जयपुर. राजधानी के करणी विहार थाना इलाके में सोमवार देर रात एग्रीकल्चर व्यापारी मैथिलीशरण शर्मा के परिवार को बंधक बनाकर डकैती का मामला (Karni Vihar loot case latest news) सामने आया था. मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 4 दिन बाद नेपाल बॉर्डर के पास से 4 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस आरोपियों की ओर से की गई डकैती का खुलासा कर दिया है. डकैती की साजिश नेपाल में रची गई थी.
स्पेशल टीम का गठन: डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर ने बताया कि डकैती की बड़ी वारदात घटित होने के बाद पुलिस की सात से आठ स्पेशल टीम बनाई गई और सभी टीमों को अलग-अलग टास्क दिए गए. एक टीम ने केवल हाईवे पर लगे हुए सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगालने का काम किया. पुलिस के हाथ में सबसे बड़ा सुराग आगरा रोड स्थित टोल पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरे से हाथ लगा. जिसमें दो संदिग्ध कार में बदमाश भागते हुए नजर आए, उसके आधार पर पुलिस ने कड़ी से कड़ी मिलाते हुए बदमाशों के फरार होने वाले रास्ते का एक पूरा रोडमैप तैयार किया.
बदमाश जिस रास्ते से फरार हुए थे उस रास्ते पर आने वाले बदमाशों के संभावित ठिकानों पर पुलिस की अन्य टीमों ने निगरानी (police arrested loot accuses) रखी और दबिश दी. बदमाशों के नेपाल भागने की संभावना को देखते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल बॉर्डर पर भी पुलिस की टीम भेजी गई. पुलिसकर्मियों ने न केवल मुखबिर तंत्र को मजबूत किया बल्कि टेक्निकल पुलिसिंग के साथ ही ट्रेडिशनल पुलिसिंग को अपनाते हुए बदमाशों तक पहुंचने का काम किया. पुलिस की सभी टीम एक दूसरे से लगातार संपर्क में थी और परस्पर कोर्डिनेशन के तहत काम कर रही थी.
ऐसे दिया था डकैती की वारदात को अंजाम: एग्रीकल्चर व्यापारी मैथिलीशरण शर्मा ने उन्होंने अपने घर पर काम के लिए 4 नेपाली नौकरों को रखा हुआ था. जिसमें 2 पुरुष और 2 महिलाएं शामिल थी. वारदात से कुछ दिनों पहले एक अन्य महिला भी उनके घर पर काम करने के लिए रखी गई थी. इस तरह से कुल 5 नेपाली नौकर व्यापारी के घर पर काम कर रहे थे. पूरी प्लानिंग के तहत नेपाली नौकरों के गिरोह ने सोमवार देर रात अपने गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर व्यापारी के पूरे परिवार को बंधक बनाया. इसके बाद परिवार के साथ मारपीट की गई और डकैती की बड़ी वारदात को अंजाम दिया. उसके बाद पीड़ित व्यापारी की लग्जरी कार में सवार होकर उस कार को 200 फीट बाईपास पर लावारिस स्थिति में छोड़ दो अन्य वाहनों में सवार होकर आगरा रोड की ओर फरार हो गए.
इस घटना में पीड़ित के घर में पहले से काम करने वाला एक अन्य नेपाली नौकर भी शामिल था. गिरोह के सदस्य लगातार वीडियो कॉल के जरिए एक व्यक्ति से बात कर रहे थे जो उन्हें इंस्ट्रक्शन दे रहा था. फिलहाल गिरोह में शामिल 4 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस मामले में फरार बदमाशों की तलाश कर रही है.
