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SPECIAL: भीलवाड़ा के सामने थी दो चुनौती, कोरोना को हराना और कलंक मिटाना, दोनों पर पाई विजय

राजस्थान में कोरोना वायरस से पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा हर दिन लगातार बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार शाम तक प्रदेश में कुल 166 कोरोना वायरस मरीज सामने आ चुके हैं. फिलहाल, सबसे ज्यादा केस जयपुर में देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में जब कोरोना वायरस की शुरुआत हुई तो भीलवाड़ा में सबसे ज्यादा मरीज देखने को मिले. लेकिन भीलवाड़ा में प्रशासन ने समय रहते हैं कड़े कदम उठाए और मरीजों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई.

भीलवाड़ा में कोरोना का 4 दिन में एक भी मरीज नहीं, Not a single patient of corona in Bhilwara in 4 days
भीलवाड़ा की कोरोना से जंग
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Published : Apr 3, 2020, 9:11 PM IST

भीलवाड़ा/जयपुर. राजस्थान में कोरोना वायरस से पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा हर दिन लगातार बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार शाम तक प्रदेश में कुल 166 कोरोना वायरस मरीज सामने आ चुके थे. फिलहाल प्रदेश में सबसे अधिक मामले राजधानी जयपुर से देखने को मिले हैं. लेकिन प्रदेश में जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था भीलवाड़ा.

भीलवाड़ा की कोरोना से जंग

एक के बाद एक कोरोना संक्रमित लोगों के सामने आने के बाद प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे. अब प्रशासन के सामने दो चुनौतियां थी, पहली कोरोना पर काबू पाना और दूसरा इस महामारी के कारण जिले के माथे पर लगे कलंक को मिटाना. हालांकि भीलवाड़ा ने अपने हौसले और हिम्मत से न केवल कोरोना के खिलाफ जंग में विजय पाई, बल्कि प्रदेश के मुखिया तक से वाहवाही भी बटोरी.

शुक्रवार को जिले से सुखद खबर आई. 26 कोरोना संक्रमित लोगों में से 15 को पूरी तरह से ठीक होने के बाद घर भेज दिया गया. इन मरीजों के कोरोना संक्रमित होने से लेकर इनके ठीक होकर घर जाने की कहानी बड़ी रोचक है, जो प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए प्रेरणादायी बनने वाली है. जिस प्रकार से भीलवाड़ा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और फिर जीत हासिल की. यह सब किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

भीलवाड़ा को पुकारा जाने लगा 'राजस्थान का इटली'....

अभी तक 26 मामले भीलवाड़ा से दर्ज किए गए हैं. भीलवाड़ा में जिस तरह से कोरोना पॉजिटिव लगातार सामने आ रहे थे. इसे 'राजस्थान का इटली' तक कहा जाने लगा था. लेकिन अपने अथक प्रयासों और सही रणनीति के चलते भीलवाड़ा ने इस कलंक से न केवल मुक्ति पाई बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा भी बनकर उभरा.

भीलवाड़ा ने ऐसे पाई कोरोना पर विजय:

'लॉकडाउन' से लेकर 'महा कर्फ्यू' तक का सफर....

भीलवाड़ा जिला प्रशासन की ओर से कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए. पहले 'लॉकडाउन' फिर 'कर्फ्यू' और उसके बाद 'महा कर्फ्यू'. भीलवाड़ा ने वो सब किया जो इस महामारी के प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए जरूरी था.

सीमाओं को किया सील....

प्रशासन ने जिले से लगती सभी सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया. ऐसे में ना तो कोई बाहरी व्यक्ति भीलवाड़ा में आ सकता था और ना ही यहां से बाहर जा सकता था.

स्वास्थ्य विभाग मुस्तैद....

