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Ecotourism projects planned in Jaipur: जयपुर शहर के आसपास की वन भूमियों को इको टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित - 6 ecotourism projects to be developed in Jaipur

वन विभाग की शहर के आसपास मौजूद वन भूमि पर जयपुर विकास प्राधिकरण के वित्तीय सहयोग से वन और वन्य जीव संरक्षण के लिए 6 परियोजनाएं लाई जा रही (6 ecotourism projects planned in Jaipur) हैं. पहले 5 का प्रस्ताव था, जिसे बढ़ाकर 6 किया गया है. इसे लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को प्रेजेंटेशन दिया.

6 ecotourism projects to be developed in Jaipur
जयपुर शहर के आसपास की वन भूमियों को इको टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित
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Published : May 11, 2022, 11:15 PM IST

जयपुर. शहर के आसपास की वन भूमियों को इको टूरिज्म के रूप में विकसित जाएगा. पहले विभाग ने जेडीए के सामने 5 परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा था. लेकिन अब 5 के बजाए 6 परियोजनाएं विकसित की (6 ecotourism projects to be developed in Jaipur) जाएंगी. वन विभाग की जमीन पर जयपुर विकास प्राधिकरण के वित्तीय सहयोग से वन और वन्य जीव संरक्षण के लिए ये परियोजनाएं लाई जा रही हैं. इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को प्रेजेंटेशन दिया.

आद्रभूमि संवर्द्धन मुहाना: इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत नेवटा बांध के नजदीक वनखण्ड मुहाना स्थित है. यहां नवेटा बांध के बैक वाटर से वाटरलोगिंग हो गई है. क्षेत्र के अधिकांश भाग में वर्ष भर पानी रहता है. जोकि वेटलैण्ड बर्डस के लिए अच्छा आवास बन रहा है. यहां पर वर्ष में लगभग 80 प्रजातियों के पक्षी देखे जा रहे हैं. ऐसे में यहां अन्य माईग्रेटरी और रेजीडेंट बर्डस के लिए भी अच्छा आवास होने पर संख्या में बढोत्तरी होगी. इस प्रोजेक्ट के तहत पीसीटी, ग्रास लैण्ड डवलपमेंट करवाये जायंगे. जिस पर कुल अनुमानित राशि 12.93 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

जैव विविधता गोनेर: इस प्रोजेक्ट की जमीन रिंगरोड के नजदीक है. इसके नजदीक आबादी बढ़ती जा रही है. क्षेत्र को अतिक्रमण से प्रभावित नहीं होने देने, स्थित आबादी को स्वच्छ और शुद्ध वातावरण प्रदान करने, वन्यजीवों के लिए अच्छा आवास उपलब्ध कराने के लिए इस प्रोजेक्ट में पौधारोपण, मृदाजल संरक्षण, चौकी के कार्य प्रस्तावित किये हैं. जिन पर पांच साल में राशि 8.80 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

आमागढ आरक्षित वन तेंदुआ संरक्षण कार्य: झालाना लेपर्ड रिजर्व में बढ़ रही लेपर्ड की संख्या और खो नागोरियान वनखण्ड के वनक्षेत्र के पास स्थित आमागढ-लालवेरी वन क्षेत्र को विकसित करने की प्लानिंग है. जिसमें लेपर्ड, जरख रेटल जैसे वन्य जीवों का आवास हैं. इन वन्यजीवों के आवास को और अधिक विकसित किया जाना है. झालाना वनक्षेत्र में लेपर्ड का प्रेबेस ना के बराबर है. उसी तरह इस वनक्षेत्र में भी लेपर्ड का प्रेबेस नहीं है. उनके लिए प्रेबेस बढ़ाने का कार्य, जल संरक्षण, निरीक्षण पाथ, चौकी के कार्य करवाये जायेंगे. इसमें 10.80 रुपए खर्च होगा.

टाइगर सफारी: नाहरगढ़ जैविक उद्यान क्षेत्र में पूर्व में जूलोजिकल पार्क, लॉयन सफारी के विकसित होने से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है. यहां विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं और 285 प्रजातियों के पक्षीयों को भी निहारा जाता है. ये क्षेत्र अरावली पर्वत माला की पहाड़ियों में स्थित होने के कारण यहां का वातावरण वन्यजीवों के लिए काफी सुखद है. जिससे पार्क के वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है. केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की ओर से स्वीकृत मास्टर ले आउट प्लान में टाइगर सफारी 30 हैक्टर क्षेत्र में विकसित करने के लिए स्वीकृत है. जिसको विकसित करने के लिए फैंसिंग, वाटर होल्स, गेट के कार्य किये जायेंगे. इस पर अनुमानित 4.53 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

बीड़ गोविन्दपुरा बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट: यह वन्य क्षेत्र 100 हैक्टर क्षेत्र में फैला है. यहां पहले 90 हैक्टर में साल 2017-18 और 2018-19 में 22 हजार 500 पौधें वन महोत्सव के तहत मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना में रोपित किये गये थे. अब 100 हैक्टर में बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के लिये क्षेत्र में पक्की दीवार निर्माण, चैनलिंग फैसिंग, वृक्षारोपण और अन्य कार्यों के लिये विकसित किया जाएगा. जिससे वन क्षेत्र के विकसित होने के साथ-साथ वन्यजीवों का आवास में विकास होगा. इस पर जेडीए 5 करोड़ रुपए खर्च करेगा.