नेपाल में ढाबे का संचालन करने वाले रणजीत थापा डकैती का मास्टरमाइंडः डकैती की वारदात का खुलासा करते हुए डीसीपी वेस्ट रिचा कुमार ने बताया कि डकैती की पूरी योजना नेपाल में ही रची गई. इसका मास्टरमाइंड रणजीत थापा नामक व्यक्ति है जो नेपाल के कैलाली जिला में एक ढाबे का संचालन करता है. रणजीत के पड़ोस में हरीश नामक एक व्यक्ति निवास करता है जिससे इसकी काफी पुरानी दोस्ती है. हरीश पिछले 10 साल से जयपुर में लोगों के घरों पर नेपाली नौकर उपलब्ध कराने का काम किया करता है. रणजीत ने हरीश से बात करके जयपुर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की इच्छा जाहिर की. जिस पर हरीश ने जयपुर के करणी विहार थाना इलाके में रहने वाले मैथिलीशरण शर्मा के घर पर करोड़ों रुपए की नकदी और सोने-चांदी के जेवरात मिलने की संभावना जताई. हरीश ने रंजीत को बताया कि मैथिली शरण शर्मा के घर पर वर्ष 2019 में उसका साला दिनेश नौकर रह चुका है और उसकी पत्नी संगीता भी लॉकडाउन के समय 2020 में शर्मा के मकान पर नौकर का काम कर चुकी है. इसके बाद रणजीत ने मैथिलीशरण शर्मा के मकान में ही डकैती की वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग की.
इस तरह से किया गया कार्यों का विभाजनः डकैती की वारदात को अंजाम देने से पहले रणजीत और हरीश ने अलग-अलग कामों का विभाजन किया. जिसके तहत डकैती की वारदात को अंजाम देने के लिए बदमाशों, गाड़ियों, हथियार खरीदने के लिए नकदी आदि की व्यवस्था रणजीत थापा की ओर से की गई. रणजीत ने वारदात को अंजाम देने के लिए नेपाल में रहने वाले अपने परिचित और साथियों को अपने साथ शामिल किया. इसके साथ ही उसके परिचित नेपाल निवासी जो भारत में अलग-अलग शहर में रहकर काम कर रहे थे उन्हें भी इस पूरी वारदात का हिस्सा बनाया गया.
रणजीत ने गुड़गांव में रहने वाले नेपाल निवासी गणेश और तुला सिंह को बदमाशों को गाड़ियों में बैठा कर जयपुर ले जाने और वारदात के बाद वापस गुड़गांव तक लाने का जिम्मा सौंपा. गणेश और तुला सिंह सोनीपत से नेपाल तक सवारी गाड़ी चलाने का काम किया करते हैं, जिसके चलते उन्हें इस वारदात का हिस्सा बनाया गया. इसके साथ ही हरीश की दोनों पत्नियों और साले को भी इस वारदात में शामिल किया गया जो जयपुर में ही झोटवाड़ा में निवास करते हैं.
हरीश को सौंपा गया हथियार खरीदने का जिम्माः डकैती की वारदात को अंजाम देने से पहले हरीश को वारदात के लिए हथियार खरीदने का दायित्व सौंपा गया. इसके लिए रणजीत ने हरीश को 40 हजार रुपए एडवांस दिए. हरीश ने वारदात को अंजाम देने के लिए तीन चाकू, दो लोहे की रॉड, हथौड़ी, दो स्क्रू ड्राइवर, रस्सी, टेप आदि की व्यवस्था की. साथ ही मैथिलीशरण शर्मा के मकान के अंदर की तमाम जानकारी हासिल करने के लिए हरीश ने अपने परिचित रूद्र, उसकी पत्नी संध्या व अनिल और उसकी पत्नी लक्ष्मी को मार्च के अंतिम सप्ताह में पीड़ित परिवार के घर में नौकर रखवाया.
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डकैती का पहला प्रयास रहा विफलः हरीश की ओर से मैथिलीशरण शर्मा के घर पर रखवाए गए नौकर रूद्र व उसके अन्य साथियों ने रणजीत थापा को यह जानकारी दी कि 18 अप्रैल को शर्मा परिवार एक शादी में शामिल होने शहर से बाहर जा रहा है. उस दिन वारदात को आराम से अंजाम दिया जा सकता है. जिस पर 18 अप्रैल को वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग की गई और प्लानिंग के मुताबिक 17 अप्रैल को रणजीत थापा नेपाल से 5 लोगों को अपने साथ लेकर 18 अप्रैल की सुबह गुड़गांव पहुंचा.
