जयपुर. अलवर में अमीर बनने की चाह में 11 वर्षीय मासूम बालक की नाक, कान काटकर बलि चढ़ाने की ह्रदयविरादक घटना में राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने इस मामले में अलवर कलेक्टर, महानिदेशक पुलिस और अलवर पुलिस अधीक्षक से 15 दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.
आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए इस पूरी घटना को अत्यंत संवेदनशील हृदय विदारक माना है. आयोग अध्यक्ष ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि समाचार पत्र और न्यूज चैनल में मासूम बालक के प्रकाशित चित्र को देखकर आयोग को बहुत अचंभा हुआ. कैसे लोगों ने धन के लालच में एक मासूम बालक की अंधविश्वास के आधार पर हत्या कर दी. कैसे उस मासूम बच्चे के नाखूनों उखाड़े होंगे, कैसे उसके नाक, कान काटे होंगे और किस प्रकार उसके सिर पर कील ठोकी होगी. उस समय उसके शरीर की क्या वेदना रही होगी, ये तो ईश्वर ही जान सकता है.
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आयोग ने इसे मानवता कृत्य अपराध की परिभाषा की परिधि की सीमा से भी आगे माना. आयोग ने इस बात पर आश्चर्य किया कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी ऐसे अंधविश्वासों की राह पर चलते हैं, जबकि हमारे धर्म ग्रंथों में मानवता को मानव का एक सर्वोत्तम गुण बताया है. जिसमें एक मानव की दूसरे मानव के प्रति करुणा और प्रेम की भावना निहित होती है, लेकिन ऐसे अपराधी मानव कहलाने लायक भी नहीं है.
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क्या है मामला...
बता दें कि अलवर के मालाखेड़ा क्षेत्र में अंधविश्वास के चलते 11 साल के एक बच्चे का नाक, कान और नाखून काटकर बलि चढ़ा दी गई. बच्चा 2 दिन से बच्चा घर से गायब था. परिजनों ने अंधविश्वास के चलते परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है.