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गहलोत की 'सर्जिकल स्ट्राइक' : ना बसपा को भनक लगी, ना राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पायलट को... - राजस्थान बसपा

राजस्थान से 6 बसपा विधायकों को पार्टी में शामिल कर एक बार फिर अशोक गहलोत ने अपनी जादूगरी दिखा दी है. इससे जहां सरकार की स्थिति मजबूत और दबाव से मुक्त हुई है वहीं वे सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 भी कर सकते हैं.

ashok Gehlots Surgical Strike, गहलोत की 'सर्जिकल स्ट्राइक'
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Published : Sep 17, 2019, 6:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर से एक दशक बाद इतिहास दोहराया गया. सोमवार देर रात अचानक बसपा के सभी 6 विधायक सामने आये और कांग्रेस का हाथ थाम लिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बार फिर कमाल दिखाया और एक तीर से एक साथ कई निशाने भी लगा दिये.

बसपा विधायकों को शामिल करा एक तो उन्होने ये बता दिया कि राजस्थान कांग्रेस में जो भी होता है वो केवल उनके इशारों पर ही होता है. दूसरा एक बार फिर उसी इतिहास को दोहराकर उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता का परिचय भी दिया. ऐसा कर उन्होंने प्रदेश सरकार को किसी भी दबाव से भयमुक्त कर दिया साथ ही पूर्ण बहुमत वाली सरकार को और भी मजबूत कर दिया.

गहलोत की बसपा के विधायकों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक'

बसपा विधायकों के इस विलय को लेकर, दरअसल ये कहा जा रहा है कि मंत्री पद या किसी अन्य शर्त के साथ हो सकता है. लेकिन दूसरी बात यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के पास कल तक पूरा बहुमत नही था और पूर्ण बहुमत के लिए उसने राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक को मंत्री बनाकर साथ ले रखा था. लेकिन आज परिस्थितियों को बदलकर अशोक गहलोत ने इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के अपने दमपर पूर्ण बहुमत के साथ खड़ा कर दिया है. इससे ना तो कांग्रेस को बीटीपी की दरकार रही है और किसी निर्दलीय विधायक की. इससे इस बात का भय भी समाप्त हो गया है कि कर्नाटक की तर्ज पर राजस्थान में भी सत्ता परिवर्तन हो सकता है.

पढ़ेंः 6 बसपा विधायकों के दल बदलने से मायावती का फूटा गुस्सा, कहा- कांग्रेस धोखेबाज पार्टी

बसपा ही नही राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष को भी नही लगी भनक
राजस्थान में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच पावर गैम को लेकर लगातार टकराव चल रहा है. इससे हर कोई वाकिफ भी है. जिस तरह से प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर पायलट ने गहलोत को दबाव में डाला था. उसके बाद गहलोत ने अब यह मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. जिससे पायलट खेमा खासा चिंतीत हो गया है. यही कारण है कि वो अब कहने लगे हैं कि बसपा विधायक बिना शर्त के पार्टी में शामिल हुए हैं और राजनितीक नियूक्तियां उसी को मिलेगी जिसने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है.

खास बात यह है कि बसपा विधायकों को पार्टी में विलय के लिए तैयार करने की भनक उस समय सचिन पायलट को भी नही थी. जब वो दिल्ली से लौटे तो उस समय बसपा के विधायकों का कांग्रेस में विलय हो चुका था. जबकि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अब तक पार्टी में किस कि ज्वाइनिंग होनी है किसकी नहीं, ये काम पायलट ही कर रहे थे. ऐसे में ये बडा झटका पायलट कैम्प के लिए है.

पढ़ेंः विकास और स्थिर सरकार के लिए बसपा विधायकों ने कांग्रेस को चुना : सीएम गहलोत

वहीं बसपा विधायक मुखर होकर बोल रहें है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नितीयों के चलते ही उन्हानें पार्टी ज्वाइन की है. कहा जा रहा है कि पायलट के दिल्ली में होने का मौका देख इस बात की भी परवाह नहीं की गई कि श्राद्ध पक्ष में बसपा विधायकों को पार्टी में शामिल कराया गया है. ऐसे में साफ हो गया है कि ना केवल बसपा बल्कि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष को भी 6 विधायकों के इधर से उधर होने की हवा नहीं लगी.

