जयपुर. राहुल गांधी आगामी 12 और 13 फरवरी को राजस्थान के दौरे पर रहेंगे और हनुमानगढ़ के साथ नागौर जिले के मकराना में किसानों के साथ संवाद करेंगे. एक विशाल किसान जनसभा को संबोधित करेंगे. यही नहीं राहुल गांधी किशनगढ़ से परबतसर तक ट्रैक्टर रैली में भी शरीक होंगे, जिसमें वह खुद ट्रैक्टर की स्टेरिंग संभालेंगे. राहुल गांधी के इस दौरे की तैयारियों और सभा स्थल की जानकारी लेने के लिए राजस्थान के प्रभारी अजय माकन दो दिवसीय राजस्थान दौरे पर हैं.
इस दौरान माकन ने मकराना और कुचामन सिटी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक ली. बैठक में राहुल गांधी की सभा में ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने गैर कानूनी तरीके से कृषि कानून किसानों और देश की जनता पर थोपे हैं. लेकिन कांग्रेस यह नहीं होने देगी और सरकार को यह काले कानून वापस लेने ही होंगे. किसानों की आवाज को बुलंद करने और उन्हें काले कानूनों के नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए कांग्रेस के शीर्ष स्तर के नेता विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं. राहुल गांधी का दौरा भी इसी की एक कड़ी है, जिसमें राजस्थान के हनुमानगढ़ और मकराना में किसानों से जनसंवाद करेंगे और आमजन से सभा के जरिए रूबरू होंगे.
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इस दौरान अजय माकन के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नागौर के प्रभारी मंत्री हरीश चौधरी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी और परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया भी मौजूद रहे. मीडिया से रूबरू हुए राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी संसद में भावुक हुए और उनके आंसू भी आ गए. लेकिन दिल्ली के दहलीज पर 200 किसानों की मौत हो चुकी है. कई किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में खुदकुशी भी की है, उन किसानों के लिए मोदी ने संवेदना जाहिर नहीं की. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई.
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माकन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की माताजी के निधन पर संवेदना जाहिर कर सकते हैं, लेकिन अपने देश के किसानों की मौत पर उन्हें जरा भी दर्द नहीं होता. वह इस मामले में अब तक क्यों चुप हैं? माकन ने कहा कि कृषि कानूनों को गैरकानूनी तरीके से और तानाशाही अंदाज में सरकार ने पास तो करा लिया, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि उस पर चर्चा की जाए. लेकिन यह बात सही नहीं कही जा सकती.
उन्होंने कहा कि कोई भी कानून अधिनियम जब पारित कराना होता है तो पहले संसदीय समितियों में चर्चा होती है और जब किसानों से जुड़ा कानून पास करना था तो उसकी चर्चा किसानों और किसानों के संगठनों से भी करनी थी. लेकिन सरकार ने यह सब नहीं किया. उन काले कानूनों को देश पर थोप दिया, लेकिन चाहे कुछ भी हो सरकार से यह कानून वापस करवाकर ही दम लेंगे.