जयपुर. राजधानी में कहीं पार्किंग एरिया, कहीं फुटपाथ, तो कहीं नॉन वेंडिंग जोन में भी स्ट्रीट वेंडर्स को सामान बेचते देखा जा सकता है. इन स्थानों पर थड़ी-ठेले और फुटकर व्यापारी आए दिन निगम की कार्रवाई से दो-चार होते हैं. फिर सामान छुड़ाने के लिए उनकों काटना पड़ता है निगम का चक्कर.
हालांकि नगर निगम प्रशासन ने पिछले साल दोनों निगम में तकरीबन 12 हजार 313 स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्हित किया था. इनमें से आधे स्ट्रीट वेंडर्स का ही पहचान पत्र बनाकर वितरित किया. लेकिन इन वेंडर्स को निगम की ओर से बनाए गए पहचान पत्र का भी कुछ खास फायदा नहीं मिल पा रहा है. कारण साफ है शहर में अब तक भी वेंडिंग जोन निर्धारित नहीं किए जा सके हैं और वेंडिंग जोन तय करने जैसे मसलों का निपटारा करने के लिए बनाई गई टाउन वेंडिंग कमेटी को भी भंग किया जा चुका है.
स्ट्रीट वेंडर यूनियन की माने तो राजधानी में पहचान पत्र वाले स्ट्रीट वेंडर तो क्या जिन वेडर्स के पास हाई कोर्ट से स्टे है, उन पर भी निगम की कार्रवाई हो जाती है. वहीं, निगम के अधिकारियों की माने तो अब दोबारा टाउन वेंडिंग कमेटी बनाई जाएगी और जल्द वेंडिंग जोन का भी निर्धारण कर दिया जाएगा.
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इसके साथ ही जिन स्ट्रीट वेंडर्स में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत लोन के लिए अप्लाई किया है, उन्हें भी जल्द राहत मिलेगी. बहरहाल, कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन भी पिस जाया करते हैं. शहर में पहचान पत्र वाले स्ट्रीट वेंडर्स का भी कुछ यहीं हाल है. फिलहाल उनकी समस्या यहीं है कि प्रशासन नॉन वेंडिंग जोन में कार्रवाई करने पहुंच जाता है और वेंडिंग जोन अब तक निर्धारित नहीं किए गए हैं. ऐसे में एक सवाल है कि आखिर ये स्ट्रीट वेंडर्स जाएं तो जाएं कहां.