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राजस्थान में विरोध के बाद खाद्यान्न सहायता की श्रेणी में पंडितों के साथ सभी धर्म शामिल

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Published : May 21, 2020, 11:46 AM IST

Updated : May 21, 2020, 11:54 AM IST

राज्य के मुख्य सचिव ने लॉकडाउन की स्थिति में खाद्यान्न सहायता के लिए 26 श्रेणियों में पात्र व्यक्तियों और परिवारों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए थे, जिसमें मंदिरों में पूजा पाठ करने वाले और कर्मकांडी पंडितों की श्रेणी बनाई गई थी, लेकिन इसमें हिंदू के अलावा अन्य धर्मों को शामिल नहीं किया गया था. जिस पर अन्य धर्मों ने विरोध किया. इसके बाद सरकार ने समीक्षा करते हुए इसमें सभी धर्मों को शामिल कर लिया है.

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खाद्यान्न सहायता की श्रेणी में सभी धर्म शामिल

जयपुर. 15 मई को राज्य के मुख्य सचिव की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को जारी एक पत्र से खड़ा हुआ बवाल अन्य धर्मावलंबियों के विरोध और सरकार की समीक्षा के बाद थम गया है. मुख्य सचिव के इस पत्र में लॉकडाउन की स्थिति में खाद्यान्न सहायता के लिए 26 श्रेणियों में पात्र व्यक्तियों और परिवारों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए थे, इसमें मंदिरों में पूजा पाठ करने वाले और कर्मकांडी पंडितों की तो श्रेणी बनाई गई है, लेकिन ईसाई धर्म के पादरियों, सिख गुरुओं, जैन संतों, बौद्ध धर्मावलंबियों और मुस्लिम समुदाय के मौलवी, मोअज्जिनों, दरगाहों के खादिमों, कब्रिस्तान और श्मशानों में अंतिम संस्कार कराने वालों का जिक्र नहीं किया गया है. वहीं सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश की समीक्षा की और सभी धर्मों के लोगों को इसमें शामिल कर दिया है.

खाद्यान्न सहायता की श्रेणी में सभी धर्म शामिल

इस मामले को लेकर मुस्लिम परिषद संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष यूनुस चौपदार और संस्थापक सदस्य मोहम्मद मोईनुददीन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, खाद्य मंत्री रमेश मीणा, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद को पत्र लिखकर विरोध जताया था और मांग की थी कि सिर्फ एक धर्म के लोगों को सम्मिलित कर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सम्मिलित नहीं किया जाना कतई उचित नहीं है, जबकि लॉकडाउन में सभी वर्ग बराबर प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए पहले जारी आदेश में संशोधन कर सभी को बराबर सहायता प्रदान की जाए. चौपदार ने इस पुरे मामले की जानकारी प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और खाध एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को भी दी. इसके बाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए संशोधन आदेश जारी किए.

ईसाई समुदाय से भी फादर विजय पॉल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि कई चर्च ऐसे हैं, जहां रविवार को मिलने वाले दान से ही परिवार चला रहे हैं और लॉकडाउन में यह सब बंद हो गया. ऐसे में इन्हें भी खाद्यान्न सहायता श्रेणी में लिया जाए. सरकार ने विभिन्न मजदूर और कमजोर वर्गों जैसे नगीना, आभूषण, चूड़ी, फर्नीचर, बुक बाइंडिंग, रंगाई, पुताई, गाईड, कठपुतली और खेल तमाशा, फूल माला, पंचर, पत्तल दोने, झुला, कुली, कुम्हार का काम करने वाले लोगों, घुमंतू/अर्दघुमंतु जाति, गाड़िया, लौहार और लोक कलाकारों ( मांगणियार/कालबेलिया) जातियों को भी इस सूची में शामिल कर सरकार ने राहत प्रदान की है.

यह भी पढ़ें- Corona Update: प्रदेश में कोरोना के 170 नए मामले, अब तक 145 की मौत...कुल आंकड़ा 6015

संशोधन आदेश जारी कर सभी धर्मों के धर्मगुरुओं और अन्य वर्गों को शामिल करने पर मुस्लिम परिषद संस्थान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री रमेश मीणा, वक्फ मंत्री शाले मोहम्मद और वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खानूखान बुधवाली और विभागीय अधिकारियों का आभार व्यक्त किया.

जयपुर. 15 मई को राज्य के मुख्य सचिव की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को जारी एक पत्र से खड़ा हुआ बवाल अन्य धर्मावलंबियों के विरोध और सरकार की समीक्षा के बाद थम गया है. मुख्य सचिव के इस पत्र में लॉकडाउन की स्थिति में खाद्यान्न सहायता के लिए 26 श्रेणियों में पात्र व्यक्तियों और परिवारों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए थे, इसमें मंदिरों में पूजा पाठ करने वाले और कर्मकांडी पंडितों की तो श्रेणी बनाई गई है, लेकिन ईसाई धर्म के पादरियों, सिख गुरुओं, जैन संतों, बौद्ध धर्मावलंबियों और मुस्लिम समुदाय के मौलवी, मोअज्जिनों, दरगाहों के खादिमों, कब्रिस्तान और श्मशानों में अंतिम संस्कार कराने वालों का जिक्र नहीं किया गया है. वहीं सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश की समीक्षा की और सभी धर्मों के लोगों को इसमें शामिल कर दिया है.

खाद्यान्न सहायता की श्रेणी में सभी धर्म शामिल

इस मामले को लेकर मुस्लिम परिषद संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष यूनुस चौपदार और संस्थापक सदस्य मोहम्मद मोईनुददीन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, खाद्य मंत्री रमेश मीणा, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद को पत्र लिखकर विरोध जताया था और मांग की थी कि सिर्फ एक धर्म के लोगों को सम्मिलित कर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सम्मिलित नहीं किया जाना कतई उचित नहीं है, जबकि लॉकडाउन में सभी वर्ग बराबर प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए पहले जारी आदेश में संशोधन कर सभी को बराबर सहायता प्रदान की जाए. चौपदार ने इस पुरे मामले की जानकारी प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और खाध एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को भी दी. इसके बाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए संशोधन आदेश जारी किए.

ईसाई समुदाय से भी फादर विजय पॉल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि कई चर्च ऐसे हैं, जहां रविवार को मिलने वाले दान से ही परिवार चला रहे हैं और लॉकडाउन में यह सब बंद हो गया. ऐसे में इन्हें भी खाद्यान्न सहायता श्रेणी में लिया जाए. सरकार ने विभिन्न मजदूर और कमजोर वर्गों जैसे नगीना, आभूषण, चूड़ी, फर्नीचर, बुक बाइंडिंग, रंगाई, पुताई, गाईड, कठपुतली और खेल तमाशा, फूल माला, पंचर, पत्तल दोने, झुला, कुली, कुम्हार का काम करने वाले लोगों, घुमंतू/अर्दघुमंतु जाति, गाड़िया, लौहार और लोक कलाकारों ( मांगणियार/कालबेलिया) जातियों को भी इस सूची में शामिल कर सरकार ने राहत प्रदान की है.

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संशोधन आदेश जारी कर सभी धर्मों के धर्मगुरुओं और अन्य वर्गों को शामिल करने पर मुस्लिम परिषद संस्थान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री रमेश मीणा, वक्फ मंत्री शाले मोहम्मद और वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खानूखान बुधवाली और विभागीय अधिकारियों का आभार व्यक्त किया.

Last Updated : May 21, 2020, 11:54 AM IST
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