स्वास्थ्य विभाग की टीमें मैदान में उतरी और जिले के हर उस व्यक्ति और परिवार की स्क्रीनिंग की गई जिसके संदिग्ध होने को लेकर थोड़ी सी भी शंका थी. भीलवाड़ा में चिकित्सा दलों ने करीब 8 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की.

इस प्रयास का नतीजा ये निकला कि जिले में तेजी पैर पसार रहे कोरोना पर लगाम लगाई जा सकी. जिले में 7,967 टीमों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है. अब तक 6,29,125 घरों का सर्वे कर 31,54,000 लोगों का परीक्षण किया जा चुका है.

कोरोना पॉजिटिव मरीजों का रखा गया विशेष ध्यान....

इलाज के दौरान कोरोना पॉजिटिव मरीजों का विशेष ध्यान रखा गया. उनकी डाइट से लेकर दिनचर्या तक पर बारीकी से नजर रखी गई. समय-समय पर उनकी जांच की गई.

कोरोना मरीजों का डॉक्टर्स ने बढ़ाया उत्साह....

कोरोना जैसी गंभीर बीमारी के बीच माहौल को हल्का-फुल्का बनाने के लिए डॉक्टर्स ने सभी जतन किए. मरीजों को समय पर दवा देने के अलावा समय-समय पर उनका हौसला भी बढ़ाया गया. हाल ही में भीलवाड़ा से एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. इस वीडियो में मेडिकल स्टाफ गाना गाकर मरीजों का उत्साह बढ़ाता दिखाई दिया.

पांच दिन में एक भी नया पॉजिटिव नहीं आया सामने....

भीलवाड़ा में अंतिम केस 30 मार्च को सामने आया था. इसके बाद से अभी तक कोई नया मामला भीलवाड़ा में देखने को नहीं मिला है. यह सब डॉक्टर्स की दिन-रात मेहनत से ही संभव हो सका.

लोगों को लगातार किया जागरूक....

प्रशासन द्वारा लोगों को लगातार जागरूक करने का काम किया गया. लोगों को मास्क लगाने, साबुन से हाथ धोने, हैंड सेनिटाइजर का उपयोग करने, साफ-सुथरे कपड़े पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और घरों में रहने के लिए बार-बार समझाया गया.

चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात....

कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिसकर्मियों के सहयोग को भी नकारा नहीं जा सकता. 'महा कर्फ्यू' के दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई, जिसके चलते इसे सख्ती से लागू किया गया.

कलेक्टर ने कभी जोड़े हाथ, कभी दिखाई आंख.....

भीलवाड़ा आज जिस सफलता की कहानी गढ़ रहा है इसका सबसे अधिक श्रेय जिले के मुखिया/कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को जाता है. इन्होंने अपनी सूझबूझ से न केवल पूरे जिले को संभाला, बल्कि एक पिता की तरह कभी प्रेम से, तो कभी डरा धमकाकर इस महामारी पर काबू पाया.

यहां तक की जब जिले में थोक और खुदरा विक्रेताओं द्वारा इस संकट काल में खाद्य सामग्री तय कीमत से अधिक कीमत पर बेचने की खबरें सामने आईं तो कलेक्टर ने हाथ जोड़कर उनसे भावुक अपील की.

अपनी अपील में राजेंद्र भट्ट ने कहा कि, इस वक्त पुनीत का कार्य है ईश्वर आपको देख रहा है. आप लोगों की मदद करें. आप इस वक्त मुनाफा ज्यादा कमाते हो तो जीवन में आपको कभी बरकत नहीं मिलेगी. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो ठोस कार्रवाई की जाएगी.

कलेक्टर की अपील पर भामाशाह आए आगे....

कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को यह भलीभांति पता था कि लॉकडाउन और महा कर्फ्यू के दौरान गरीब और श्रमिक वर्ग के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट उत्पन्न होने वाला है. इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने प्रशासन को मजबूती से इस काम में लगाया.

