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महापौर निलंबन मामला : राजस्थान के इतिहास में पहली बार नगर निगम मेयर को अकारण सस्पेंड किया- अरुण चतुर्वेदी

जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी ने राज्य की कांग्रेसनीत सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार किसी निगम के मेयर के बिना वजह सस्पेंड किया गया है. उप-महापौर पुनीत कर्णावट ने भी कांग्रेस पर भाजपा बोर्ड को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया है.

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Published : Jun 7, 2021, 4:40 PM IST

Jaipur Municipal Corporation mayor suspension case
जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर निलंबन पर बीजेपी का मंथन

जयपुर. राजस्थान सरकार ने रविवार देर रात बड़ा कदम उठाते हुए जयपुर के ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निगम की सदस्यता से निलंबित कर दिया. इस पर अब बीजेपी ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. मामले में कोर्ट में जाने के साथ-साथ अब जनता के बीच जाने की भी बात की जा रही है. मामले को लेकर वरिष्ठ बीजेपी नेता अरुण चतुर्वेदी के घर आगामी रणनीति को लेकर मंथन किया गया.

जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर निलंबन पर बीजेपी का मंथन

भाजपा बोर्ड को अस्थिर करना चाहती है कांंग्रेस- कर्णावट

मीटिंग में मौजूद रहे उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जयपुर ग्रेटर की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सेवा का निर्देश देते हुए बहुमत दिया. कांग्रेस तब से लगातार निगम में बीजेपी के निर्वाचित बोर्ड को अस्थिर करने में लगी हुई है. पहले समितियों को रद्द करने की कोशिश की गई और अब झूठा नाटक रचा गया है. जिसके आधार पर निर्वाचित बोर्ड को अस्थिर करने की कोशिश है. महापौर को हटाया गया है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी ने गंभीरता से इस पर संज्ञान लिया है. इसके खिलाफ बीजेपी धरातल पर लड़ाई लड़ेगी. न्यायालय से न्याय भी मिलेगा और जनता के बीच भी जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह का प्रकरण है, उसमें एक इलेक्टेड महापौर को सस्पेंड करना कहीं भी तर्कसंगत नहीं है. आपस में किसी मुद्दे पर विचार विमर्श के दौरान तल्खी हो सकती है, लेकिन इसका परिणाम इस तरह से परिलक्षित होगा ये देखना दुर्भाग्यशाली है. इसके पीछे कांग्रेस सरकार की दुर्भावना और असल चरित्र सामने आ रहा है.

jaipur mayor case arun chaturvedi statement
पुनीत कर्णावट ने लगाया कांग्रेस पर आरोप

उन्होंने कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि असल में राजस्थान में कोई सरकार है ही नहीं. दो कैबिनेट मंत्री मुख्यमंत्री के सामने एक दूसरे को देख लेने की धमकी देते हैं, उन को सस्पेंड नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि महापौर ने अपना बयान दर्ज कराने के लिए समय मांगा था. ये महामारी का समय है. शनिवार, रविवार और सोमवार पूरी तरह लॉकडाउन किया हुआ है. ऐसे में बुधवार का समय मांगा गया था. लेकिन सरकार के मन में दुर्भावना थी और एक ही दिन में षड्यंत्र रच कर कार्रवाई की गई.

पढ़ें- EXCLUSIVE : जयपुर ग्रेटर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर ने कहा- कार्रवाई एकतरफा, अब खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

पढ़ें- महापौर निलंबन मामला : सौम्या पर कार्रवाई को वसुंधरा, कटारिया ने बताया अलोकतांत्रिक, सरकार पर लगाए ये आरोप...

अब बीजेपी इसका हर स्तर पर विरोध करेगी. न्यायालय की शरण में भी जाएंगे. इस गलत आदेश को वहां से खारिज कराया जाएगा और शहर के सभी 250 वार्डों में जनता के बीच जाकर कार्यकर्ता राज्य सरकार के खिलाफ कोविड-19 गाइडलाइन की पालना करते हुए धरना प्रदर्शन करेंगे. वहीं आगे प्रदेश नेतृत्व जो तय करेगा वो किया जाएगा.

फैसला पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक- अरुण चतुर्वेदी

वहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी ने मंथन के बाद कहा कि ये फैसला पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. केवल राजनीतिक आधार पर चुने हुए जनप्रतिनिधियों को कांग्रेस पार्टी अपनी सुविधा के अनुसार हटाना, कांग्रेस की पुरानी नीति रही है. आजादी के बाद करीब 90 बार देश की चुनी हुई सरकार को 356 का इस्तेमाल करते हुए बर्खास्त किया गया. लेकिन राजस्थान के इतिहास में पहली बार किसी नगर निगम के मेयर को बिना किसी कारण के सस्पेंड किया और तीन पार्षदों को निलंबित किया.

jaipur mayor case arun chaturvedi statement
अरुण चतुर्वेदी ने कहा- कार्रवाई अलोकतांत्रिक

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या किसी भी पार्षद या मेयर के लिए अपने नगर निगम क्षेत्र में सफाई प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए. प्राथमिकता के विषय के ऊपर बीवीजी कंपनी के हड़ताल पर होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था करने की अपील की गई और जब ये अपील सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारियों को ठीक नहीं लगी, तो उन्होंने एक आरोप लगाकर जहां बीवीजी को सहायता करने का काम किया, वहीं नगर निगम के चुने हुए प्रतिनिधियों को भी बदनाम करने का प्रयास किया. अब सरकार के इस कृत्य को जनता की अदालत में लेकर जाएंगे और इस गैरकानूनी काम को न्यायालय में भी चुनौती देने का काम करेंगे.

