जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 ने हाईवे कंपनी से रिश्वत के मामले में गिरफ्तार दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल को 5 फरवरी तक पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया है.
एसीबी की ओर से कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपी आईपीएस को अदालत में पेश किया गया. एसीबी में अदालत को कहा गया कि आरोपी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा मामले में बड़े अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है. आरोपी आईपीएस मनीष अग्रवाल के बारे में गत सितंबर माह में तत्कालीन डीजीपी ने पत्र लिखकर आईपीएस पद के लिए अयोग्य बता चुके हैं. ऐसे में पूछताछ के लिए 2 दिन की पुलिस अभिरक्षा दी जाए. जिसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष ने कहा कि आरोपी की ओर से ना तो कोई डिमांड है और ना ही कोई रिकवरी है. मामले में दर्ज एफआईआर में कहीं भी प्रार्थी को रिश्वत देने की बात नहीं है.
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इसके अलावा अभियोजन पक्ष ने डायमंड कंपनी के बलबीर सिंह के 164 के बयानों में 2 साल पहले दलाल नीरज मीणा के जरिए 33 लाख रुपए प्रार्थी को देने की बात कही है. जबकि एफआईआर में इसका कोई उल्लेख नहीं है. एसीबी ने प्रार्थी को फंसाने के लिए बलबीर सिंह को मोहरा बनाया है. इसके अलावा इसकी तलाकशुदा आईपीएस पत्नी के प्रभाव के चलते फंसाया गया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को 5 फरवरी तक पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया है.