जहां पर सोनीपत से उसने गणेश और तुला सिंह को अपने साथ लिया. इसके बाद उनकी वैगन आर और इको स्पोर्ट्स गाड़ियों में सवार होकर सभी लोग शाम 5 बजे करीब जयपुर पहुंचे. इसके बाद दोनों गाड़ियों को 200 सीट बाईपास पर किनारे खड़ी करके सभी लोग झोटवाड़ा रोड स्थित हरीश के मकान पर पहुंच गए. किसी कारणवश मैथिली शरण शर्मा का परिवार उस दिन शादी में शामिल होने शहर से बाहर नहीं जा सका और उनके घर पर मेहमान भी आ गए. जिस पर मकान के अंदर मौजूद चारों नौकरों ने रणजीत थापा और हरीश से संपर्क कर उन्हें वारदात को टालने के लिए कहा.
इस पर सदस्यों ने वारदात को किसी और दिन करने का निर्णय लिया और वारदात के लिए खरीदे गए हथियार एक बैग में डालकर हरीश ने शर्मा के मकान के बाहर रूद्र को सौंप दिए जिसे रूद्र मकान के अंदर ले गया. इसके साथ ही हरीश ने संध्या की बहन हेमा को भी शर्मा के घर नौकर रखवा दिया. जिसे रणजीत थापा अपने साथ लेकर शर्मा के घर छोड़ कर आया और शर्मा से मुलाकात भी की. इसके बाद वारदात को अंजाम देने आए बदमाश जिन गाड़ियों से जयपुर आए थे उन्हीं गाड़ियों में बैठ कर वापस अपनी-अपनी जगह चले गए.
डकैती का दूसरा प्रयास रहा सफलः नेपाल जाने के बाद रणजीत थापा ने फिर से गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर 2 मई को मैथिलीशरण शर्मा के घर पर डकैती की वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग की. प्लानिंग के तहत नेपाल और गुड़गांव से गैंग के सदस्यों को लेकर रणजीत शाम 5 बजे जयपुर पहुंचा और 200 फीट बाईपास पर गाड़ियों को साइड में खड़ी कर हरीश के कमरे पर चला गया. इसके बाद प्लानिंग के तहत शर्मा के घर में मौजूद नेपाली नौकरों ने फार्म का पिछला गेट खोल दिया, जहां से रणजीत गैंग के अन्य सदस्यों के साथ घर के अंदर घुस गया.
इसके बाद रुद्र ने अपने कमरे में छिपाए हुए हथियार लाकर गैंग के सदस्यों को दे दिए जिसके बाद गैंग के सदस्यों ने पहले पीड़ित परिवारों के साथ मारपीट कर उनके मोबाइल छीने, उनके हाथ पैर बांध दिए और डकैती की वारदात को अंजाम दिया. घर के अंदर से तमाम नगदी और गहने समेटने पर जब बदमाशों को योजना के अनुसार गहने और कैश नहीं मिला तो उन्होंने घर के बाहर निगरानी कर रहे हरीश व उसकी पत्नी संगीता को वीडियो कॉल कर कैश व जेवर कहां छुपा कर रखे हैं इसके बारे में जानकारी ली.
जिस पर संगीता और हरीश ने बदमाशों को बाथरूम की टाइल, शीशे व दीवारों को तोड़कर चेक करने के लिए कहा. जिस पर बदमाशों ने मकान की कई टाइल, शीशे और दीवारें जगह-जगह से तोड़ी लेकिन उन्हें कुछ भी सामान नहीं मिला. इसके बाद बदमाशों ने घर से लूटी हुए नकदी, जेवरात व अन्य सामान को तीन बैग में भरा और अपने साथ लाई हुई दोनों गाड़ियों व शर्मा की क्रेटा कार में रख उस में बैठकर मुख्य सड़क तक आ गए. इसके बाद शर्मा की क्रेटा कार को 200 फीट बाईपास पर छोड़ दिया और एक टैक्सी कार मंगवाई.
