जयपुर. जिले में विश्व एनेस्थीसिया दिवस के मौके पर पुलिस मुख्यालय के यादगार सभा भवन में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग दी गई. क्योंकि पुलिसकर्मी ही दुर्घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचते हैं और पीड़ित की जान बचाने में उनकी भूमिका अहम होती है. इसके लिए यादगार सभा भवन में 40 पुलिस अधिकारियों को यह विशेष ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद उनकी आंखों की जांच की गई. प्रशिक्षण में सीपीआर, परिवहन देखभाल, आपात स्थिति की पहचान, ट्रॉमा मैनेजमेंट और फर्स्ट ऐड प्लास्टर की जानकारी दी गई.
कंसल्टेंट एनेस्थीसिया डॉ. प्रिया गोयल ने बताया कि दुर्घटना होने से पहले अस्पताल पहुंचने के बाद यदि पीड़ित को उपयुक्त सीपीआर दी जाए तो गंभीर आघात के कारण हड्डियों और मस्ती के बीच संपर्क को पुनः स्थापित कर पीड़ित की जान बचाई जा सकती है. दुर्घटना के बारे में किसी पीड़ित के उपचार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इनमें किया गया उपचार पीड़ित की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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प्रिया गोयल ने बताया कि पिछले एक दशक में पूरे भारत में वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ में हादसों में भी वृद्धि हुई है. वहीं, सीपीआर परिचित फर्स्ट एस्पॉइंट दुर्घटना पीड़ित की जान बचा सकता है. आंकड़ों के अनुसार उचित समय पर सीपीआर देकर लगभग 30 फीसदी दुर्घटना के शिकार पीड़ित को बचाया जा सकता है.
बता दें कि पुलिस के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण एक आवश्यक जीवन कौशल है. जो दुर्घटना, आघात, ह्दय गति रुक जाने जैसे अप्रत्याशित कारकों के कारण बड़ी संख्या में मौतों को रोका जा सकता है. इस कार्यशाला का उद्देश्य पुलिस को प्रशिक्षित करना था. क्योंकि वह इस तरह की दुर्घटनाओं में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति हैं और इसलिए उन्हें प्रशिक्षण देने का निर्णय किया गया. इस दौरान लाइव डेमो में दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को कैसे बेसिक लाइफ सपोर्ट के जरिए उसके बचाया जा सकता है इसका डेमो किया गया.