जयपुर. कोरोना के कारण 24 मार्च 2020 को पहला लॉकडाउन लगा. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुए दिहाड़ी मजदूर, थड़ी-ठेले वाले, फुटपाथी, किराए पर रहने वाले मजदूर और डेरा-तम्बू तानकर रहने वाले लोग. इन लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया. तब एक एडवोकेट दंपती ने एक पहल शुरू की.
एडवोकेट दंपती ने घर में भोजन बनाकर जरूरतमंदों को बांटना शुरू किया. इस मुहिम को चलते सवा साल हो गया है. आज भी यह दंपती जरूरतमंदों पर भोजन पहुंचा रहा है. एडवोकेट गिर्राज प्रसाद मेहरा राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में प्रेक्टिस करते हैं. उनके इस नेक काम मे उनकी पत्नी मंजू भी शिद्दत से साथ देती हैं. हर दिन घर से 500 लोगों का सुबह और 500 लोगों का शाम का भोजन बना कर अपनी एक्टिवा से ये पति पत्नी झुग्गी-झोपड़ियों तक पहुंचते हैं और भोजन वितरित करते हैं.
एडवोकेट गिर्राज मेहरा बताते है कि जब मार्च 2020 में पहली बार लॉकडाउन लगा तब आस-पास के कुछ लोग खाना लेने उनके घर आये. उस वक्त उन्होंने उन्हें कुछ भोजन तो दिया. लेकिन उनके मन में ख्याल आया कि ऐसे कितने लोग हैं जिनके सामने खाने की दिक्क्त होगी. इसके बाद उन्होंने अपने आस-पास के जरूरतमंद गरीब लोगों की सूची तैयार की. आरंभ में तो 20 से 25 लोगों की मदद की. लेकिन बाद में यह संख्या 500 के करीब पहुंच गई. हालांकि शुरुआत में थोड़ी दिक्क्त आई लेकिन बाद में कई भामाशाह उनके इस मिशन से जुड़ गए.
लॉकडाउन के बाद भी चलता रहा अभियान
एडवोकेट गिर्राज मेहरा बताते हैं कि पिछले कोरोना काल में लोगों तक भोजन पहुंचाया. तब अनलॉक हुआ तो लगा कि अब अभियान को बंद कर देना चाहिए. लेकिन पता चला कि कई लोगों को काम-धंधा नहीं मिल रहा. ऐसे में अनलॉक के दौरान भी सेवा जारी रखी. हालांकि तब 500 की जगह 200 फूड पैकेट ही लोगों तक पहुंचाए. कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगे लॉकडाउन में वापस फूड पैकेट की संख्या बढ़ा दी गई.
मिल रहा जन सहयोग
गिर्राज बताते हैं कि अगर अच्छी नियत से कोई काम शुरू किया जाए तो लोग आपके साथ जुड़ जाते हैं. इस समय उनके साथ सेवा में पार्षद किशन लाल मौर्य वार्ड सं 112 ग्रेटर नगर निगम जयपुर, जयसिंह, सुल्तान सिंह, गीता वेद, रवि मेघवाल, मनोज जैन, चारू शर्मा, अनिल त्रिपाठी, एडवोकेटगण भीम सैन बैरवा, गुरू प्रसाद लेखरा, हितेश राही, रमेश चन्द काका, मनोज पिंगोलिया सहयोग दे रहे हैं. इसके अलावा तीर्थ नारायण डेयरी वाला, दुर्गा लाल टेंट हाऊस भी साथ निभा रहे हैं. अभियान में लोगों के जुड़ने से आर्थिक दिक्कत नहीं आ रही है.
पत्नी मंजू का मिला पूरा साथ
गिर्राज की पत्नी मंजू हाउस वाइफ हैं. हर दिन वह अपने पति गिर्राज के साथ एक्टिवा पर बैठकर जरूरतमंदों तक भोजन भी पहुंचाती हैं और घर में बेटियों के सहयोग से पहले खाना बनाती हैं. मंजू बताती हैं कि जो खाना हमारे लिए घर में बनता है वही खाना हम लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
हर दिन खाने का मीनू अलग
मंजू ने बताया कि किसी दिन चपाती, सब्जी और किसी दिन दाल चावल, खाने के साथ-साथ प्रतिदिन छाछ जरूर देते हैं. भोजन के पैकेट्स में कुछ पैकिट कोविड पेशेंट के परिवारों मे ऑनकॉल पर भिजवाये जाते हैं. शेष पैकेट जगतपुरा जयपुर के आस-पास रहने वाले उन मजदूर परिवारों के पास पहुंचाते हैं जिनके पास काम-धंधा नहीं है.