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Special : विमानपत्तन का फायर डिपार्टमेंट, जहां पुरुषों का दबदबा रहा है, वहां फायर फाइटर हैं अंजलि...ETV भारत से खास मुलाकात

कोलकाता में जब अंजलि की ट्रेनिंग हुई तब वह 83 लड़कों में अकेली लड़की थी. राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में लड़कियों का विवाह जल्दी कर दिया जाता है. अंजलि सिर्फ फायर फाइटर ही नहीं, बल्कि समाज की तमाम विद्रूपदाओं से भी लड़ने वाली फाइटर हैं.

फायर फाइटर अंजलि मीणा से मुलाकात
फायर फाइटर अंजलि मीणा से मुलाकात
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Published : Jul 18, 2021, 8:18 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 9:30 PM IST

जयपुर. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की पहली आदिवासी महिला फायर फाइटर के रूप में अंजलि मीणा को नियुक्त किया गया था. अंजलि मीणा जयपुर एयरपोर्ट पर इस समय अपनी सेवाएं दे रही हैं. अंजलि आदिवासी क्षेत्र की पहली महिला फायर फाइटर हैं.

वह नॉर्दन रीजन की भी पहली महिला फायर फाइटर है. बता दें कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के फायर डिपार्टमेंट को हमेशा पुरुष प्रधान डिपार्टमेंट माना जाता है, लेकिन अंजलि ने इस डिपार्टमेंट में काम करने के बाद इस मिथक को भी तोड़ कि यह पुरुषों का विभाग है. अंजलि ने ईटीवी भारत से अपने अनुभव शेयर किये...

फायर फाइटर अंजलि मीणा से मुलाकात

अंजलि ने बताया कि वह सिविल सर्विस की तैयारी कर रही थी. इससे पहले वे महारानी कॉलेज में रहते हुए छात्र संघ का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. उनका लक्ष्य था सरकारी नौकरी हासिल करना. उनके पिता जयपुर एयरपोर्ट पर फायर सर्विस में हैं. वह खुद भी फायर सर्विस का सपना देखती थी और उसका यह सपना पूरा तब हुआ जब वह पहली बार में फायर सर्विस में चयनित हो गई.

अंजलि ने बताया कि वह कुछ हटकर करना चाहती थी. एयरपोर्ट का फायर डिपार्टमेंट उन्हें आकर्षित करता था. पिता इस सेवा में थे ही. लेकिन महिलाएं इस तरफ रुख नहीं करती थीं. उन्होंने फायर फाइटर के लिए एप्लाई किया और पहली बार में ही चयनित हो गई. अंजलि ने बताया वे आदिवासी समाज से आती हैं. आदिवासी महिलाओं का आगे बढ़ना बड़ा मुश्किल है. आज भी उदयपुर-डूंगरपुर जैसे इलाकों में आदिवासी लड़कियां अपना करियर नहीं चुन पातीं. उनकी जल्दी शादी कर दी जाती है. अंजलि ने कहा कि लड़कियों को अपने सपने पूरे करने चाहिएं.

पढ़ें- टूरिज्म की 'लहर' : चित्तौड़गढ़ फोर्ट देखने उमड़े सैलानी, कोरोना गाइड लाइन फेल...PM और CM की अपील बेअसर

अंजलि ने बताया कि कोलकाता में उन्होंने फायर फाइटर सर्विस की ट्रेनिंग ली थी. वहां उनके बैच में 83 लड़के थे. उनमें वह अकेली लड़की थी. सब ने कहा कि यह लड़की कुछ कर नहीं पाएगी और जल्दी ही यहां से छोड़कर चली जाएगी. लेकिन अंजलि ने हौसला बुलंद रखा और अपनी ट्रेनिंग पूरी की. अब वे जयपुर एयरपोर्ट पर सेवाएं दे रही हैं.

अंजलि ने बताया कि ये पहला ऐसा मौका है कि जब किसी फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट में पिता और बेटी एक साथ कार्य कर रहे हैं. अंजलि ने बताया कि अभी उनके पिता भी जयपुर एयरपोर्ट पर ही फायर डिपार्टमेंट में हैं. ऐसे में घर और एयरपोर्ट पर माहौल बिल्कुल अलग देखने को मिलता है. घर पर पिता उनसे बेटी की तरह व्यवहार करते हैं और ऑफिस में फायर फाइटर की तरह.

