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Amit Shah to visit Jaipur on December 5: अमित शाह के दौरे से क्या मिल पाएगी राजस्थान भाजपा को मजबूती और रुक पाएगी नेताओं में गुटबाजी? - Vasundhara Raje

पंचायती राज चुनाव और विधानसभा उपचुनाव (Assembly by-election) में मिली करारी हार से भाजपा निराश है. चुनाव परिणाम के बाद अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा राजस्थान भाजपा के लिए काफी खास माना जा रहा है. राजस्थान भाजपा में जारी आंतरिक गुटबाजी के बीच सभी की निगाहें शाह के दौरे पर टिकी हुई है.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
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Published : Nov 26, 2021, 8:01 PM IST

जयपुर. अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव और धरियावद वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव (Assembly by-election) में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. खास तौर पर तब जब राजस्थान भाजपा और इसके नेता अलग-अलग खेमों में बैठे नजर आ रहे हों. राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि शाह के इस दौरे से प्रदेश नेताओं के एक गुट को मजबूती मिलेगी. साथ ही चर्चा यह भी है कि अगले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में पार्टी का दारोमदार किस पर रहेगा इसका भी संकेत शाह के दौरे के दौरान मिल जाएंगे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 5 दिसंबर को जयपुर प्रवास के दौरान प्रदेश कार्यसमिति के समापन सत्र और जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे. अमित शाह का जयपुर दौरा उस समय बना है जब प्रदेश भाजपा 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की हार के गम में डूबी है. इससे पहले अलवर और धौलपुर पंचायत राज चुनाव में हार का दंश झेल चुकी थी.

पढ़ें- Amit Shah Rajasthan Trip : गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद अब शाह का प्रस्तावित जयपुर दौरा बना चर्चा का विषय...

मतलब प्रदेश भाजपा नेतृत्व इन दोनों ही चुनाव में पार्टी की हार से कमजोर हुआ. लेकिन अब अमित शाह का जयपुर प्रवास भी प्रदेश नेतृत्व के आग्रह पर ही हो रहा है. ऐसे में प्रदेश भाजपा नेताओं का एक खेमा इसे प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) की मजबूती के तौर पर देख रहा है. हालांकि चर्चा यह भी है कि जिस प्रकार की हार राजस्थान में उपचुनाव के दौरान बीजेपी की हुई उसके बाद सख्ती से एकजुटता का संदेश देने के लिए शाह को भेजा जा रहा है ताकि जहां कोई कमजोरी हो उसे दूर किया जाए.

राजे की यात्रा के बाद ही क्यों बना शाह का दौरा ?

अमित शाह का दौरा वसुंधरा राजे (Vasundharaje's visit to Mewar) की मेवाड़ यात्रा के बाद बना है. इसके भी अपने आप में कई सियासी मायने हैं. दरअसल वसुंधरा राजे अपनी मेवाड़ यात्रा को व्यक्तिगत बताएं. लेकिन जिस प्रकार की भीड़ और हुजूम इस यात्रा के दौरान उमड़ा है वो अपने आप में कई सियासी मैसेज देने वाला है. सियासी गलियारों में इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजे समर्थकों को एकजुट और राजे के पक्ष में जनमत जुटाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. फिर वसुंधरा राजे की यात्रा को लेकर सियासी सरगर्मियां भी बढ़ी और कई बयान भी आए. खासतौर पर इस यात्रा से प्रदेश भाजपा नेतृत्व और उनसे जुड़े नेताओं ने दूरी बनाकर रखी. जो सर्वविदित भी है.

पढ़ें- Rajasthan BJP on Constitution Day : बीजेपी मुख्यालय में मनाया गया संविधान दिवस, नेताओं ने बाबा साहब को दी पुष्पांजलि...

वहीं राजे समर्थक वो नेता जो जयपुर में थे वह मेवाड़ पहुंचकर इस यात्रा की तैयारियों में जुटे रहे. ये अपने आप में इस बात का संदेश है कि प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच समन्वय और तालमेल का अभाव अब भी कायम है. यही कारण है कि राज्य की इस यात्रा के बाद अमित शाह के जयपुर दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि अमित शाह का यह दौरा संभवतः पार्टी की एकजुटता का संदेश देने वाला तो होगा ही साथ ही गुटों में बैठे भाजपा के प्रदेश नेताओं को एक जाजम पर बैठाने वाला भी साबित हो सकता है.

