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नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपी बरी, कोर्ट ने आईओ से मांगा जवाब

नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने जांच में लापरवाही बरतने वाले मानसरोवर थाने के तत्कालीन एसएचओ राजेन्द्रसिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Published : Aug 13, 2019, 10:32 PM IST

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-6 ने दस साल की मूक बधिक बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाए गए विक्रमसिंह को बरी कर दिया है.

इसके साथ ही अदालत ने जांच में लापरवाही बरतने वाले मानसरोवर थाने के तत्कालीन एसएचओ राजेन्द्रसिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

अदालत ने कहा कि जांच के दौरान प्रशिक्षित अनुवादक की जगह ऐसे व्यक्ति के सहयोग से पीड़िता के बयान दर्ज किए जो स्वयं सांकेतिक भाषा को लेकर कोई योग्यता और अनुभव नहीं रखता था. इसके अलावा पीड़िता के डिजीटल बयानों को भी पेश नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें- लड़कों के कमेंट से परेशान युवती ने लगाई फांसी, मरने से पहले युवक को भेजा ये मैसेज

मामले के अनुसार पीड़िता की मां मानसरोवर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दस जनवरी 2013 को अभियुक्त ने उसकी दस साल की मूक बधिर और मंदबुद्धि बेटी से दुष्कर्म किया. घटना के बाद पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया था.

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-6 ने दस साल की मूक बधिक बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाए गए विक्रमसिंह को बरी कर दिया है.

इसके साथ ही अदालत ने जांच में लापरवाही बरतने वाले मानसरोवर थाने के तत्कालीन एसएचओ राजेन्द्रसिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

अदालत ने कहा कि जांच के दौरान प्रशिक्षित अनुवादक की जगह ऐसे व्यक्ति के सहयोग से पीड़िता के बयान दर्ज किए जो स्वयं सांकेतिक भाषा को लेकर कोई योग्यता और अनुभव नहीं रखता था. इसके अलावा पीड़िता के डिजीटल बयानों को भी पेश नहीं किया गया.

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मामले के अनुसार पीड़िता की मां मानसरोवर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दस जनवरी 2013 को अभियुक्त ने उसकी दस साल की मूक बधिर और मंदबुद्धि बेटी से दुष्कर्म किया. घटना के बाद पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया था.

Intro:जयपुर। पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-6 ने दस साल की मूक बधिक बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाए गए विक्रमसिंह को बरी कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने जांच में लापरवाही बरतने वाले मानसरोवर थाने के तत्कालीन एसएचओ राजेन्द्रसिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। Body:अदालत ने कहा कि जांच के दौरान प्रशिक्षित अनुवादक की जगह ऐसे व्यक्ति के सहयोग से पीडिता के बयान दर्ज किए जो स्वयं सांकेतिक भाषा को लेकर कोई योग्यता और अनुभव नहीं रखता था। इसके अलावा पीडिता के डिजीटल बयानों को भी पेश नहीं किया गया। मामले के अनुसार पीडिता की मां मानसरोवर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दस जनवरी 2013 को अभियुक्त ने उसकी दस साल की मूक बधिर और मंदबुद्धि बेटी से दुष्कर्म किया।  घटना के बाद पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया था। Conclusion:null
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