अंजलि ने कहा कि पढ़ना और आने बढ़ना लड़कियों का अधिकार है. महिलाओं को अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए. अब महिलाओं को परदे के पीछे नहीं रखना चाहिए. आज के दौर में महिला और पुरुष दोनों ही समान हैं.

जयपुर. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की पहली आदिवासी महिला फायर फाइटर के रूप में अंजलि मीणा को नियुक्त किया गया था. अंजलि मीणा जयपुर एयरपोर्ट पर इस समय अपनी सेवाएं दे रही हैं. अंजलि आदिवासी क्षेत्र की पहली महिला फायर फाइटर हैं.

वह नॉर्दन रीजन की भी पहली महिला फायर फाइटर है. बता दें कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के फायर डिपार्टमेंट को हमेशा पुरुष प्रधान डिपार्टमेंट माना जाता है, लेकिन अंजलि ने इस डिपार्टमेंट में काम करने के बाद इस मिथक को भी तोड़ कि यह पुरुषों का विभाग है. अंजलि ने ईटीवी भारत से अपने अनुभव शेयर किये...

फायर फाइटर अंजलि मीणा से मुलाकात

अंजलि ने बताया कि वह सिविल सर्विस की तैयारी कर रही थी. इससे पहले वे महारानी कॉलेज में रहते हुए छात्र संघ का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. उनका लक्ष्य था सरकारी नौकरी हासिल करना. उनके पिता जयपुर एयरपोर्ट पर फायर सर्विस में हैं. वह खुद भी फायर सर्विस का सपना देखती थी और उसका यह सपना पूरा तब हुआ जब वह पहली बार में फायर सर्विस में चयनित हो गई.

अंजलि ने बताया कि वह कुछ हटकर करना चाहती थी. एयरपोर्ट का फायर डिपार्टमेंट उन्हें आकर्षित करता था. पिता इस सेवा में थे ही. लेकिन महिलाएं इस तरफ रुख नहीं करती थीं. उन्होंने फायर फाइटर के लिए एप्लाई किया और पहली बार में ही चयनित हो गई. अंजलि ने बताया वे आदिवासी समाज से आती हैं. आदिवासी महिलाओं का आगे बढ़ना बड़ा मुश्किल है. आज भी उदयपुर-डूंगरपुर जैसे इलाकों में आदिवासी लड़कियां अपना करियर नहीं चुन पातीं. उनकी जल्दी शादी कर दी जाती है. अंजलि ने कहा कि लड़कियों को अपने सपने पूरे करने चाहिएं.

पढ़ें- टूरिज्म की 'लहर' : चित्तौड़गढ़ फोर्ट देखने उमड़े सैलानी, कोरोना गाइड लाइन फेल...PM और CM की अपील बेअसर

अंजलि ने बताया कि कोलकाता में उन्होंने फायर फाइटर सर्विस की ट्रेनिंग ली थी. वहां उनके बैच में 83 लड़के थे. उनमें वह अकेली लड़की थी. सब ने कहा कि यह लड़की कुछ कर नहीं पाएगी और जल्दी ही यहां से छोड़कर चली जाएगी. लेकिन अंजलि ने हौसला बुलंद रखा और अपनी ट्रेनिंग पूरी की. अब वे जयपुर एयरपोर्ट पर सेवाएं दे रही हैं.

अंजलि ने बताया कि ये पहला ऐसा मौका है कि जब किसी फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट में पिता और बेटी एक साथ कार्य कर रहे हैं. अंजलि ने बताया कि अभी उनके पिता भी जयपुर एयरपोर्ट पर ही फायर डिपार्टमेंट में हैं. ऐसे में घर और एयरपोर्ट पर माहौल बिल्कुल अलग देखने को मिलता है. घर पर पिता उनसे बेटी की तरह व्यवहार करते हैं और ऑफिस में फायर फाइटर की तरह.

अंजलि ने कहा कि पढ़ना और आने बढ़ना लड़कियों का अधिकार है. महिलाओं को अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए. अब महिलाओं को परदे के पीछे नहीं रखना चाहिए. आज के दौर में महिला और पुरुष दोनों ही समान हैं.

Last Updated : Jul 18, 2021, 9:30 PM IST
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