जयपुर. प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम (prevention of adulteration) को लेकर हाल ही में विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पारित किया गया है. इससे पहले मिलावट को लेकर राज्य में किसी तरह की कोई दंडात्मक प्रक्रिया नहीं थी. मिलावट करने वाला व्यक्ति मामूली से जुर्माना देकर छूट जाया करता था लेकिन अब खाद्य पदार्थ में मिलावट करने वाले व्यक्ति को जुर्माने के साथ साथ जेल भी जाना पड़ेगा. यही कानून नकली दवा बेचने या बनाने पर भी लागू होगा.
त्योहारी सीजन में चिकित्सा विभाग की ओर से मिलावट की रोकथाम के लिए अभियान चलाए जाते हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में मिलावटी खाद्य पदार्थ पकड़े जाते हैं. कुछ पदार्थ मौके पर नष्ट करवाए जाते हैं लेकिन इससे पहले मिलावट करने पर कठोर सजा का प्रावधान नहीं है. ऐसे में मिलावट करने वाला मिलावट खोर आसानी से बच जाता है लेकिन अब राज्य सरकार मिलावटखोरी पर नया कानून लेकर आई है. जिसके बाद यह एक गंभीर अपराध की श्रेणी में शामिल हो गया है. ऐसे में मिलावट करने पर यह गैर जमानती अपराध होगा.
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मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि चिकित्सा विभाग की ओर से समय-समय पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान (Shudh Ke liye Yudh) चलाया जाता है. जिसमें चिकित्सा विभाग ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस का सहयोग भी लिया जाता है. हमारी कोशिश होती है कि मिलावट करने वाले मिलावटखोरों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
अब मिलावट गैर जमानती अपराध
खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 272 से 276 में संशोधन किया गया है. जिसके बाद मिलावट करना एक गैर जमानती अपराध होगा. अपराधी को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा. जिसमें 1 साल से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान और जुर्माने की राशि तय की गई है. वहीं मिलावटी दवाओं को भी इस एक्ट में शामिल किया गया है. दवा में मिलावट (punishment for adulteration in medicine) करने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान इस एक्ट में है.
यदि कोई खाद्य पदार्थ सब स्टैंडर्ड पाया जाता है तो उसमें 1 से 7 साल की सजा और 10 हजार रुपए से अधिक जुर्माना होगा. वहीं खाने-पीने की चीजों में मिलावट पाई जाती है तो उसमें 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जाएगी. साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा.