAL : सरहदों के दर्द के बीच सोशल मीडिया बना 'फरिश्ता', 72 साल बाद अपनी बिछुड़ी बहन से मिलेगा भाई

10. सड़क हादसों में कमी
- सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया. साथ ही स्टूडेंट्स को यातायात नियमों की पालना करने के लिए प्रेरित किया गया.
-प्रदेश में हर वर्ष औसतन 10 हजार 500 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं. जिसे देखते हुए सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और लोगों को यातायात नियमों का पालन करने को लेकर जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया.

गहलोत सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में पुलिस महकमे में कई सुधारात्मक प्रयास किए गए और कई उपलब्धियां भी हासिल की गईं. लेकिन कई वारदातों ने पुलिस पर सवालिया निशान भी खड़े किए. अलवर के बहरोड़ में जेल ब्रेक कांड, थानागाजी सामूहिक रेप कांड, सीकर ऑनर किलिंग, धौलपुर में डकैतों का आतंक, जयपुर रेप कांड के अलावा प्रदेशभर में हुई कई हिंसक घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया. इन घटनाओं के बीच पुलिस के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी चट्टान की तरह खड़ी हैं. जिनसे निपटने के लिए पुलिसिया तंत्र को अभी और मजबूत करने की जरूरत है.

Intro:जयपुर
एंकर- प्रदेश में गहलोत सरकार के 1 साल के कार्यकाल के दौरान जनता के लिए राजस्थान पुलिस में अनेक तरह की नई व्यवस्थाएं शुरू की गई। सरकार द्वारा पुलिस महकमे में शुरू की गई नई व्यवस्थाओं के चलते पुलिस का काम जरूर बढ़ा लेकिन उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने थाने पर आने वाले हर पीड़ित व्यक्ति का मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर आदेश दिए और इसके साथ ही यदि थाने पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता तो एसपी ऑफिस में भी मुकदमा दर्ज कराने की नई व्यवस्था शुरू की। गहलोत सरकार का 1 साल का कार्यकाल राजस्थान पुलिस में शुरू की गई अनेक नई व्यवस्थाओं को लेकर काफी चर्चा में है।


Body:वीओ- गहलोत सरकार के 1 साल के कार्यकाल के दौरान राजस्थान पुलिस में शुरू की गई नई व्यवस्थाओं पर एडीजी क्राइम बीएल सोनी ने कहा कि सरकार ने बोल्ड निर्णय लेते हुए अपनी पीड़ा लेकर पुलिस के पास आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर आदेश दिए। जिसके चलते प्रदेश में मुकदमों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई लेकिन उन परिवादियों की पीड़ा दर्ज होने लगी और न्याय मिलने लगा जिनकी शिकायत तक दर्ज नहीं की जा रही थी।

गहलोत सरकार द्वारा 1 वर्ष के कार्यकाल के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय:

- थाने में आने वाले हर परिवादी का मुकदमा दर्ज किया जाए। यह व्यवस्था शुरू होने के बाद से प्रदेश में दर्ज होने वाली एफआईआर की संख्या में 31% की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान तकरीबन ढाई लाख मुकदमे दर्ज किए गए।

- इसके साथ ही सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए यह व्यवस्था शुरू की कि यदि थाने में एसएचओ मुकदमा दर्ज नहीं करता है तो एसपी ऑफिस में भी परिवादी मुकदमा दर्ज करवा सकता है। इसके साथ ही थानों में मुकदमा दर्ज नहीं करने वाले एसएचओ का स्पष्टीकरण लेकर उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाने लगी। प्रदेश में अब तक ऐसे 180 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें एसपी द्वारा मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। 32 मामले ऐसे हैं जिसमें संबंधित एसएचओ की लापरवाही पाई गई है और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है।

- अपनी पीड़ा लेकर थाने आने वाले परिवादियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रत्येक थाने में स्वागत कक्ष बनाने के आदेश दिए हैं, जिसको लेकर बजट भी सरकार के द्वारा दिया जा रहा है। स्वागत कक्ष में परिवादी के बैठने, पीने के पानी, शिकायत लिखने के लिए कागज व पेन आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी।

- मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए राजस्थान सरकार ने कांस्टेबल को भी प्रकरणों की जांच करने के लिए नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। जिन कॉन्स्टेबल की 9 साल की सेवा हो गई है और जो थानों में तैनात हैं वह एक छोटी सी साधरण प्रक्रिया के बाद अनुसंधान अधिकारी बनाए जा सकते हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश के 60% सामान्य मुकदमों की जांच कॉन्स्टेबल द्वारा की जा सकेगी।

- संगीन मामलों को लेकर भी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए एचसीएमयू का गठन किया है। हिनीयस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट द्वारा संगीन अपराधों की विशेष निगरानी के लिए क्राइम ब्रांच के अंदर यह व्यवस्था शुरू की गई है। जिसके तहत प्रकरण से जुड़े हुए तमाम दस्तावेज मंगा कर उसका अनुसंधान किया जाता है और साथ ही प्रकरण में जल्द से जल्द जांच पूरी कर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का प्रयास किया जाता है।

- इसके साथ ही सरकार के निर्देश पर राजस्थान पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में विभिन्न अभियान चलाए गए। जिसमें हथियारों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया और इसके साथ ही सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो अपलोड कर जनता को डराने और भय फैलाने वाले बदमाशों को गिरफ्तार किया गया।

- जनता को भयमुक्त वातावरण देने के लिए राजस्थान पुलिस द्वारा हर जिले में प्रत्येक थाना स्तर पर टॉप 10 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया गया। जिसके तहत लंबे समय से फरार चल रहे इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया गया। इस अभियान के तहत 260 इनामी अपराधियों को पूरे प्रदेश में गिरफ्तार किया गया जो काफी लंबे समय से फरार चल रहे थे।

- मादक पदार्थों के खिलाफ पूरे प्रदेश में सरकार के निर्देशन पर राजस्थान पुलिस द्वारा एक बड़ा अभियान चलाया गया। जिसके तहत बड़ी मात्रा में मादक पदार्थो की खेप जप्त की गई और बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में पुलिस द्वारा डेढ़ गुना अधिक कार्रवाई की गई और साथ ही 2 गुना अधिक मादक पदार्थ जप्त किए गए।

- संगठित अपराध के खिलाफ एसओजी और एटीएस ने विभिन्न बदमाशों की गैंग को चिन्हित कर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया। जिसके तहत शातिर बदमाशों की गैंग को दबोचा गया जो जनता को लूटने या फिर बड़े अपराधों को अंजाम देने की फिराक में थे।

- महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को लेकर प्रीवेंटिव कार्रवाई के लिए सभी जिलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिशा निर्देश दिए गए। इसके साथ ही जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उनका अनुसंधान 2 महीने में पूर्ण करने और चालान पेश कर अपराधियों को सजा दिलाने के निर्देश दिए गए।

- सड़क सुरक्षा को लेकर भी सरकार काफी गंभीर नजर आई और पुलिस द्वारा पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही स्टूडेंट्स को यातायात नियमों की पालना करने के लिए प्रेरित किया गया। प्रदेश में हर वर्ष औसतन 10500 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं। जिसे देखते हुए सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और लोगों को यातायात नियमों का पालन करने को लेकर जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया।

बाइट- बीएल सोनी, एडीजी क्राइम- राजस्थान


Conclusion:
Last Updated : Dec 13, 2019, 4:51 PM IST
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