निकाय चुनावों में फायदा मिलेगा
गहलोत के मास्टर स्ट्रोक का फायदा निश्चित तौर पर अब पार्टी को निकाय चुनावों में मिलेगा. बसपा विधायक जो अब कांग्रेस के साथ आ गये हैं वो खुले तौर पर निकाय चुनावों में जीत दिलवाने का प्रयास करेंगे. इसके साथ ही मंत्रियों पर भी ये दबाव रहेगा कि वो बेहतर काम करें नहीं तो बसपा से पार्टी में आए विधायकों को मंत्रीमण्डल विस्तार में शामिल कर उनका रिप्लेसमेंट हो सकता है.

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर से एक दशक बाद इतिहास दोहराया गया. सोमवार देर रात अचानक बसपा के सभी 6 विधायक सामने आये और कांग्रेस का हाथ थाम लिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बार फिर कमाल दिखाया और एक तीर से एक साथ कई निशाने भी लगा दिये.

बसपा विधायकों को शामिल करा एक तो उन्होने ये बता दिया कि राजस्थान कांग्रेस में जो भी होता है वो केवल उनके इशारों पर ही होता है. दूसरा एक बार फिर उसी इतिहास को दोहराकर उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता का परिचय भी दिया. ऐसा कर उन्होंने प्रदेश सरकार को किसी भी दबाव से भयमुक्त कर दिया साथ ही पूर्ण बहुमत वाली सरकार को और भी मजबूत कर दिया.

गहलोत की बसपा के विधायकों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक'

बसपा विधायकों के इस विलय को लेकर, दरअसल ये कहा जा रहा है कि मंत्री पद या किसी अन्य शर्त के साथ हो सकता है. लेकिन दूसरी बात यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के पास कल तक पूरा बहुमत नही था और पूर्ण बहुमत के लिए उसने राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक को मंत्री बनाकर साथ ले रखा था. लेकिन आज परिस्थितियों को बदलकर अशोक गहलोत ने इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के अपने दमपर पूर्ण बहुमत के साथ खड़ा कर दिया है. इससे ना तो कांग्रेस को बीटीपी की दरकार रही है और किसी निर्दलीय विधायक की. इससे इस बात का भय भी समाप्त हो गया है कि कर्नाटक की तर्ज पर राजस्थान में भी सत्ता परिवर्तन हो सकता है.

पढ़ेंः 6 बसपा विधायकों के दल बदलने से मायावती का फूटा गुस्सा, कहा- कांग्रेस धोखेबाज पार्टी

बसपा ही नही राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष को भी नही लगी भनक
राजस्थान में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच पावर गैम को लेकर लगातार टकराव चल रहा है. इससे हर कोई वाकिफ भी है. जिस तरह से प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर पायलट ने गहलोत को दबाव में डाला था. उसके बाद गहलोत ने अब यह मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. जिससे पायलट खेमा खासा चिंतीत हो गया है. यही कारण है कि वो अब कहने लगे हैं कि बसपा विधायक बिना शर्त के पार्टी में शामिल हुए हैं और राजनितीक नियूक्तियां उसी को मिलेगी जिसने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है.

खास बात यह है कि बसपा विधायकों को पार्टी में विलय के लिए तैयार करने की भनक उस समय सचिन पायलट को भी नही थी. जब वो दिल्ली से लौटे तो उस समय बसपा के विधायकों का कांग्रेस में विलय हो चुका था. जबकि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अब तक पार्टी में किस कि ज्वाइनिंग होनी है किसकी नहीं, ये काम पायलट ही कर रहे थे. ऐसे में ये बडा झटका पायलट कैम्प के लिए है.

