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जयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली गैंग का पर्दाफाश, 6 आरोपी गिरफ्तार

जयपुर पुलिस की स्पेशल टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली एक गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर ऊंची कीमतों पर इंजेक्शन बेच रहे थे. पुलिस ने कुल 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनसे बरामद इंजेक्शन असली हैं या नकली इसकी भी जांच की जा रही है.

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Published : Apr 21, 2021, 8:07 PM IST

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जयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

जयपुर. कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के इलाज के लिए पूरे देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की बेहद आवश्यकता है और वर्तमान में इस इंजेक्शन की काफी किल्लत चल रही है. इंजेक्शन की किल्लत के चलते हुए कुछ लोग महज चंद रुपयों की खातिर लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने में लगे हुए हैं. ऐसी ही कालाबाजारी करने वाली गैंग का खुलासा जयपुर की कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने किया है.

पढे़ं: कोरोना को लेकर गहलोत सरकार के प्रयासों की गुलाबचंद कटारिया ने की तारीफ, कही ये बड़ी बात

कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने एक डिकॉय ऑपरेशन करते हुए राजधानी के मुरलीपुरा थाना इलाके में स्थित समर्थ मेडिकल स्टोर पर बोगस ग्राहक बनकर कई पुलिसकर्मियों ने जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग की तो दुकान संचालक ने 1 घंटे में इंजेक्शन मंगवा कर देने का आश्वासन दिया. जैसे ही इंजेक्शन लेकर गैंग का सदस्य मेडिकल स्टोर पर पहुंचा वैसे ही कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने मेडिकल स्टोर संचालक और इंजेक्शन लेकर पहुंचे व्यक्ति को दबोच लिया.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि बोगस ग्राहक बनकर पहुंची कमिश्नरेट स्पेशल टीम को जैसे ही समर्थ मेडिकल स्टोर के मालिक जय प्रकाश वर्मा ने इंजेक्शन थमाया वैसे ही टीम ने कार्रवाई करते हुए स्टोर मालिक जय प्रकाश वर्मा और इंजेक्शन लेकर पहुंचे दलवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. दलवीर सिंह के कब्जे से 2 इंजेक्शन बरामद किए गए और जब उससे पूछताछ की गई तो उसने इंजेक्शन विकास मित्तल से लाने की बात कबूली.

जिस पर टीम ने कार्रवाई करते हुए विकास मित्तल को गिरफ्तार किया और विकास मित्तल ने यह इंजेक्शन बसंत जांगिड़ से लेकर आने के बात कबूली. इस पर टीम ने आगे कार्रवाई करते हुए बसंत जांगिड़ को गिरफ्तार किया और उससे हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली गैंग के सरगना शंकर माली और विक्रम गुर्जर तक पहुंची. इस प्रकार से पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कुल 6 आरोपियों को रेमड़सिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया.

गैंग का सरगना दिल्ली से जयपुर लाया 750 रेमडेसिविर इंजेक्शन

गैंग का सरगना शंकर माली है जो गुड़गांव के इफ्को चौक से 725 रेमडेसिविर इंजेक्शन 2200 रुपये प्रति इंजेक्शन की दर से खरीद कर जयपुर लाया था. शंकर माली ने जिस व्यक्ति से 725 इंजेक्शन खरीदे उस व्यक्ति ने खुद को दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टर होना बताया. इंजेक्शन को खरीदकर जयपुर लाने के बाद शंकर माली ने अपने मित्र विक्रम गुर्जर के साथ मिलकर पूरी गैंग बनाई. गैंग के सदस्य विभिन्न मेडिकल स्टोर, अस्पताल और सीधा मरीज के परिजनों से संपर्क कर उन्हें इंजेक्शन पहुंचाने का काम करने लगे.

समर्थ मेडिकल स्टोर के मालिक जय प्रकाश वर्मा ने बोगस ग्राहक बनकर पहुंची कमिश्नरेट स्पेशल टीम को 15 हजार रुपये में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का सौदा किया था. गैंग के सदस्यों ने पूछताछ में बताया कि वह लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर 15 से 25 हजार रुपये की कीमत तक रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों को बेच रहे हैं.

कालाबाजारी की अनेक गैंग सक्रिय

डीसीपी क्राइम ने बताया कि राजधानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली अनेक गैंग सक्रिय हैं. जिनकी सूचना पुलिस के हाथ लगी है. सूचना के आधार पर ही कोतवाली थाना इलाके में भी एक कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है. जहां दक्ष डिस्ट्रीब्यूटर के संचालक रामवतार यादव को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है. आरोपी भी ऊंची कीमतों पर इंजेक्शन लोगों को उपलब्ध कराता हुआ पाया गया. फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ में जुटी है. जिसमें इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़े कुछ अन्य लोगों का खुलासा होने की संभावना है.

इंजेक्शन असली या नकली जांच जारी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि आरोपियों से जो रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए गए हैं वह असली हैं या नकली इसकी प्रमाणिकता राजस्थान की औषधि नियंत्रण विभाग की टीम जांच रही है. क्योंकि इंजेक्शन की जो कीमत कंपनी द्वारा निर्धारित है वह 5400 प्रति इंजेक्शन है. वहीं गैंग के सदस्यों द्वारा यह इंजेक्शन 2200 रुपए प्रति इंजेक्शन की दर से खरीदे गए हैं. ऐसे में इंजेक्शन के नकली होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है.

