जयपुर. खनिज एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने बयान जारी कर बताया कि प्रदेश का खनिज विभाग ई-ऑक्शन के माध्यम से तीन जिलों में 55 क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों का आवंटन करेगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग द्वारा 27 जनवरी को ई-ऑक्शन सूचना जारी कर नीलामी की प्रक्रिया शुरु कर दी है.
प्रमुख सचिव शर्मा ने बताया कि क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों का आवंटन नागौर, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिले में किया जा रहा है. यह क्वारी लाइसेंस एक हेक्टेयर व इससे कम क्षेत्र के होने से खनन क्षेत्र में परंपरागत रुप से काम करने वाले छोटे कामगारों को लाभ मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा. उन्होंने बताया कि नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाए रखने के लिए खनन की यह ई-नीलामी भारत सरकार के एमएसटीसी पोर्टल के माध्यम से होगी.
अजिताभ शर्मा ने बताया कि यह क्वारी लाइसेंस सेंड स्टोन व लाइम स्टोन में पट्टी, फर्शी व खण्डा के लिए जारी किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि नागौर जिले की जायल तहसील में खनिज सेंड स्टोन के 20, चित्तौडगढ़ की बेगूं तहसील में भी सेंड स्टोन के ही 22 और भीलवाड़ा जिले की बिजौलियां में सेंड स्टोन के 10 क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों की नीलामी होगी. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही चित्तौड़गढ़ जिले की निम्बाहेड़ा तहसील में खनिज लाइमस्टोन में पट्टी, फर्शी और खण्डा के 3 लाइसेंस ई-ऑक्शन किए जाएंगे.
प्रमुख सचिव शर्मा ने बताया कि क्वारी लाइसेंसों की भारत सरकार द्वारा खनिजों के नीलामी के ऑनलाइन एमएसटीसी पोर्टल पर ई-नीलामी की व्यवस्था की गई है. इससे देश-दुनिया में कहीं से भी कोई भी व्यक्ति इस ई-नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेगा. उन्होंने बताया कि ई-ऑक्शन में हिस्सा लेने वाले इच्छुक व्यक्तियों को भारत सरकार के पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा. वहीं पहले से पंजीकृत व्यक्ति, फर्म या कंपनी को दोबारा पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होगी.
पढ़ें- परिवहन आयुक्त रवि जैन का जोधपुर दौरा, 4 जिलों के परिवहन अधिकारियों के साथ की बैठक
माइन्स विभाग के निदेशक कुंजी लाल पांड्या ने बताया कि क्वारी लाइसेंसों के संबंध में विस्तृत जानकारी विभागीय वेबसाइट और भारत सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि ई-ऑक्शन की कार्रवाई 16 फरवरी से 19 फरवरी तक वेबसाइट पर दर्शाए गए कार्यक्रम के अनुसार होगी. निदेशक कुंजी लाल पांड्या ने बताया कि क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों के आवंटन से स्थानीय व परंपरागत रूप से काम करने वालों को रोजगार और राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा.