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जयपुर में दिखा सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा, Ring of Fire के रूप में नजर आए सूर्य देव

साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को दिखा. इस पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देश में कई जगह सूर्य के किनारे का गोलाकर भाग कुछ समय के लिए रिंग के रूप में दिखाई दिया, जिसे 'रिंग ऑफ फायर' (Ring of Fire) कहते हैं. राजधानी जयपुर में भी यह नजारा देखा गया.

राजस्थान में सूर्य ग्रहण, सूर्य ग्रहण 2020
जयपुर में दिखा सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा
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Published : Jun 22, 2020, 12:55 PM IST

जयपुर. साल के सबसे बड़े दिन रविवार को दिखा. इस दौरान आसमान में सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह नजर आया. राजधानी जयपुर के बिड़ला तारामंडल में वैज्ञानिकों ने अद्भुत तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की. हालांकि कोरोना के चलते शहरवासियों की नो एंट्री रही.

जयपुर में दिखा सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा

जयपर में आंशिक सूर्य ग्रहण के चलते शहर में दिन में ही एकबारगी अंधेरा छा गया. पक्षियों की चहचहाहट के बीच हवा एकदम शीतल हो गई. चांद की ओट से निकली सूरज की मुद्रिका को देखना एक अद्भुत दृश्य रहा. जब 11 बजकर 56 मिनट पर जयपुर में करीब 88% सूर्यग्रहण दिखाई दिया. हालांकि जयपुर में सूर्यग्रहण 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो गया था. अमावस्या की काली चांद सूर्य के चमकदार डिस्को को पश्चिमी दिशा से पहले ढकना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे पूरब की तरफ निकलते हुए नजर आया.

चंद्रमा नजदीकी पिंड है, तो आसमान में तेज गति से चलते हुए नजर आता है. बजाएं सूर्य के क्योंकि सूर्य दूर पिंड है, तो इसलिए आसमान में धीरे चलते हुए नजर आता है. इसलिए चंद्रमा अमावस्या सूर्य को पार करते हुए चंद घंटों में निकल जाता है. वहीं ऐसा नजारा किसी चीज को हानि पहुंचा सकता है तो वो केवल और केवल आंखे हैं. इसलिए ऐतिहात के तौर पर आंखों पर चश्मा लगाना ठीक रहता है.

यह भी पढ़ें- चित्तौड़गढ़: सूतक के दौरान बंद रहे मंदिरों के कपाट, ग्रहण के बाद हुआ शुद्धिकरण

चंद्रग्रहण को जहां खुली आंखों से देखना सुरक्षित होता है, वहीं सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है. यही वजह है कि स्पेशल उपकरणों की सहायता से शहरवासियों ने सूर्यग्रहण का दीदार किया.

बता दें की राहु-केतु और सूर्य का एक जगह इकठ्ठे होना ये एक महज इत्तेफाक है. यही वजह है कि सूर्यग्रहण पर जयपुर में अद्भुत नजारा देखने को मिला. जयपुर भाग्यशाली इसलिए भी है कि दिन के बिल्कुल मध्यम भाग में जब सूर्यग्रहण अपने चरम पर था. तब भी शहरवासी अपने कैमरों में साफ तस्वीरें कैद करते दिखे.

ये नजारा ठीक 25 साल पहले 24 अक्टूबर 1995 को हुए सूर्यग्रहण की याद ताजा कर रहा था. वहीं आज से 18 साल 6 माह के बाद एक बार फिर ऐसा मौका आएगा. जब सबसे बड़े दिन पर सूर्यग्रहण दिखाई देगा.

रविवार को साल का सबसे बड़ा दिन 13.38 घंटे का और रात सबसे छोटी हैं. जब सूर्य क्रांति से सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन ओर गया. तब यात्रा में दोपहर 12.28 बजे ऐसी स्थिति आई, जब किरणें एकदम लंबवत होने से किसी भी चीज की परछाई क्वेश्चन के लिए ओझल हो गई.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगर में सूर्य ग्रहण का दिखा अद्भुत नजारा, शोधकर्ताओं ने लिए Ring of Fire के फोटोग्राफ्स

सूर्य की दक्षिणायन यात्रा शुरू हो जाने से 22 जून से दिन छोटे होते जाएंगे और रात बड़ी होगी. वही 23 सितंबर वह दिन होगा, जब दिन और रात बराबर अवधि के होंगे.

जैतारण में नजर आया सूर्य ग्रहण

पाली के जैतारण में भी वैज्ञानिकों ने फिल्टर की मदद से सूर्य ग्रहण के अद्भुत नजारे को अपने कैमरों में कैद किया. सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य चांद सा नजर आते ही रोमांच और बढ़ गया. सूर्य ग्रहण के बाद लोगों ने अपने सामर्थ्य अनुसार गायों को हरी घास खिलकर और पक्षियों को चुग्गा डालकर दान पुण्य किया.

जयपुर. साल के सबसे बड़े दिन रविवार को दिखा. इस दौरान आसमान में सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह नजर आया. राजधानी जयपुर के बिड़ला तारामंडल में वैज्ञानिकों ने अद्भुत तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की. हालांकि कोरोना के चलते शहरवासियों की नो एंट्री रही.

जयपुर में दिखा सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा

जयपर में आंशिक सूर्य ग्रहण के चलते शहर में दिन में ही एकबारगी अंधेरा छा गया. पक्षियों की चहचहाहट के बीच हवा एकदम शीतल हो गई. चांद की ओट से निकली सूरज की मुद्रिका को देखना एक अद्भुत दृश्य रहा. जब 11 बजकर 56 मिनट पर जयपुर में करीब 88% सूर्यग्रहण दिखाई दिया. हालांकि जयपुर में सूर्यग्रहण 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो गया था. अमावस्या की काली चांद सूर्य के चमकदार डिस्को को पश्चिमी दिशा से पहले ढकना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे पूरब की तरफ निकलते हुए नजर आया.

चंद्रमा नजदीकी पिंड है, तो आसमान में तेज गति से चलते हुए नजर आता है. बजाएं सूर्य के क्योंकि सूर्य दूर पिंड है, तो इसलिए आसमान में धीरे चलते हुए नजर आता है. इसलिए चंद्रमा अमावस्या सूर्य को पार करते हुए चंद घंटों में निकल जाता है. वहीं ऐसा नजारा किसी चीज को हानि पहुंचा सकता है तो वो केवल और केवल आंखे हैं. इसलिए ऐतिहात के तौर पर आंखों पर चश्मा लगाना ठीक रहता है.

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चंद्रग्रहण को जहां खुली आंखों से देखना सुरक्षित होता है, वहीं सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है. यही वजह है कि स्पेशल उपकरणों की सहायता से शहरवासियों ने सूर्यग्रहण का दीदार किया.

बता दें की राहु-केतु और सूर्य का एक जगह इकठ्ठे होना ये एक महज इत्तेफाक है. यही वजह है कि सूर्यग्रहण पर जयपुर में अद्भुत नजारा देखने को मिला. जयपुर भाग्यशाली इसलिए भी है कि दिन के बिल्कुल मध्यम भाग में जब सूर्यग्रहण अपने चरम पर था. तब भी शहरवासी अपने कैमरों में साफ तस्वीरें कैद करते दिखे.

ये नजारा ठीक 25 साल पहले 24 अक्टूबर 1995 को हुए सूर्यग्रहण की याद ताजा कर रहा था. वहीं आज से 18 साल 6 माह के बाद एक बार फिर ऐसा मौका आएगा. जब सबसे बड़े दिन पर सूर्यग्रहण दिखाई देगा.

रविवार को साल का सबसे बड़ा दिन 13.38 घंटे का और रात सबसे छोटी हैं. जब सूर्य क्रांति से सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन ओर गया. तब यात्रा में दोपहर 12.28 बजे ऐसी स्थिति आई, जब किरणें एकदम लंबवत होने से किसी भी चीज की परछाई क्वेश्चन के लिए ओझल हो गई.

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सूर्य की दक्षिणायन यात्रा शुरू हो जाने से 22 जून से दिन छोटे होते जाएंगे और रात बड़ी होगी. वही 23 सितंबर वह दिन होगा, जब दिन और रात बराबर अवधि के होंगे.

जैतारण में नजर आया सूर्य ग्रहण

पाली के जैतारण में भी वैज्ञानिकों ने फिल्टर की मदद से सूर्य ग्रहण के अद्भुत नजारे को अपने कैमरों में कैद किया. सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य चांद सा नजर आते ही रोमांच और बढ़ गया. सूर्य ग्रहण के बाद लोगों ने अपने सामर्थ्य अनुसार गायों को हरी घास खिलकर और पक्षियों को चुग्गा डालकर दान पुण्य किया.

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