पढ़ेंः विकास और स्थिर सरकार के लिए बसपा विधायकों ने कांग्रेस को चुना : सीएम गहलोत

वहीं बसपा विधायक मुखर होकर बोल रहें है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नितीयों के चलते ही उन्हानें पार्टी ज्वाइन की है. कहा जा रहा है कि पायलट के दिल्ली में होने का मौका देख इस बात की भी परवाह नहीं की गई कि श्राद्ध पक्ष में बसपा विधायकों को पार्टी में शामिल कराया गया है. ऐसे में साफ हो गया है कि ना केवल बसपा बल्कि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष को भी 6 विधायकों के इधर से उधर होने की हवा नहीं लगी.

निकाय चुनावों में फायदा मिलेगा
गहलोत के मास्टर स्ट्रोक का फायदा निश्चित तौर पर अब पार्टी को निकाय चुनावों में मिलेगा. बसपा विधायक जो अब कांग्रेस के साथ आ गये हैं वो खुले तौर पर निकाय चुनावों में जीत दिलवाने का प्रयास करेंगे. इसके साथ ही मंत्रियों पर भी ये दबाव रहेगा कि वो बेहतर काम करें नहीं तो बसपा से पार्टी में आए विधायकों को मंत्रीमण्डल विस्तार में शामिल कर उनका रिप्लेसमेंट हो सकता है.

