जयपुर. चाइल्ड लेबर (child labor) अभिशाप है. खेलने की उम्र में बच्चे मजदूरी का बोझ ढो रहे हैं. राजधानी जयपुर से 92 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कर घर भेजा गया है. शुक्रवार की सुबह जब ये बच्चे अपने घर जाने के लिए ट्रेन में बैठे तो उनके चेहरे पर मुस्कान नजर आई.
पुलिस और प्रशासन की ओर से लगातार बाल श्रम और बाल तस्करी (child trafficking) के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. बच्चों को स्पेशल ट्रेन से उनके घर भेजा गया है. इन बच्चों को बिहार से मजदूरी के उद्देश्य से जयपुर लाया गया था. बचपन बचाओ आंदोलन के प्रोजेक्ट अधिकारी देशराज सिंह के मुताबिक बचपन बचाओ चाइल्डलाइन और कई गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन (rescue operation) चलाया था. बाल कल्याण समिति जयपुर के आदेश पर मुक्त हुए बच्चों का दाखिला बालघरों में कराया गया था. इन्हीं बच्चों को शुक्रवार को उनके घर भेजा गया है.
पढे़ं-बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का उदयपुर दौरा, बाल श्रम को लेकर दिए दिशा-निर्देश
जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से इन बच्चों का बैंक अकाउंट खुलवाया गया है और पासबुक की कॉपी भिजवाई गई है. बच्चों का कोविड टेस्ट करवा कर उन्हें रवाना किया गया है. बाल अधिकारिता विभाग और जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक ने बिहार सरकार से संपर्क कर 92 बच्चों को जयपुर जंक्शन से ट्रेन में बैठा कर रवाना किया.
इस अवसर पर रेलवे स्टेशन पर जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रोहित जैन, बाल कल्याण समिति सदस्य विजया शर्मा, बचपन बचाओ आंदोलन के प्रोजेक्ट अधिकारी देशराज सिंह, टाबर संस्था के राकेश शर्मा और चाइल्ड लाइन के अधिकारी मौजूद थे.
बिहार से आने वाली ट्रेन में मिले 19 मासूम
जीआरपी थाना पुलिस ने गुरुवार रात तक बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया था. शहर में बच्चों से मजदूरी करवाने के लिए लाए बिचौलियों को भी पकड़ा गया. बाल श्रम के मामले में 11 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. बिहार से आने वाली ट्रेन से 19 बाल श्रमिकों को दस्तयाब किया गया. बचपन बचाओ आंदोलन संस्था ने लैटर देकर जीआरपी पुलिस को चाइल्ड ट्रैफिकिंग के बारे में अवगत करवाया था. इसके बाद जयपुर के दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 19 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया.