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'न्याय योजना' के खिलाफ याचिका दायर करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार का हर्जाना

राजस्थान हाईकोर्ट ने न्याय योजना के तहत सालाना 72 हजार रुपए देने के वादे के खिलाफ दायर जनहित याचिका को गत 22 अप्रैल को याचिका खारिज कर दिया था. वहीं बुधवार को जारी विस्तृत आदेश में याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का हर्जाना पर लगाया है.

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Published : May 2, 2019, 12:01 AM IST

राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से सत्ता में आने पर प्रत्येक परिवार को सालाना 72 हजार रुपए देने के वादे के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया. और याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. न्यायाधीश आलोक शर्मा और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश जगदीश प्रसाद की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

हाईकोर्ट ने गत 22 अप्रैल को याचिका खारिज कर दी थी. वहीं बुधवार को जारी विस्तृत आदेश में याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का हर्जाना पर लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के चलते यह पीआईएल दायर की गई थी. चुनाव घोषणा पत्र में पार्टी का इरादा जाहिर किया जाता है. याचिकाकर्ता को चुनौती देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.

न्याय योजना के खिलाफ याचिका पर 50 हजार का हर्जाना

याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सत्ता में आने पर देश के करीब 5 करोड़ परिवारों को सालाना 72 हजार रुपए देने की घोषणा की है. इसके तहत कुल 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. जो कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की बजट राशि 27 लाख 84 हजार दो सौ करोड़ रुपए का 13 फ़ीसदी है.

याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत 3 लाख 27 हजार 679 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. इस तरह की घोषणा से वित्तीय अनुशासन पर प्रभाव पड़ेगा. वहीं दूसरी कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी. याचिका में कहा गया कि चुनावों में झूठे वादे किए जाते हैं. ऐसे में वादाखिलाफी करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके अलावा चुनाव के बाद होने वाले गठबंधन को भी अवैध करार दिया जाना चाहिए. वहीं चुनावी घोषणा पत्र की पालना के लिए निर्देश दिए जाएं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से सत्ता में आने पर प्रत्येक परिवार को सालाना 72 हजार रुपए देने के वादे के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया. और याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. न्यायाधीश आलोक शर्मा और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश जगदीश प्रसाद की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

हाईकोर्ट ने गत 22 अप्रैल को याचिका खारिज कर दी थी. वहीं बुधवार को जारी विस्तृत आदेश में याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का हर्जाना पर लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के चलते यह पीआईएल दायर की गई थी. चुनाव घोषणा पत्र में पार्टी का इरादा जाहिर किया जाता है. याचिकाकर्ता को चुनौती देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.

न्याय योजना के खिलाफ याचिका पर 50 हजार का हर्जाना

याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सत्ता में आने पर देश के करीब 5 करोड़ परिवारों को सालाना 72 हजार रुपए देने की घोषणा की है. इसके तहत कुल 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. जो कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की बजट राशि 27 लाख 84 हजार दो सौ करोड़ रुपए का 13 फ़ीसदी है.

याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत 3 लाख 27 हजार 679 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. इस तरह की घोषणा से वित्तीय अनुशासन पर प्रभाव पड़ेगा. वहीं दूसरी कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी. याचिका में कहा गया कि चुनावों में झूठे वादे किए जाते हैं. ऐसे में वादाखिलाफी करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके अलावा चुनाव के बाद होने वाले गठबंधन को भी अवैध करार दिया जाना चाहिए. वहीं चुनावी घोषणा पत्र की पालना के लिए निर्देश दिए जाएं.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से सत्ता में आने पर प्रत्येक परिवार की न्यूनतम सालाना आय 72 हजार रुपए करने के वादे के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹50000 का हर्जाना भी लगाया है। न्यायधीश आलोक शर्मा और न्यायधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश जगदीश प्रसाद की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।


Body:हाईकोर्ट ने गत 22 अप्रैल को याचिका खारिज कर दी थी। वहीं बुधवार को जारी विस्तृत आदेश में याचिकाकर्ता पर ₹50000 का हर्जाना पर लगाया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के चलते यह पीआईएल दायर की गई थी। चुनाव घोषणापत्र में पार्टी का इरादा जाहिर किया जाता है। याचिकाकर्ता को चुनौती देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। गौरतलब है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश के करीब 5 करोड़ परिवारों की न्यूनतम सालाना आय ₹72000 करने की घोषणा को याचिका में चुनौती दी गई थी।
याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सत्ता में आने पर देश के करीब 5 करोड़ परिवारों की न्यूनतम सालाना आय 72 हजार रुपए करने की घोषणा की है। इसके तहत कुल 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। जो कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की बजट राशि 27 लाख 84 हजार दो सौ करोड़ रुपए का 13 फ़ीसदी है। याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत 3 लाख 27 हजार 679 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इस तरह की घोषणा से वित्तीय अनुशासन पर प्रभाव पड़ेगा। वहीं दूसरी कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी। याचिका में कहा गया कि चुनावों में झूठे वादे किए जाते हैं। ऐसे में वादा खिलाफी करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा चुनाव बाद होने वाले गठबंधन को भी अवैध करार दिया जाना चाहिए। वहीं चुनावी घोषणा पत्र की पालना के लिए निर्देश दिए जाएं।



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