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सीएस की निगरानी में एसीबी तीन माह में जांच कर रिपोर्ट पेश करे : हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन हजार पांच सौ मदरसा शिक्षकों की संविदा भर्ती में 128 अपात्र लोगों को नियुक्ति देने के मामले में अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने नियुक्ति देने के मामले में सीएस की निगरानी में एसीबी को भर्ती का पूर्व रिकॉर्ड जब्त करने को कहा है.

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Published : Nov 25, 2019, 10:25 PM IST

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जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन हजार पांच सौ मदरसा शिक्षकों की संविदा भर्ती में 128 अपात्र लोगों को नियुक्ति देने के मामले में सीएस की निगरानी में एसीबी को भर्ती का पूर्व रिकॉर्ड जब्त कर जांच करने को कहा है. अदालत ने एसीबी से तीन माह में जांच रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश रजिया सुल्तान की याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा कि भर्ती में अल्पसंख्यक विभाग की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए बोर्ड के तत्कालीन सचिव उस्मान खान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. वहीं अदालत ने तत्कालीन सचिव को बचाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव ने मामले की जांच एसीबी को देने के फैसले को संशोधित करवाने के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि तत्कालीन सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है और अब मामले की जांच पुलिस ही कर लेगी. इस पर अदालत ने कहा की सीएस अपनी निगरानी में एसीबी से जांच करवाएं.

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गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने अपने बकाया वेतन के भुगतान को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान सामने आया कि 2010 में संविदा के आधार पर 3500 शिक्षकों के पदों पर भर्ती हुई है. इसमें तत्कालीन मदरसा बोर्ड सचिव ने 128 अपात्र लोगों को नियुक्त कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने इन अपात्र अभ्यर्थियों को कार्यभार भी ग्रहण करवा दिया. मामले का खुलासा होने पर विभाग ने जांच के लिए अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी बनाई. प्रमुख सचिव ने अपनी रिपोर्ट में 128 अभ्यर्थियों को अपात्र पाया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिए, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसकी जानकारी हाईकोर्ट में आने पर अदालत ने मामले की जांच एसीबी को दी थी.

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हाईकोर्ट ने रिटायर्ड रोडवेज कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पर ब्याज राशि नहीं देने से जुडे़ मामले में कहा है कि रोडवेज 6 जनवरी तक पूर्व में दिए गए आदेशों की पालना करें. ऐसा नहीं करने पर संबंधित अवमानना अफसरों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड की एकलपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश और अन्य की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अवमानना याचिकाओं में कहा गया कि वे रोडवेज से रिटायर्ड कर्मचारी है. रोडवेज ने उन्हें ग्रेच्युटी राशि का भुगतान कर दिया था, लेकिन उस पर दय ब्याज राशि नहीं दी गई. हाईकोर्ट ने गत अगस्त माह में रोडवेज को आदेश जारी कर दो माह में ग्रेच्युटी राशि पर ब्याज अदा करने को कहा था. इसके बावजूद भी रोडवेज की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई की गुहार की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन हजार पांच सौ मदरसा शिक्षकों की संविदा भर्ती में 128 अपात्र लोगों को नियुक्ति देने के मामले में सीएस की निगरानी में एसीबी को भर्ती का पूर्व रिकॉर्ड जब्त कर जांच करने को कहा है. अदालत ने एसीबी से तीन माह में जांच रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश रजिया सुल्तान की याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा कि भर्ती में अल्पसंख्यक विभाग की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए बोर्ड के तत्कालीन सचिव उस्मान खान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. वहीं अदालत ने तत्कालीन सचिव को बचाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव ने मामले की जांच एसीबी को देने के फैसले को संशोधित करवाने के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि तत्कालीन सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है और अब मामले की जांच पुलिस ही कर लेगी. इस पर अदालत ने कहा की सीएस अपनी निगरानी में एसीबी से जांच करवाएं.

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गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने अपने बकाया वेतन के भुगतान को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान सामने आया कि 2010 में संविदा के आधार पर 3500 शिक्षकों के पदों पर भर्ती हुई है. इसमें तत्कालीन मदरसा बोर्ड सचिव ने 128 अपात्र लोगों को नियुक्त कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने इन अपात्र अभ्यर्थियों को कार्यभार भी ग्रहण करवा दिया. मामले का खुलासा होने पर विभाग ने जांच के लिए अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी बनाई. प्रमुख सचिव ने अपनी रिपोर्ट में 128 अभ्यर्थियों को अपात्र पाया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिए, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसकी जानकारी हाईकोर्ट में आने पर अदालत ने मामले की जांच एसीबी को दी थी.

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हाईकोर्ट ने रिटायर्ड रोडवेज कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पर ब्याज राशि नहीं देने से जुडे़ मामले में कहा है कि रोडवेज 6 जनवरी तक पूर्व में दिए गए आदेशों की पालना करें. ऐसा नहीं करने पर संबंधित अवमानना अफसरों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड की एकलपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश और अन्य की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अवमानना याचिकाओं में कहा गया कि वे रोडवेज से रिटायर्ड कर्मचारी है. रोडवेज ने उन्हें ग्रेच्युटी राशि का भुगतान कर दिया था, लेकिन उस पर दय ब्याज राशि नहीं दी गई. हाईकोर्ट ने गत अगस्त माह में रोडवेज को आदेश जारी कर दो माह में ग्रेच्युटी राशि पर ब्याज अदा करने को कहा था. इसके बावजूद भी रोडवेज की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई की गुहार की है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन हजार पांच सौ मदरसा शिक्षकों की संविदा भर्ती में 128 अपात्र लोगों को नियुक्ति देने के मामले में सीएस की निगरानी में एसीबी को भर्ती का पूर्व रिकार्ड जब्त कर जांच करने को कहा है। अदालत ने एसीबी से तीन माह में जांच रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश रजिया सुल्तान की याचिका पर दिए।Body:अदालत ने कहा कि भर्ती में अल्पसंख्यक विभाग की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए बोर्ड के तत्कालीन सचिव उस्मान खान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। वहीं अदालत ने तत्कालीन सचिव को बचाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव ने मामले की जांच एसीबी को देने के फैसले को संशोधित करवाने के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि तत्कालीन सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है और अब मामले की जांच पुलिस ही कर लेगी। इस पर अदालत ने कहा की सीएस अपनी निगरानी में एसीबी से जांच करवाएं।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने अपने बकाया वेतन के भुगतान को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान सामने आया कि 2010 में संविदा के आधार पर 3500 शिक्षकों के पदों पर भर्ती हुई है। इसमें तत्कालीन मदरसा बोर्ड सचिव ने 128 अपात्र लोगों को नियुक्त कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इन अपात्र अभ्यर्थियों को कार्यभार भी ग्रहण करवा दिया। मामले का खुलासा होने पर विभाग ने जांच के लिए अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी बनाई। प्रमुख सचिव ने अपनी रिपोर्ट में 128 अभ्यर्थियों को अपात्र पाया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिए, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसकी जानकारी हाईकोर्ट में आने पर अदालत ने मामले की जांच एसीबी को दी थी। Conclusion:
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