इसके बाद बदमाश अपने साथ लाई दो कार और एक टैक्सी में सवार होकर गुड़गांव के लिए निकल गए. डकैती की इस वारदात को 18 लोगों ने मिलकर अंजाम दिया जिसमें 13 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल थी. गुड़गांव पहुंचने के बाद गैंग के सदस्यों ने लूटी हुई नकदी को 15 हिस्सों में 24-24 हजार रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से बांट लिया. साथ ही लूटे गए सारे जेवरात सरगना रणजीत ने अपने पास रख लिए और तुला सिंह को चांदी के बर्तन व चांदी के जेवरात सौंप दिए. जिन्हें तुला सिंह बेचकर उससे जो राशि प्राप्त होती उसे नेपाल ले जाकर रणजीत को दे देता और उसे आपस में बांट लिया जाता. बंटवारे के बाद सभी बदमाश अपने-अपने ठिकानों पर लौटने के लिए रवाना हो गए.
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पहले जयपुर पुलिस की टीम पहुंची नेपाल बॉर्डरः वारदात को नेपाली नौकरों ने अंजाम दिया था और ऐसे में वारदात को अंजाम देने के बाद गिरोह के सदस्यों के नेपाल भाग जाने की संभावना को देखते हुए तुरंत जयपुर से स्पेशल टीमों का गठन कर उन्हें नेपाल बॉर्डर के लिए रवाना किया गया. जयपुर पुलिस की टीम ने भौगोलिक मैप का अध्ययन कर तमाम संभावित रास्ते चिह्निंत किए जहां से भारत की सीमा से नेपाल में प्रवेश किया जा सकता है. इसके बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चार टीम नेपाल बॉर्डर के पास सादा वर्दी में तैनात की गई जो सुबह 6 बजे बॉर्डर खुलने से पहले बॉर्डर पर पहुंच गई.
इसके साथ ही स्थानीय पुलिस व एसएसबी बॉर्डर चेक पोस्ट को अलर्ट किया गया. जयपुर से लगभग 700 किलोमीटर दूर गौरीफंटा के पास नेपाल बॉर्डर पर घने जंगलों में जयपुर पुलिस ने नाकाबंदी शुरू की और सुबह तकरीबन 11 बजे के करीब एक सफेद वैगन आर कार बॉर्डर की ओर आती हुई दिखाई दी. जिन्हें पुलिस टीम ने रोकने का प्रयास किया लेकिन बदमाशों ने कार नहीं रोकी और घने जंगलों में बेहद खतरनाक रास्तों पर कार को तेजी से भगाने लगे. पुलिस टीम ने एक निजी कार से बदमाशों की कार का पीछा किया. घने जंगल व एक तरफ खाई होने के चलते बदमाश ज्यादा दूर तक नहीं भाग सके और वह कार रोककर उससे नीचे उतरकर भागने लगे.
इस पर पुलिस टीम ने गणेश जंगलों में बदमाशों का पीछा कर डकैती के मास्टरमाइंड संजीत थापा, गणेश सिंह और नारायण नेपाली को दबोच लिया. जिनके पास से पुलिस ने लूटा हुआ सामान भी बरामद किया. इसके साथ ही बदमाशों की निशानदेही पर जयपुर पुलिस की एक अन्य टीम ने सोनीपत हरियाणा में दबिश देकर तुला सिंह को गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से चांदी के बर्तन व जेवरात बरामद किए. प्रकरण में फरार चल रहे अन्य 14 आरोपियों की तलाश की जा रही है और उन्हें भी जल्द गिरफ्तार करने का दवा पुलिस कर रही है.