शाह का दौरा देगा कई संदेश

केंद्रीय मंत्री अमित शाह का जयपुर दौरा कई महीनों में अहम माना जा रहा है. खासतौर पर साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा राजस्थान को अजेय भाजपा के रूप में किस प्रकार तब्दील किया जाए और नेताओं में चल रही खेमेबाजी भी खत्म हो. ऐसे में अमित शाह अपने दौरे के दौरान होने वाली बैठकों को संबोधित करेंगे तब कई राजनीतिक संदेश भी देंगे. यह राजनीतिक संदेश साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से राजस्थान भाजपा नेताओं में बहुत कुछ स्थिति को साफ कर करने वाला हो सकता है. सियासी गलियारों में इंतजार अमित शाह के इस दौरे का है और देखना लाजमी भी होगा अमित शाह का यह दौरा क्या राजस्थान भाजपा नेताओं को एकजुट कर पाता है.

जयपुर. अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव और धरियावद वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव (Assembly by-election) में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. खास तौर पर तब जब राजस्थान भाजपा और इसके नेता अलग-अलग खेमों में बैठे नजर आ रहे हों. राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि शाह के इस दौरे से प्रदेश नेताओं के एक गुट को मजबूती मिलेगी. साथ ही चर्चा यह भी है कि अगले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में पार्टी का दारोमदार किस पर रहेगा इसका भी संकेत शाह के दौरे के दौरान मिल जाएंगे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 5 दिसंबर को जयपुर प्रवास के दौरान प्रदेश कार्यसमिति के समापन सत्र और जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे. अमित शाह का जयपुर दौरा उस समय बना है जब प्रदेश भाजपा 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की हार के गम में डूबी है. इससे पहले अलवर और धौलपुर पंचायत राज चुनाव में हार का दंश झेल चुकी थी.

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मतलब प्रदेश भाजपा नेतृत्व इन दोनों ही चुनाव में पार्टी की हार से कमजोर हुआ. लेकिन अब अमित शाह का जयपुर प्रवास भी प्रदेश नेतृत्व के आग्रह पर ही हो रहा है. ऐसे में प्रदेश भाजपा नेताओं का एक खेमा इसे प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) की मजबूती के तौर पर देख रहा है. हालांकि चर्चा यह भी है कि जिस प्रकार की हार राजस्थान में उपचुनाव के दौरान बीजेपी की हुई उसके बाद सख्ती से एकजुटता का संदेश देने के लिए शाह को भेजा जा रहा है ताकि जहां कोई कमजोरी हो उसे दूर किया जाए.

राजे की यात्रा के बाद ही क्यों बना शाह का दौरा ?

अमित शाह का दौरा वसुंधरा राजे (Vasundharaje's visit to Mewar) की मेवाड़ यात्रा के बाद बना है. इसके भी अपने आप में कई सियासी मायने हैं. दरअसल वसुंधरा राजे अपनी मेवाड़ यात्रा को व्यक्तिगत बताएं. लेकिन जिस प्रकार की भीड़ और हुजूम इस यात्रा के दौरान उमड़ा है वो अपने आप में कई सियासी मैसेज देने वाला है. सियासी गलियारों में इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजे समर्थकों को एकजुट और राजे के पक्ष में जनमत जुटाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. फिर वसुंधरा राजे की यात्रा को लेकर सियासी सरगर्मियां भी बढ़ी और कई बयान भी आए. खासतौर पर इस यात्रा से प्रदेश भाजपा नेतृत्व और उनसे जुड़े नेताओं ने दूरी बनाकर रखी. जो सर्वविदित भी है.

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वहीं राजे समर्थक वो नेता जो जयपुर में थे वह मेवाड़ पहुंचकर इस यात्रा की तैयारियों में जुटे रहे. ये अपने आप में इस बात का संदेश है कि प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच समन्वय और तालमेल का अभाव अब भी कायम है. यही कारण है कि राज्य की इस यात्रा के बाद अमित शाह के जयपुर दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि अमित शाह का यह दौरा संभवतः पार्टी की एकजुटता का संदेश देने वाला तो होगा ही साथ ही गुटों में बैठे भाजपा के प्रदेश नेताओं को एक जाजम पर बैठाने वाला भी साबित हो सकता है.

शाह का दौरा देगा कई संदेश

केंद्रीय मंत्री अमित शाह का जयपुर दौरा कई महीनों में अहम माना जा रहा है. खासतौर पर साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा राजस्थान को अजेय भाजपा के रूप में किस प्रकार तब्दील किया जाए और नेताओं में चल रही खेमेबाजी भी खत्म हो. ऐसे में अमित शाह अपने दौरे के दौरान होने वाली बैठकों को संबोधित करेंगे तब कई राजनीतिक संदेश भी देंगे. यह राजनीतिक संदेश साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से राजस्थान भाजपा नेताओं में बहुत कुछ स्थिति को साफ कर करने वाला हो सकता है. सियासी गलियारों में इंतजार अमित शाह के इस दौरे का है और देखना लाजमी भी होगा अमित शाह का यह दौरा क्या राजस्थान भाजपा नेताओं को एकजुट कर पाता है.

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