जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधते हैं. कई बार गहलोत ने कहा है कि अफसर काम नहीं करेंगे, तो बदलने में एक मिनट नहीं लगेगा. प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद से सीएम गहलोत ने अफसरों को बदलने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 15 दिसंबर, 2018 के बाद सत्ता में काबिज हुए गहलोत ने अब तक साढ़े चार सौ से ज्यादा तबादला सूची जारी की और नौकरशाह काम समझने में लगे रहे. आलम यह है कि इन साढ़े चार सौ से ज्यादा तबादला सूची में 5 हजार से ज्यादा अफसरों को बदला (5 thousand plus officers transferred by CM Gehlot) गया. सूची में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस और सीनियर आरपीएस अधिकारी शामिल हैं.
विधायकों और मंत्रियों की मानमनौवल : दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य में बनी कांग्रेस सरकार का जिम्मा अशोक गहलोत पर आया. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को पटखनी देते हुए सत्ता पर काबिज हुए गहलोत के लिए राहें शुरू से आसान नहीं रही. एक साल भी नहीं गुजरा था कि सरकार के अस्थिरता के किस्सों ने सीएम गहलोत की नींद उड़ाए रखी. यही वजह थी कि विधायकों और मंत्रियों से मान-मनोवल में कोई कमी नहीं छोड़ी गई.
विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश से अधिकारीयों को बदलना पड़ा. कई अफसरों की विभाग के मंत्रियों से नहीं बनी तो कइयों की स्थानीय जनप्रतिनिधियों से. इसका आलम यह रहा है सरकार साढ़े तीन साल से सिर्फ और सिर्फ नौकरशाह एडजेस्ट करने में लगी हुई है. आंकड़े बताते हैं कि सत्ता में आई गहलोत सरकार ने साढ़े तीन साल में साढ़े चार सौ ज्यादा तबादला सूची (450 plus transfer list by CM Gehlot) में 5 हजार से ज्यादा अफसरों को बदला. सूची में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस और सीनियर आरपीएस अधिकारी शामिल हैं. वहीं, गहलोत सरकार के साढ़े तीन साल के शासन में अब तक 450 बार से ज्यादा तबादला सूची जारी हुई.
जानिए कब-कब हुए तबादले ?
- भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों की तबादला सूची पर नजर डालें तो 109 बार आईएएस अफसरों की तबादला सूची जारी हुई जिसमें 360 अफसरों को बदला गया.
- भारतीय वन सेवा के अफसरों की तबादला सूची पर नजर डालें तो 31 बार आईएफएस अफसरों की तबादला सूची जारी हुई जिसमें 286 अफसरों को बदला गया.
- भारतीय पुलिस सेवा के अफसरों की तबादला सूची पर नजर डालें तो 65 बार आईपीएस अफसरों की तबादला सूची जारी हुई जिसमें 635 अफसरों को बदला गया.
- राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसरों की तबादला सूची पर नजर डालें तो 157 बार आईएएस अफसरों की तबादला सूची जारी हुई जिसमें 2093 अफसरों को बदला गया.
- राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारियों की बात करे तो गृह और पुलिस मुख्यालय 120 से ज्यादा तबादला सूची जारी कर 1250 से ज्यादा के तबादले किये.
कामकाज प्रभावित होता है : गहलोत सरकार में सर्वाधिक तबादलों के चलते अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर नौकरशाहों को बार-बार तबादला सूची के जरिए इधर-उधर करने से क्या सरकार का कामकाज प्रभावित नहीं होता है. कार्मिक विभाग की ओर से अब तक जो तबादलों की सूची जारी हुई है उसके अनुसार नौकरशाह चाहे वो आईपीएस हों, आईएएस हों, आईएफएस हों या फिर आरएएस अधिकारी हों, साढ़े तीन साल में उनके कम से कम तीन से चार बार तबादले हुए हैं.
इसके अलावा अधिकांश जिला कलेक्टर भी ऐसे हैं जिन्हें एक पद पर साल भर से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया. ऐसा नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकारों के वक्त तबादले नहीं हुए. वसुंधरा सरकार में भी अफसरों के तबादले हुए. पिछली सरकार में पांच साल में 144 बार आईएएस, 58 बार आईएफएस, 71 बार आईपीएस और 262 बार आरएएस ऑफरों की तबादला सूची जारी हुई. यानी 5 साल में 535 तबादला सूची जारी की गई. लेकिन गहलोत सरकार में साढ़े तीन में ही साढ़े चार सौ से ज्यादा तबादला सूची जारी की जा चुकी है.
सरकार बदलती है तो नौकरशाही मुंह फेर लेती है : दरअसल, गहलोत सरकार बनने के बाद से ही सरकार के मंत्रियों-विधायकों ने नौकरशाही कार्यशैली को लेकर लगातार सवाल खड़े किए हैं कि नौकरशाही उन्हें अहमियत नहीं देती. खुद गहलोत ने कहा कि जब सरकार जाने वाली होती है तो सबसे पहले अफसर मुंह फेर लेते हैं. ब्यूरोक्रेसी तो सवारी देखती है. आप मजबूत हैं तो साथ हैं. जब अफसरों को लगता है कि सरकार जा रही है तो मुंह फेर लेते हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं इस बार मुंह अधिकारी नहीं बल्कि सरकार ने फेरा है. सत्ता संभालने के बाद हुए बार बार तबादले यह बताने के लिए काफी है कि सीएम गहलोत ब्यूरोक्रेसी पर अपना विश्वास ही नहीं जमा पाए.
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बार-बार अफसरों के तबादलों से यह होता है असर : सरकार बदलने के साथ अफसरों का बदलने का रिवाज कोई नया नहीं है. इससे पहले भी तबादले होते रहे हैं, लेकिन जिस तरह से मौजूदा सरकार ने तबादले किए हैं. उससे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं असर पड़ा है. किसी भी अफसर को अगर छह महीने में बदला जाएगा, तो वो अच्छे से योजनाओं को धरातल पर नहीं उतार पाएगा. अधिकारी विभाग के कामकाज और योजनाओं को समझ पाते हैं तब तक उनका तबादला हो जाता है. ऐसे में इसका सीधा असर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर पड़ता है.