इसके अलावा उन्होंने जिले के भामाशाहों से भी अपील की. अपनी अपील में उन्होंने कहा कि जो लोग सक्षम हैं वो गरीब और श्रमिक वर्ग की मदद के लिए आगे आएं. भूखों को खाना खिलाएं.

मीडिया तक लगाई पाबंदी....

ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर कवरेज के लिए पाबंदी लगाई जाए. लेकिन जिला कलेक्टर को जब लगा कि ऐसा आवश्यक है, तो उन्होंने इस कठोर फैसले को लेने में भी संकोच नहीं किया.

भीलवाड़ा/जयपुर. राजस्थान में कोरोना वायरस से पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा हर दिन लगातार बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार शाम तक प्रदेश में कुल 166 कोरोना वायरस मरीज सामने आ चुके थे. फिलहाल प्रदेश में सबसे अधिक मामले राजधानी जयपुर से देखने को मिले हैं. लेकिन प्रदेश में जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था भीलवाड़ा.

भीलवाड़ा की कोरोना से जंग

एक के बाद एक कोरोना संक्रमित लोगों के सामने आने के बाद प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे. अब प्रशासन के सामने दो चुनौतियां थी, पहली कोरोना पर काबू पाना और दूसरा इस महामारी के कारण जिले के माथे पर लगे कलंक को मिटाना. हालांकि भीलवाड़ा ने अपने हौसले और हिम्मत से न केवल कोरोना के खिलाफ जंग में विजय पाई, बल्कि प्रदेश के मुखिया तक से वाहवाही भी बटोरी.

शुक्रवार को जिले से सुखद खबर आई. 26 कोरोना संक्रमित लोगों में से 15 को पूरी तरह से ठीक होने के बाद घर भेज दिया गया. इन मरीजों के कोरोना संक्रमित होने से लेकर इनके ठीक होकर घर जाने की कहानी बड़ी रोचक है, जो प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए प्रेरणादायी बनने वाली है. जिस प्रकार से भीलवाड़ा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और फिर जीत हासिल की. यह सब किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

भीलवाड़ा को पुकारा जाने लगा 'राजस्थान का इटली'....

अभी तक 26 मामले भीलवाड़ा से दर्ज किए गए हैं. भीलवाड़ा में जिस तरह से कोरोना पॉजिटिव लगातार सामने आ रहे थे. इसे 'राजस्थान का इटली' तक कहा जाने लगा था. लेकिन अपने अथक प्रयासों और सही रणनीति के चलते भीलवाड़ा ने इस कलंक से न केवल मुक्ति पाई बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा भी बनकर उभरा.

भीलवाड़ा ने ऐसे पाई कोरोना पर विजय:

'लॉकडाउन' से लेकर 'महा कर्फ्यू' तक का सफर....

भीलवाड़ा जिला प्रशासन की ओर से कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए. पहले 'लॉकडाउन' फिर 'कर्फ्यू' और उसके बाद 'महा कर्फ्यू'. भीलवाड़ा ने वो सब किया जो इस महामारी के प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए जरूरी था.

सीमाओं को किया सील....

प्रशासन ने जिले से लगती सभी सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया. ऐसे में ना तो कोई बाहरी व्यक्ति भीलवाड़ा में आ सकता था और ना ही यहां से बाहर जा सकता था.

स्वास्थ्य विभाग मुस्तैद....

स्वास्थ्य विभाग की टीमें मैदान में उतरी और जिले के हर उस व्यक्ति और परिवार की स्क्रीनिंग की गई जिसके संदिग्ध होने को लेकर थोड़ी सी भी शंका थी. भीलवाड़ा में चिकित्सा दलों ने करीब 8 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की.

इस प्रयास का नतीजा ये निकला कि जिले में तेजी पैर पसार रहे कोरोना पर लगाम लगाई जा सकी. जिले में 7,967 टीमों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है. अब तक 6,29,125 घरों का सर्वे कर 31,54,000 लोगों का परीक्षण किया जा चुका है.