जयपुर. राजस्थान सरकार ने रविवार देर रात बड़ा कदम उठाते हुए जयपुर के ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निगम की सदस्यता से निलंबित कर दिया. इस पर अब बीजेपी ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. मामले में कोर्ट में जाने के साथ-साथ अब जनता के बीच जाने की भी बात की जा रही है. मामले को लेकर वरिष्ठ बीजेपी नेता अरुण चतुर्वेदी के घर आगामी रणनीति को लेकर मंथन किया गया.

जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर निलंबन पर बीजेपी का मंथन

भाजपा बोर्ड को अस्थिर करना चाहती है कांंग्रेस- कर्णावट

मीटिंग में मौजूद रहे उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जयपुर ग्रेटर की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सेवा का निर्देश देते हुए बहुमत दिया. कांग्रेस तब से लगातार निगम में बीजेपी के निर्वाचित बोर्ड को अस्थिर करने में लगी हुई है. पहले समितियों को रद्द करने की कोशिश की गई और अब झूठा नाटक रचा गया है. जिसके आधार पर निर्वाचित बोर्ड को अस्थिर करने की कोशिश है. महापौर को हटाया गया है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी ने गंभीरता से इस पर संज्ञान लिया है. इसके खिलाफ बीजेपी धरातल पर लड़ाई लड़ेगी. न्यायालय से न्याय भी मिलेगा और जनता के बीच भी जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह का प्रकरण है, उसमें एक इलेक्टेड महापौर को सस्पेंड करना कहीं भी तर्कसंगत नहीं है. आपस में किसी मुद्दे पर विचार विमर्श के दौरान तल्खी हो सकती है, लेकिन इसका परिणाम इस तरह से परिलक्षित होगा ये देखना दुर्भाग्यशाली है. इसके पीछे कांग्रेस सरकार की दुर्भावना और असल चरित्र सामने आ रहा है.

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पुनीत कर्णावट ने लगाया कांग्रेस पर आरोप

उन्होंने कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि असल में राजस्थान में कोई सरकार है ही नहीं. दो कैबिनेट मंत्री मुख्यमंत्री के सामने एक दूसरे को देख लेने की धमकी देते हैं, उन को सस्पेंड नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि महापौर ने अपना बयान दर्ज कराने के लिए समय मांगा था. ये महामारी का समय है. शनिवार, रविवार और सोमवार पूरी तरह लॉकडाउन किया हुआ है. ऐसे में बुधवार का समय मांगा गया था. लेकिन सरकार के मन में दुर्भावना थी और एक ही दिन में षड्यंत्र रच कर कार्रवाई की गई.

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अब बीजेपी इसका हर स्तर पर विरोध करेगी. न्यायालय की शरण में भी जाएंगे. इस गलत आदेश को वहां से खारिज कराया जाएगा और शहर के सभी 250 वार्डों में जनता के बीच जाकर कार्यकर्ता राज्य सरकार के खिलाफ कोविड-19 गाइडलाइन की पालना करते हुए धरना प्रदर्शन करेंगे. वहीं आगे प्रदेश नेतृत्व जो तय करेगा वो किया जाएगा.

फैसला पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक- अरुण चतुर्वेदी

वहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी ने मंथन के बाद कहा कि ये फैसला पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. केवल राजनीतिक आधार पर चुने हुए जनप्रतिनिधियों को कांग्रेस पार्टी अपनी सुविधा के अनुसार हटाना, कांग्रेस की पुरानी नीति रही है. आजादी के बाद करीब 90 बार देश की चुनी हुई सरकार को 356 का इस्तेमाल करते हुए बर्खास्त किया गया. लेकिन राजस्थान के इतिहास में पहली बार किसी नगर निगम के मेयर को बिना किसी कारण के सस्पेंड किया और तीन पार्षदों को निलंबित किया.

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अरुण चतुर्वेदी ने कहा- कार्रवाई अलोकतांत्रिक

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या किसी भी पार्षद या मेयर के लिए अपने नगर निगम क्षेत्र में सफाई प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए. प्राथमिकता के विषय के ऊपर बीवीजी कंपनी के हड़ताल पर होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था करने की अपील की गई और जब ये अपील सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारियों को ठीक नहीं लगी, तो उन्होंने एक आरोप लगाकर जहां बीवीजी को सहायता करने का काम किया, वहीं नगर निगम के चुने हुए प्रतिनिधियों को भी बदनाम करने का प्रयास किया. अब सरकार के इस कृत्य को जनता की अदालत में लेकर जाएंगे और इस गैरकानूनी काम को न्यायालय में भी चुनौती देने का काम करेंगे.

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