Intro:गहलोत की बसपा के विधायकों पर सर्जिकल स्ट्राइक ,6 विधायकों के शामिल होने से मजबूत हुई गहलोत की स्थ्तिी,सरकार भी अब पूरी तरह से दबाव से मुक्त ,जल्द ही हो सकता है राष्ट्रीय लोकदल के विधायक की भी कांग्रेस में विलयपायलट ने लॉ एण्ड आर्डर की स्थिती को लेकर घेरने का किया था प्रयास अब कहा जा रहा है कि बसपा ही नही राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष को भी नही लगी बसपा के विलय की भनकBody:
गहलोत की बसपा के विधायकों पर सर्जिकल स्ट्राइक ,6 विधायकों के शामिल होने से मजबूत हुई गहलोत की स्थ्तिी,सरकार भी अब पूरी तरह से दबाव से मुक्त ,जल्द ही हो सकता है राष्ट्रीय लोकदल के विधायक की भी कांग्रेस में विलय
राजस्थान में एक बार फिर से एक दशक के बाद हाथी का हाथ में समाहित होने का इतिहास दोहराया है अचानक देर रात बसपा के सभी 6 विधायक सामने आये और कांग्रेस में विलय की बात को सबके सामने रखा।इससे एक और तो इन बसपा विधायकों की जरूरत तो बताया जा रही रहा है लेकिन इससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तीर से एक साथ कई निशाने भी लगा दिये है एक और तो उन्होने ये बता दिया कि राजस्थान कांग्रेस में जो भी होता है वो केवल उनके इशारों पर ही होता है। बसपा के 6 विधायकों को 10 साल के अंतराल में एक बार फिर कांग्रेस का सदस्य बना उन्होने अपनी बेहतर राजनितीक दक्षता भी साबित कर दी है।लेकिन इसके साथ एक और फायदा काग्रेस पार्टी और अपनी सरकार के लिए गहलोत ने करवा लिया है और वो है पूर्ण बहूमत वाली सरकार ।दरअसल ये कहा जा रहा है कि मंत्री पद या किसी अन्य शर्त के साथ हो सकता है इन विधायकों की पार्टी में एंट्री हुई है लेकिन दूसरी बात ये भी है कि कांग्रेस पार्टी के पास कल तक पूरा बहुमत नही था और पूर्ण बहुमत के लिए उसने राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक को मंत्री बनाकर साथ ले रखा था लेकिन आज की हालात की बात करें तो अशोक गहलोत के इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के पास खूद अपने दमपर पूर्ण बहुमत हो गया है।अब उसे ना तो राष्ट्रीय लोकदल और ना ही किसी निर्दलिय की जरूरत बहुमत के लिए है दरअसल बार बार ये सामने आ रहा था कि गहलोत सरकार निर्दलियों के दबाव में है लेकिन अब बसपा के विधायकों के साथ आने के बाद गहलोत को निर्दलियों की प्रत्यक्ष तौर पर कोई जरूरत नही रह गयी है अब वो वैसे ही गहलोत के साथ रहेंगे और गहलोत ने अपने उपर से पूरा दबाव भी खत्म कर लिया है।कल की घटना के बाद गहलोत अब पूरी तरह से मजबूत दिखाई दे रहें है और पांच साल तक अब लगता नही है कि कर्नाटक और मध्यप्रदेश की तरह किसी तरह की बाते अब राजस्थान को लेकर कोई करेगा
निकाय चुनावों में फायदा मिलेगा,
गहलोत के मास्टर स्ट्रोक का फायदा निश्चित तौर पर अब पार्टी को निकाय चुनावों में मिलेगा अब तक दिक्कत ये थी कि बसपा बाहर से उसे समर्थन तो दे रही थी लेकिन लोकसभा चुनावों में उन्होने प्रत्याशी उतार दिये थे जिससे बसपा के विधायक कन्फयूज थे कि वो किसका साथ दें अब छ विधानसभाओं में पूरी तरह से ये बसपा के विधायक जो अब कांग्रेस के साथ आ गये है वो खूले तोर पर निकाय चुनावों में जीत दिलवाने का प्रयास करेगे,इसके साथ ही मंत्रियों पर भी ये दबाव रहेगा कि वो बेहतर काम करे नही तो मंत्रीमण्डल विस्तार में उनका रिप्लेसमेंट हो सकता है,ऐसे में हर मंत्री चुनावों और आम जनता के काम को लेकर बेहतर दिखाने का प्रयास करेगा जिससे की जनकल्याण की योजनाओ को लागू करने में गहलोत को अब पूरी टीम का साथ मिलेगा।
पायलट ने लॉ एण्ड आर्डर की स्थिती को लेकर घेरने का किया था प्रयास अब कहा जा रहा है कि बसपा ही नही राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष को भी नही लगी बसपा के विलय की भनक
राजस्थान में हर कोई जानता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट में पावर गैम को लेकर लगातार टकराव चल रहा है और जिस तरह से कानून व्यवस्था के मामले में गहलोत को पायलट ने दबाव में डाला था उसके बाद गहलोत ने जिस तरह से 6 विधायकों का विलय कांगेस में करवाया है उससे पायलट खेमा खासा चिंतीत हो गया है यही कारण है कि वो अब कहने लगा है कि बसपा के विधायक बिना शर्त के पार्टी में शामिल हुए है और राजनितीक नियूक्तियां उसी को मिलेगी जिसने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है खास बात ये है कि जब बसपा के विधायकों को पार्टी में विलय के लिए तैयार कर लिया गय उस समय सचिन पायलट को भी इस बारे में पता नही चला,और जब वो दिल्ली से लौटे तो उस समय बसपा के विधायकों का कांग्रेस में विलय हो चुका था जबकि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अब तक पार्टी में किस कि ज्वाइनिंग होनी है किसकी नही ये काम पायलट ही कर रहे थे ऐसे में ये बडा झटका पायलट कैम्प के लिए है क्योकि अब ये बसपा के विधायक मूखर होकर बोल रहें है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नितीयों के चलते ही उन्हानेे पार्टी ज्वाइन की है कहा जा रहा है कि पायलट के बाहर होने के चलते इस बात की भी परवाह नही कि गयी कि श्राद पक्ष में इन बसपा के विधायकों को ज्वाइन करवाया गया है।ऐसे में साफ हो गया है कि ना केवल बसपा बल्कि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष को भी 6 विधायकों के इधर से उधर होने की हवा नही लगी,ऐसे में पहले से डरे हुए विधायक अब गहलोत खेमे की और ही इकटठा होंगे ये तय हो गया है।
पीटीसी अजीतConclusion:
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