सिल्वन सिल्वन बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट फेज-3: यह प्रोजेक्ट आगरा रोड पर स्थित है. इसे सेन्ट्रल पार्क की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. जिस पर 7.60 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. वन विभाग ने सिल्वर बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट फेज 3 को भी इन परियोजनाओं में शामिल किया है. इन परियोजनाओं के विकसित होने से जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी. जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही ऑक्सीजोन भी विकसित होंगे.

जयपुर. शहर के आसपास की वन भूमियों को इको टूरिज्म के रूप में विकसित जाएगा. पहले विभाग ने जेडीए के सामने 5 परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा था. लेकिन अब 5 के बजाए 6 परियोजनाएं विकसित की (6 ecotourism projects to be developed in Jaipur) जाएंगी. वन विभाग की जमीन पर जयपुर विकास प्राधिकरण के वित्तीय सहयोग से वन और वन्य जीव संरक्षण के लिए ये परियोजनाएं लाई जा रही हैं. इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को प्रेजेंटेशन दिया.

आद्रभूमि संवर्द्धन मुहाना: इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत नेवटा बांध के नजदीक वनखण्ड मुहाना स्थित है. यहां नवेटा बांध के बैक वाटर से वाटरलोगिंग हो गई है. क्षेत्र के अधिकांश भाग में वर्ष भर पानी रहता है. जोकि वेटलैण्ड बर्डस के लिए अच्छा आवास बन रहा है. यहां पर वर्ष में लगभग 80 प्रजातियों के पक्षी देखे जा रहे हैं. ऐसे में यहां अन्य माईग्रेटरी और रेजीडेंट बर्डस के लिए भी अच्छा आवास होने पर संख्या में बढोत्तरी होगी. इस प्रोजेक्ट के तहत पीसीटी, ग्रास लैण्ड डवलपमेंट करवाये जायंगे. जिस पर कुल अनुमानित राशि 12.93 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

जैव विविधता गोनेर: इस प्रोजेक्ट की जमीन रिंगरोड के नजदीक है. इसके नजदीक आबादी बढ़ती जा रही है. क्षेत्र को अतिक्रमण से प्रभावित नहीं होने देने, स्थित आबादी को स्वच्छ और शुद्ध वातावरण प्रदान करने, वन्यजीवों के लिए अच्छा आवास उपलब्ध कराने के लिए इस प्रोजेक्ट में पौधारोपण, मृदाजल संरक्षण, चौकी के कार्य प्रस्तावित किये हैं. जिन पर पांच साल में राशि 8.80 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

आमागढ आरक्षित वन तेंदुआ संरक्षण कार्य: झालाना लेपर्ड रिजर्व में बढ़ रही लेपर्ड की संख्या और खो नागोरियान वनखण्ड के वनक्षेत्र के पास स्थित आमागढ-लालवेरी वन क्षेत्र को विकसित करने की प्लानिंग है. जिसमें लेपर्ड, जरख रेटल जैसे वन्य जीवों का आवास हैं. इन वन्यजीवों के आवास को और अधिक विकसित किया जाना है. झालाना वनक्षेत्र में लेपर्ड का प्रेबेस ना के बराबर है. उसी तरह इस वनक्षेत्र में भी लेपर्ड का प्रेबेस नहीं है. उनके लिए प्रेबेस बढ़ाने का कार्य, जल संरक्षण, निरीक्षण पाथ, चौकी के कार्य करवाये जायेंगे. इसमें 10.80 रुपए खर्च होगा.

टाइगर सफारी: नाहरगढ़ जैविक उद्यान क्षेत्र में पूर्व में जूलोजिकल पार्क, लॉयन सफारी के विकसित होने से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है. यहां विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं और 285 प्रजातियों के पक्षीयों को भी निहारा जाता है. ये क्षेत्र अरावली पर्वत माला की पहाड़ियों में स्थित होने के कारण यहां का वातावरण वन्यजीवों के लिए काफी सुखद है. जिससे पार्क के वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है. केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की ओर से स्वीकृत मास्टर ले आउट प्लान में टाइगर सफारी 30 हैक्टर क्षेत्र में विकसित करने के लिए स्वीकृत है. जिसको विकसित करने के लिए फैंसिंग, वाटर होल्स, गेट के कार्य किये जायेंगे. इस पर अनुमानित 4.53 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

बीड़ गोविन्दपुरा बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट: यह वन्य क्षेत्र 100 हैक्टर क्षेत्र में फैला है. यहां पहले 90 हैक्टर में साल 2017-18 और 2018-19 में 22 हजार 500 पौधें वन महोत्सव के तहत मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना में रोपित किये गये थे. अब 100 हैक्टर में बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के लिये क्षेत्र में पक्की दीवार निर्माण, चैनलिंग फैसिंग, वृक्षारोपण और अन्य कार्यों के लिये विकसित किया जाएगा. जिससे वन क्षेत्र के विकसित होने के साथ-साथ वन्यजीवों का आवास में विकास होगा. इस पर जेडीए 5 करोड़ रुपए खर्च करेगा.

सिल्वन सिल्वन बायोडाईवरसिंटी फोरेस्ट फेज-3: यह प्रोजेक्ट आगरा रोड पर स्थित है. इसे सेन्ट्रल पार्क की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. जिस पर 7.60 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. वन विभाग ने सिल्वर बायो डायवर्सिटी फॉरेस्ट फेज 3 को भी इन परियोजनाओं में शामिल किया है. इन परियोजनाओं के विकसित होने से जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी. जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही ऑक्सीजोन भी विकसित होंगे.

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