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Right of Way While Leasing : कृषि भूमि पर कॉलोनियों में पट्टे देने के साथ 'यह' भी करना होगा सुनिश्चित..

राजस्थान में शहरी निकायों (urban bodies of Rajasthan) में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में भी पट्टे जारी करने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. पट्टे देने के साथ रास्ते की चौड़ाई और पार्किंग सुनिश्चित करनी होगी. नगरीय विकास आवासन और स्वायत्त शासन विभाग ने निकायों की ओर से कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के भूखंडों के संबंध में मांगे गए मार्गदर्शन के संबंध में ये निर्देश जारी किए हैं.

Right of Way While Leasing
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Published : Jan 7, 2022, 1:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान के शहरी निकायों ने नगरीय विकास आवासन और स्वायत्त शासन विभाग (Rajasthan Autonomous Government Department news) से कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में पट्टा करने को लेकर गाइडेंस मांगी थी. विभाग और मंडल ने कहा है कि पट्टे दीजिये लेकिन पार्किंग और रास्ते की चौड़ाई सुनिश्चित कीजिए. साथ ही कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के ले-आउट प्लान स्वीकृत कर फ्री-होल्ड पट्टे देने 90बी/90ए से जुड़े प्रकरणों के संबंध में भी आदेश स्पष्ट किए गए हैं.

ले-आउट प्लान स्वीकृत कर फ्री होल्ड पट्टे देना

17 जून 1999 से पहले की कॉलोनियों (rights of colonies on agricultural land) में सुविधा क्षेत्र 30 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. टाउनशिप पॉलिसी 2010 में 5 एकड़ (2 हेक्टयर तक) की योजनाओं में सुविधा क्षेत्र 30 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. इससे ज्यादा क्षेत्रफल की योजनाओं में सुविधा क्षेत्र / सड़क का 40 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. निकायों की ओर से पूर्व के वर्षों में अलग-अलग धारा 90-बी / 90-ए की कार्यवाही कर छित्तरे हुए रूप में भूखण्डों के साइट प्लान स्वीकृत किये जा चुके हैं. ऐसे प्रकरणों में पूर्व में स्वीकृत साईट प्लान का उस समय के निर्णयानुसार कमेटमेंट मानते हुए पट्टे दिए जा सकते हैं.

सड़क मार्गाधिकार रखते हुए संशोधित फ्री होल्ड पट्टे देना

कई शहरों में मुख्य सड़कों का मार्गाधिकार मास्टर प्लान से भी अधिक रख कर पूर्व में पट्टे जारी किए गए हैं. ऐसे प्रकरणों में नगरीय योग्य क्षेत्र में पूर्व में जारी पट्टों के साथ दर्शाया मार्गाधिकार पहले की तरह रखा जाए. जबकि नये जारी किये जाने वाले पट्टों में स्वीकृत मास्टर प्लान के अनुसार ही सड़कों का मार्गाधिकार रखा जाए. पूर्व में जारी किए गए लीज होल्ड पट्टों को पूर्व में दर्शाये मार्गाधिकार को पहले की तरह अंकित कर फ्री-होल्ड पट्टे दिए जा सकते हैं.

पढ़ें- राजस्थान में कुसुम योजना को लगे पंख, अब बिना कोलेटरल सिक्योरिटी के बैंक देंगे ऋण

व्यावसायिक भू-खंडों के संबन्ध में निर्देश

जहां मास्टर प्लान में भूमि का उपयोग व्यवसायिक या मिश्रित दर्शाया गया है. उस पर निर्मित व्यावसायिक भवनों / दुकानों को व्यवसायिक पट्टा दिया जाना है. ऐसा करते समय मास्टर प्लान में दर्शाए गया मार्गाधिकार की चौड़ाई सुनिश्चित की जाए. यदि दुकानें मार्केट का रूप ले चुकी है, तो उस क्षेत्र में किसी खाली जगह को पार्किंग के लिए आरक्षित की जाए. यदि मौके पर व्यावसायिक भवन या दुकानें बनी हुई है, लेकिन मास्टर प्लान में आवासीय या अन्य भू-उपयोग दर्शाया गया है. ऐसे प्रकरणों में नगर निकाय की ओर से सम्पूर्ण ऐसे कोरिडोर या भू-पट्टी क्षेत्र का मास्टर प्लान में प्रक्रिया अनुसार संशोधन कराकर व्यवसायिक पट्टे जारी किये जा सकते हैं.

जिन मास्टर प्लान या जोनल डवलपमेंट प्लान में व्यावसायिक या मिश्रित भू-उपयोग दर्शाया गया है, उनमें व्यावसायिक पट्टे दिये जाएंगे. पूर्व में 90-बी/90-ए हो चुकी योजनाओं के ले-आउट स्वीकृत है जिनमें व्यवसायिक भूखण्ड भी निर्धारित किये गये थे, लेकिन ले-आउट के अनुसार व्यावसायिक पट्टे नहीं दिये गये हैं, ऐसे स्वीकृत ले-आउट के अनुसार व्यवसायिक पट्टे भी दिये जाएंगे.

इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति की भूमियों पर बसी कॉलोनियों और अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर पट्टे जारी करने को लेकर पूर्व में जारी की गई वित्त विभाग की अधिसूचना और नगरीय विकास विभाग के आदेश के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान के शहरी निकायों ने नगरीय विकास आवासन और स्वायत्त शासन विभाग (Rajasthan Autonomous Government Department news) से कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में पट्टा करने को लेकर गाइडेंस मांगी थी. विभाग और मंडल ने कहा है कि पट्टे दीजिये लेकिन पार्किंग और रास्ते की चौड़ाई सुनिश्चित कीजिए. साथ ही कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के ले-आउट प्लान स्वीकृत कर फ्री-होल्ड पट्टे देने 90बी/90ए से जुड़े प्रकरणों के संबंध में भी आदेश स्पष्ट किए गए हैं.

ले-आउट प्लान स्वीकृत कर फ्री होल्ड पट्टे देना

17 जून 1999 से पहले की कॉलोनियों (rights of colonies on agricultural land) में सुविधा क्षेत्र 30 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. टाउनशिप पॉलिसी 2010 में 5 एकड़ (2 हेक्टयर तक) की योजनाओं में सुविधा क्षेत्र 30 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. इससे ज्यादा क्षेत्रफल की योजनाओं में सुविधा क्षेत्र / सड़क का 40 प्रतिशत रखा जाना आवश्यक है. निकायों की ओर से पूर्व के वर्षों में अलग-अलग धारा 90-बी / 90-ए की कार्यवाही कर छित्तरे हुए रूप में भूखण्डों के साइट प्लान स्वीकृत किये जा चुके हैं. ऐसे प्रकरणों में पूर्व में स्वीकृत साईट प्लान का उस समय के निर्णयानुसार कमेटमेंट मानते हुए पट्टे दिए जा सकते हैं.

सड़क मार्गाधिकार रखते हुए संशोधित फ्री होल्ड पट्टे देना

कई शहरों में मुख्य सड़कों का मार्गाधिकार मास्टर प्लान से भी अधिक रख कर पूर्व में पट्टे जारी किए गए हैं. ऐसे प्रकरणों में नगरीय योग्य क्षेत्र में पूर्व में जारी पट्टों के साथ दर्शाया मार्गाधिकार पहले की तरह रखा जाए. जबकि नये जारी किये जाने वाले पट्टों में स्वीकृत मास्टर प्लान के अनुसार ही सड़कों का मार्गाधिकार रखा जाए. पूर्व में जारी किए गए लीज होल्ड पट्टों को पूर्व में दर्शाये मार्गाधिकार को पहले की तरह अंकित कर फ्री-होल्ड पट्टे दिए जा सकते हैं.

पढ़ें- राजस्थान में कुसुम योजना को लगे पंख, अब बिना कोलेटरल सिक्योरिटी के बैंक देंगे ऋण

व्यावसायिक भू-खंडों के संबन्ध में निर्देश

जहां मास्टर प्लान में भूमि का उपयोग व्यवसायिक या मिश्रित दर्शाया गया है. उस पर निर्मित व्यावसायिक भवनों / दुकानों को व्यवसायिक पट्टा दिया जाना है. ऐसा करते समय मास्टर प्लान में दर्शाए गया मार्गाधिकार की चौड़ाई सुनिश्चित की जाए. यदि दुकानें मार्केट का रूप ले चुकी है, तो उस क्षेत्र में किसी खाली जगह को पार्किंग के लिए आरक्षित की जाए. यदि मौके पर व्यावसायिक भवन या दुकानें बनी हुई है, लेकिन मास्टर प्लान में आवासीय या अन्य भू-उपयोग दर्शाया गया है. ऐसे प्रकरणों में नगर निकाय की ओर से सम्पूर्ण ऐसे कोरिडोर या भू-पट्टी क्षेत्र का मास्टर प्लान में प्रक्रिया अनुसार संशोधन कराकर व्यवसायिक पट्टे जारी किये जा सकते हैं.

जिन मास्टर प्लान या जोनल डवलपमेंट प्लान में व्यावसायिक या मिश्रित भू-उपयोग दर्शाया गया है, उनमें व्यावसायिक पट्टे दिये जाएंगे. पूर्व में 90-बी/90-ए हो चुकी योजनाओं के ले-आउट स्वीकृत है जिनमें व्यवसायिक भूखण्ड भी निर्धारित किये गये थे, लेकिन ले-आउट के अनुसार व्यावसायिक पट्टे नहीं दिये गये हैं, ऐसे स्वीकृत ले-आउट के अनुसार व्यवसायिक पट्टे भी दिये जाएंगे.

इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति की भूमियों पर बसी कॉलोनियों और अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर पट्टे जारी करने को लेकर पूर्व में जारी की गई वित्त विभाग की अधिसूचना और नगरीय विकास विभाग के आदेश के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.

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