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Controversy on appointment: राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त की नियुक्ति विवादों के घेरे में - Controversy on appointment

राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त के पद पर उमाशंकर शर्मा को नियुक्त किया गया है. शर्मा की नियुक्ति के साथ ही विवाद शुरू हो गया है. भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी व विभिन्न संगठनों ने इस नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का हवाला दे राज्यपाल से शिकायत (Complaint to Governor for political appointment) की है.

Commissioner for specially abled persons in Rajasthan
राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त की नियुक्ति
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Published : Feb 12, 2022, 4:42 PM IST

जयपुर. राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त के पद पर उमाशंकर शर्मा को नियुक्त किया (Commissioner for specially abled persons in Rajasthan) गया है. लेकिन इस संवैधानिक पद पर नियुक्ति के मामले में दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 और राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. इसे लेकर पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी से लेकर विभिन्न संगठनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है.

राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के नियम संख्या 24 के अनुसार राज्य सरकार एक सर्च कम सलेक्शन कमेटी का गठन करेगी. जिसमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग के शासन सचिव शामिल होंगे. ये कमेटी तीन योग्य उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर राज्य सरकार को प्रेषित करेगी. राज्य आयुक्त पद पर नियुक्ति के लिए विशेष योग्यजन निदेशालय की ओर से आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए थे, जिसमें 86 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. उनमें ऐसे लोग भी थे जिन्हें विशेष योग्यजन सबलीकरण के क्षेत्र में कार्य करने का दो दशक से भी ज्यादा अनुभव है और उन्हें विशेष योग्यजन सबलीकरण और पुनर्वास के क्षेत्र में विशेष जानकारी भी है.

पढ़ें: राजस्थान राजनीतिक नियुक्तियों में CM गहलोत की छाप, पायलट कैंप के केवल 4 नेता...देखिए पूरी लिस्ट

अरुण चतुर्वेदी और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया कि इस पैनल में तीन ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिन्हें इस क्षेत्र में कार्य करने का न्यूनतम अनुभव है. जिससे सलेक्शन कमेटी संदेह के घेरे में आती है. चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रमाणिकता को पूरी तरह से अनदेखा किया गया है. ऐसे में उन्होंने राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त पद पर नियुक्ति के विषय में राजस्थान सरकार को पुनर्विचार करने का आदेश देने की अपील की.

पढ़ें: खत्म हुआ इंतजार : गहलोत सरकार ने की आयोग, बोर्ड, निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की घोषणा...एक क्लिक में जानें किसे क्या मिला

आपको बता दें कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 79(2) और राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के नियम से 23(1) के अनुसार कोई व्यक्ति राज्य आयुक्त के रूप नियुक्त किये जाने के लिए तब तक योग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि उसे विशेष योग्यजन व्यक्तियों के पुनर्वास से संबंधित विषयों के संबंध में विशेष जानकारी या फिर व्यावहारिक अनुभव नहीं हो. नियमानुसार राज्य आयुक्त के पद पर उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है, जिसे कम से कम 10 साल का समाजसेवा का प्रमाणिक अनुभव हो. जिसमें से आखिरी 3 साल का प्रमाणिक अनुभव विशेष योग्यजन सबलीकरण के क्षेत्र में काम करने का होना अनिवार्य है.

जयपुर. राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त के पद पर उमाशंकर शर्मा को नियुक्त किया (Commissioner for specially abled persons in Rajasthan) गया है. लेकिन इस संवैधानिक पद पर नियुक्ति के मामले में दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 और राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. इसे लेकर पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी से लेकर विभिन्न संगठनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है.

राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के नियम संख्या 24 के अनुसार राज्य सरकार एक सर्च कम सलेक्शन कमेटी का गठन करेगी. जिसमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग के शासन सचिव शामिल होंगे. ये कमेटी तीन योग्य उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर राज्य सरकार को प्रेषित करेगी. राज्य आयुक्त पद पर नियुक्ति के लिए विशेष योग्यजन निदेशालय की ओर से आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए थे, जिसमें 86 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. उनमें ऐसे लोग भी थे जिन्हें विशेष योग्यजन सबलीकरण के क्षेत्र में कार्य करने का दो दशक से भी ज्यादा अनुभव है और उन्हें विशेष योग्यजन सबलीकरण और पुनर्वास के क्षेत्र में विशेष जानकारी भी है.

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अरुण चतुर्वेदी और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया कि इस पैनल में तीन ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिन्हें इस क्षेत्र में कार्य करने का न्यूनतम अनुभव है. जिससे सलेक्शन कमेटी संदेह के घेरे में आती है. चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रमाणिकता को पूरी तरह से अनदेखा किया गया है. ऐसे में उन्होंने राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त पद पर नियुक्ति के विषय में राजस्थान सरकार को पुनर्विचार करने का आदेश देने की अपील की.

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आपको बता दें कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 79(2) और राजस्थान विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के नियम से 23(1) के अनुसार कोई व्यक्ति राज्य आयुक्त के रूप नियुक्त किये जाने के लिए तब तक योग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि उसे विशेष योग्यजन व्यक्तियों के पुनर्वास से संबंधित विषयों के संबंध में विशेष जानकारी या फिर व्यावहारिक अनुभव नहीं हो. नियमानुसार राज्य आयुक्त के पद पर उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है, जिसे कम से कम 10 साल का समाजसेवा का प्रमाणिक अनुभव हो. जिसमें से आखिरी 3 साल का प्रमाणिक अनुभव विशेष योग्यजन सबलीकरण के क्षेत्र में काम करने का होना अनिवार्य है.

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