जयपुर. सीआईआई की ओर से गुरुवार को राजधानी में प्रॉफिटेबिलिटी थ्रू एनर्जी कंजर्वेशन एंड एफिशिएंसी को लेकर कांफ्रेंस का आयोजन किया (Conference on energy in Jaipur) गया. इसमें सौर ऊर्जा की संभावनाओं और इसके उपयोग को लेकर चर्चा की गई़. इस मौके पर राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड के सीएमडी और रिन्यूएबल एनर्जी कॉरपोरेशन निगम लिमिटेड के चेयरमैन टी रविकांत ने कहा कि न्यू एनर्जी पैराडाइम एमएसएमई के लिए ऊर्जा दक्षता में सुधार के क्षेत्रों में काम करने का एक नया अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण और दक्षता बढ़ाने के लिए आधारभूत सर्वेक्षण और समय-समय पर क्षेत्रीय ऑडिट करना, ऊर्जा सेवा कंपनियों से सहयोग लेना और ऊर्जा क्षेत्र में रचनात्मक वित्तपोषण की रणनीति पेश करना अनिवार्य है.
रविकांत ने कहा कि 2021 में राजस्थान ने 5000 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया. राज्य में अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 8000 मेगावॉट तक बढ़ने का अनुमान है. ऊर्जा दक्षता वर्तमान समय में वैश्विक अस्तित्व का मामला है और तत्परता के साथ इस पर काम करने की आवश्यकता है. ऊर्जा की कीमतें उच्च स्तर पर हैं और कार्बन उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन बड़ा खतरा है. इसलिए ऊर्जा की बचत कार्बन को बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता के मामले में समृद्ध (Status of Rajasthan in Solar energy production) है.
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सौर ऊर्जा के जानकारों ने कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति के साथ-साथ संस्था ऊर्जा की प्रोस्यूमर (प्रोड्यूसर+कस्टमर) है और उस जागरूकता के साथ काम करना चाहिए. यहां तक कि न केवल बड़े निगम, बल्कि एक व्यक्ति भी सौर पैनलों की स्थापना के माध्यम से अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में योगदान कर सकता है. उदाहरण के लिए और अधिक मांग वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त ऊर्जा का भंडारण और बिक्री कर सकता है. इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति न केवल उपभोक्ता है बल्कि ऊर्जा का उत्पादक भी है.
एमएसएमई सेक्टर जुड़ा सौर ऊर्जा से: सीआईआई राजस्थान के चेयरमैन गौरव रूंगटा ने कहा कि भारत में करीब 63 मिलियन एमएसएमई हैं और उनमें से अधिकांश ने 'एनर्जी एफिशिएंसी प्रैक्टिसिस' को नहीं अपनाया है. उन्होंने कहा कि देश में बड़ी संख्या में एमएसएमई में प्रभावी 'एनर्जी सेविंग प्रैक्टिसिस' को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह इकाइयों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और साथ ही उनकी लाभप्रदता भी बढ़ाएगा. ऐसी इकाइयों को नियमित आधार पर एनर्जी ऑडिट्स को अपनाना चाहिए. उन्होंने सौर और पवन ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए राजस्थान सरकार की सराहना की. इस कॉन्फ्रेंस में 275 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.