हैदराबाद की जिस फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा इन इंजेक्शन का निर्माण किया जाता है उससे भी आरोपियों से बरामद किए गए इंजेक्शन के बैच नंबर व एक्सपायरी डेट के आधार पर जानकारी जुटाने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही आरोपियों द्वारा यह इंजेक्शन अब तक किन लोगों को सप्लाई किए गए हैं और किन-किन अस्पतालों में भेजे गए हैं इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के इलाज के लिए पूरे देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की बेहद आवश्यकता है और वर्तमान में इस इंजेक्शन की काफी किल्लत चल रही है. इंजेक्शन की किल्लत के चलते हुए कुछ लोग महज चंद रुपयों की खातिर लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने में लगे हुए हैं. ऐसी ही कालाबाजारी करने वाली गैंग का खुलासा जयपुर की कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने किया है.

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कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने एक डिकॉय ऑपरेशन करते हुए राजधानी के मुरलीपुरा थाना इलाके में स्थित समर्थ मेडिकल स्टोर पर बोगस ग्राहक बनकर कई पुलिसकर्मियों ने जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग की तो दुकान संचालक ने 1 घंटे में इंजेक्शन मंगवा कर देने का आश्वासन दिया. जैसे ही इंजेक्शन लेकर गैंग का सदस्य मेडिकल स्टोर पर पहुंचा वैसे ही कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने मेडिकल स्टोर संचालक और इंजेक्शन लेकर पहुंचे व्यक्ति को दबोच लिया.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि बोगस ग्राहक बनकर पहुंची कमिश्नरेट स्पेशल टीम को जैसे ही समर्थ मेडिकल स्टोर के मालिक जय प्रकाश वर्मा ने इंजेक्शन थमाया वैसे ही टीम ने कार्रवाई करते हुए स्टोर मालिक जय प्रकाश वर्मा और इंजेक्शन लेकर पहुंचे दलवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. दलवीर सिंह के कब्जे से 2 इंजेक्शन बरामद किए गए और जब उससे पूछताछ की गई तो उसने इंजेक्शन विकास मित्तल से लाने की बात कबूली.

जिस पर टीम ने कार्रवाई करते हुए विकास मित्तल को गिरफ्तार किया और विकास मित्तल ने यह इंजेक्शन बसंत जांगिड़ से लेकर आने के बात कबूली. इस पर टीम ने आगे कार्रवाई करते हुए बसंत जांगिड़ को गिरफ्तार किया और उससे हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली गैंग के सरगना शंकर माली और विक्रम गुर्जर तक पहुंची. इस प्रकार से पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कुल 6 आरोपियों को रेमड़सिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया.

गैंग का सरगना दिल्ली से जयपुर लाया 750 रेमडेसिविर इंजेक्शन

गैंग का सरगना शंकर माली है जो गुड़गांव के इफ्को चौक से 725 रेमडेसिविर इंजेक्शन 2200 रुपये प्रति इंजेक्शन की दर से खरीद कर जयपुर लाया था. शंकर माली ने जिस व्यक्ति से 725 इंजेक्शन खरीदे उस व्यक्ति ने खुद को दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टर होना बताया. इंजेक्शन को खरीदकर जयपुर लाने के बाद शंकर माली ने अपने मित्र विक्रम गुर्जर के साथ मिलकर पूरी गैंग बनाई. गैंग के सदस्य विभिन्न मेडिकल स्टोर, अस्पताल और सीधा मरीज के परिजनों से संपर्क कर उन्हें इंजेक्शन पहुंचाने का काम करने लगे.

समर्थ मेडिकल स्टोर के मालिक जय प्रकाश वर्मा ने बोगस ग्राहक बनकर पहुंची कमिश्नरेट स्पेशल टीम को 15 हजार रुपये में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का सौदा किया था. गैंग के सदस्यों ने पूछताछ में बताया कि वह लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर 15 से 25 हजार रुपये की कीमत तक रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों को बेच रहे हैं.

कालाबाजारी की अनेक गैंग सक्रिय

डीसीपी क्राइम ने बताया कि राजधानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाली अनेक गैंग सक्रिय हैं. जिनकी सूचना पुलिस के हाथ लगी है. सूचना के आधार पर ही कोतवाली थाना इलाके में भी एक कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है. जहां दक्ष डिस्ट्रीब्यूटर के संचालक रामवतार यादव को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है. आरोपी भी ऊंची कीमतों पर इंजेक्शन लोगों को उपलब्ध कराता हुआ पाया गया. फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ में जुटी है. जिसमें इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़े कुछ अन्य लोगों का खुलासा होने की संभावना है.

इंजेक्शन असली या नकली जांच जारी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि आरोपियों से जो रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए गए हैं वह असली हैं या नकली इसकी प्रमाणिकता राजस्थान की औषधि नियंत्रण विभाग की टीम जांच रही है. क्योंकि इंजेक्शन की जो कीमत कंपनी द्वारा निर्धारित है वह 5400 प्रति इंजेक्शन है. वहीं गैंग के सदस्यों द्वारा यह इंजेक्शन 2200 रुपए प्रति इंजेक्शन की दर से खरीदे गए हैं. ऐसे में इंजेक्शन के नकली होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है.

हैदराबाद की जिस फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा इन इंजेक्शन का निर्माण किया जाता है उससे भी आरोपियों से बरामद किए गए इंजेक्शन के बैच नंबर व एक्सपायरी डेट के आधार पर जानकारी जुटाने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही आरोपियों द्वारा यह इंजेक्शन अब तक किन लोगों को सप्लाई किए गए हैं और किन-किन अस्पतालों में भेजे गए हैं इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है.

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