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EXCLUSIVE: लॉकडाउन के दौरान 80,000 से ज्यादा लोगों तक खाना पहुंचा रहा 'अक्षय पात्र'

अक्षय पात्र संस्थान यूं तो डेढ़ लाख स्कूली बच्चों को मिड डे मील पहुंचाने के लिए जाना जाता है, परंतु कोरोना वायरस संक्रमण के भयावह रूप के बाद इस संस्थान ने सामाजिक सेवा में अपना अगला कदम बढ़ाते हुए जरूरतमंद गरीबों के लिए भोजन मुहैया करवाने का भी काम शुरू कर दिया है. अक्षय पात्र संस्थान ने सुबह और शाम को मिलाकर लगभग 80 से 85 हजार लोगों के लिए खाना वितरित करने का जिम्मा संभाला है.

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लॉकडाउन में मिसाल
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Published : Apr 5, 2020, 12:03 PM IST

जयपुर. देश में लोग डाउन के दसवें दिन ईटीवी भारत की टीम जयपुर स्थित अक्षय पात्र संस्थान की रसोई घर में पहुंची. इस रसोई घर में बड़े पैमाने पर खाना तैयार कर जयपुर शहर में वितरित किया जाता है ताकि लॉकडाउन के इस दौर में कोई शख्स भूखा ना सोए. इसके लिए रोजाना प्रशासन से जानकारी मुहैया करवाई जाती है और उसी के आधार पर अक्षय पात्र खाना तैयार कर प्रशासन को सौंप देता है.

लॉकडाउन में मिसाल

अक्षय पात्र संस्थान यूं तो डेढ़ लाख स्कूली बच्चों को मिड डे मील पहुंचाने के लिए जाना जाता है, परंतु कोरोना वायरस संक्रमण के भयावह रूप के बाद इस संस्थान ने सामाजिक सेवा में अपना अगला कदम बढ़ाते हुए जरूरतमंद गरीबों के लिए भोजन मुहैया करवाने का भी काम शुरू कर दिया है. अक्षय पात्र संस्थान ने सुबह और शाम को मिलाकर लगभग 80 से 85 हजार लोगों के लिए खाना वितरित करने का जिम्मा संभाला है ताकि इस दौर में सामाजिक संस्थाएं भी अपने सरोकार निभाकर सरकार के साथ जिम्मेदारी निभा सके. अक्षय पात्र की एक विशाल रसोई घर में मशीनों के जरिए चपाती दाल और सब्जी बनाई जाती है. जिसके बाद इसका वितरण किया जाता है.

लॉकडाउन में मिसाल

यह भी पढ़ें- Special: ईटीवी की खबरों के बाद बदली तस्वीर, शेल्टर होम में मिली राहत

ईटीवी भारत की टीम अक्षय पात्र की रसोई में पहुंची और एक साथ 80 हजार से ज्यादा लोगों का खाना बनने और पैक होने की पूरी प्रक्रिया को जाना. आपको बता दें कि अक्षय पात्र संस्थान की इस रसोई में रोजाना लगभग दो लाख रोटियां बनाई जा रही हैं. वहीं 11 बायलर में लगभग 12 सॉलिटेयर के आसपास दाल उबाली जाती है. इस काम में पूरी तरह से मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. रोटी बनाने वाली मशीन 1 घंटे में लगभग 25000 चपाती तैयार करती है, इस तरह से पूरा खाना बनाने में ढाई से 3 घंटे का समय लगता है.

अक्षय पात्र की इस रसोई में सुबह लगभग 6:00 बजे लंच की तैयारी शुरू होती है और 9:30 बजे तक इसे वितरण के लिए गाड़ियों में लोड कर दिया जाता है. इसी तरह से 2:00 बजे बाद डिनर के लिए खाना बनना शुरू होता है और लगभग 5:00 बजे के आसपास खाने का वितरण की तैयारी शुरू हो जाती है.

जयपुर. देश में लोग डाउन के दसवें दिन ईटीवी भारत की टीम जयपुर स्थित अक्षय पात्र संस्थान की रसोई घर में पहुंची. इस रसोई घर में बड़े पैमाने पर खाना तैयार कर जयपुर शहर में वितरित किया जाता है ताकि लॉकडाउन के इस दौर में कोई शख्स भूखा ना सोए. इसके लिए रोजाना प्रशासन से जानकारी मुहैया करवाई जाती है और उसी के आधार पर अक्षय पात्र खाना तैयार कर प्रशासन को सौंप देता है.

लॉकडाउन में मिसाल

अक्षय पात्र संस्थान यूं तो डेढ़ लाख स्कूली बच्चों को मिड डे मील पहुंचाने के लिए जाना जाता है, परंतु कोरोना वायरस संक्रमण के भयावह रूप के बाद इस संस्थान ने सामाजिक सेवा में अपना अगला कदम बढ़ाते हुए जरूरतमंद गरीबों के लिए भोजन मुहैया करवाने का भी काम शुरू कर दिया है. अक्षय पात्र संस्थान ने सुबह और शाम को मिलाकर लगभग 80 से 85 हजार लोगों के लिए खाना वितरित करने का जिम्मा संभाला है ताकि इस दौर में सामाजिक संस्थाएं भी अपने सरोकार निभाकर सरकार के साथ जिम्मेदारी निभा सके. अक्षय पात्र की एक विशाल रसोई घर में मशीनों के जरिए चपाती दाल और सब्जी बनाई जाती है. जिसके बाद इसका वितरण किया जाता है.

लॉकडाउन में मिसाल

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ईटीवी भारत की टीम अक्षय पात्र की रसोई में पहुंची और एक साथ 80 हजार से ज्यादा लोगों का खाना बनने और पैक होने की पूरी प्रक्रिया को जाना. आपको बता दें कि अक्षय पात्र संस्थान की इस रसोई में रोजाना लगभग दो लाख रोटियां बनाई जा रही हैं. वहीं 11 बायलर में लगभग 12 सॉलिटेयर के आसपास दाल उबाली जाती है. इस काम में पूरी तरह से मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. रोटी बनाने वाली मशीन 1 घंटे में लगभग 25000 चपाती तैयार करती है, इस तरह से पूरा खाना बनाने में ढाई से 3 घंटे का समय लगता है.

अक्षय पात्र की इस रसोई में सुबह लगभग 6:00 बजे लंच की तैयारी शुरू होती है और 9:30 बजे तक इसे वितरण के लिए गाड़ियों में लोड कर दिया जाता है. इसी तरह से 2:00 बजे बाद डिनर के लिए खाना बनना शुरू होता है और लगभग 5:00 बजे के आसपास खाने का वितरण की तैयारी शुरू हो जाती है.

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