कोरोना पॉजिटिव मरीजों का रखा गया विशेष ध्यान....

इलाज के दौरान कोरोना पॉजिटिव मरीजों का विशेष ध्यान रखा गया. उनकी डाइट से लेकर दिनचर्या तक पर बारीकी से नजर रखी गई. समय-समय पर उनकी जांच की गई.

कोरोना मरीजों का डॉक्टर्स ने बढ़ाया उत्साह....

कोरोना जैसी गंभीर बीमारी के बीच माहौल को हल्का-फुल्का बनाने के लिए डॉक्टर्स ने सभी जतन किए. मरीजों को समय पर दवा देने के अलावा समय-समय पर उनका हौसला भी बढ़ाया गया. हाल ही में भीलवाड़ा से एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. इस वीडियो में मेडिकल स्टाफ गाना गाकर मरीजों का उत्साह बढ़ाता दिखाई दिया.

पांच दिन में एक भी नया पॉजिटिव नहीं आया सामने....

भीलवाड़ा में अंतिम केस 30 मार्च को सामने आया था. इसके बाद से अभी तक कोई नया मामला भीलवाड़ा में देखने को नहीं मिला है. यह सब डॉक्टर्स की दिन-रात मेहनत से ही संभव हो सका.

लोगों को लगातार किया जागरूक....

प्रशासन द्वारा लोगों को लगातार जागरूक करने का काम किया गया. लोगों को मास्क लगाने, साबुन से हाथ धोने, हैंड सेनिटाइजर का उपयोग करने, साफ-सुथरे कपड़े पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और घरों में रहने के लिए बार-बार समझाया गया.

चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात....

कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिसकर्मियों के सहयोग को भी नकारा नहीं जा सकता. 'महा कर्फ्यू' के दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई, जिसके चलते इसे सख्ती से लागू किया गया.

कलेक्टर ने कभी जोड़े हाथ, कभी दिखाई आंख.....

भीलवाड़ा आज जिस सफलता की कहानी गढ़ रहा है इसका सबसे अधिक श्रेय जिले के मुखिया/कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को जाता है. इन्होंने अपनी सूझबूझ से न केवल पूरे जिले को संभाला, बल्कि एक पिता की तरह कभी प्रेम से, तो कभी डरा धमकाकर इस महामारी पर काबू पाया.

यहां तक की जब जिले में थोक और खुदरा विक्रेताओं द्वारा इस संकट काल में खाद्य सामग्री तय कीमत से अधिक कीमत पर बेचने की खबरें सामने आईं तो कलेक्टर ने हाथ जोड़कर उनसे भावुक अपील की.

अपनी अपील में राजेंद्र भट्ट ने कहा कि, इस वक्त पुनीत का कार्य है ईश्वर आपको देख रहा है. आप लोगों की मदद करें. आप इस वक्त मुनाफा ज्यादा कमाते हो तो जीवन में आपको कभी बरकत नहीं मिलेगी. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो ठोस कार्रवाई की जाएगी.

कलेक्टर की अपील पर भामाशाह आए आगे....

कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को यह भलीभांति पता था कि लॉकडाउन और महा कर्फ्यू के दौरान गरीब और श्रमिक वर्ग के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट उत्पन्न होने वाला है. इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने प्रशासन को मजबूती से इस काम में लगाया.

इसके अलावा उन्होंने जिले के भामाशाहों से भी अपील की. अपनी अपील में उन्होंने कहा कि जो लोग सक्षम हैं वो गरीब और श्रमिक वर्ग की मदद के लिए आगे आएं. भूखों को खाना खिलाएं.

मीडिया तक लगाई पाबंदी....

ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर कवरेज के लिए पाबंदी लगाई जाए. लेकिन जिला कलेक्टर को जब लगा कि ऐसा आवश्यक है, तो उन्होंने इस कठोर फैसले को लेने में भी संकोच नहीं किया.

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