जयपुर.याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 को लेकर वर्ष 2008 में चयन हुआ था. जबकि समान भर्ती में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को सितंबर 2007 में नियुक्तियां दी गई थी. जिसके चलते इन अभ्यर्थियों को 43,800 रुपए मिल रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ता को 42,500 रुपए मिल रहे हैं. जबकि दोनों का चयन एक ही भर्ती में हुआ है.
याचिका में कहा गया कि संशोधित वेतनमान नियम 2008 में सरकार छूट दे सकती है. ऐसे में याचिकाकर्ता को समान पद पर वेतन वृद्धि दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 4 माह में नियमों में छूट देकर राहत देने को कहा है.
तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2006 : समान भर्ती में चयनित शिक्षकों को राहत...HC ने दिए वेतन वृद्धि के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2006 में बाद में चयनित अभ्यर्थियों को वेतन वृद्धि नहीं देने के मामले में राहत देने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश रमेश चंद्र सैनी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
जयपुर.याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 को लेकर वर्ष 2008 में चयन हुआ था. जबकि समान भर्ती में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को सितंबर 2007 में नियुक्तियां दी गई थी. जिसके चलते इन अभ्यर्थियों को 43,800 रुपए मिल रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ता को 42,500 रुपए मिल रहे हैं. जबकि दोनों का चयन एक ही भर्ती में हुआ है.
याचिका में कहा गया कि संशोधित वेतनमान नियम 2008 में सरकार छूट दे सकती है. ऐसे में याचिकाकर्ता को समान पद पर वेतन वृद्धि दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 4 माह में नियमों में छूट देकर राहत देने को कहा है.
Body:याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 को लेकर वर्ष 2008 में चयन हुआ था। जबकि समान भर्ती में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को सितंबर 2007 में नियुक्तियां दी गई थी। जिसके चलते इन अभ्यर्थियों को 43,800 रुपए मिल रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ता को 42,500 रुपए मिल रहे हैं। जबकि दोनों का चयन एक ही भर्ती में हुआ है। याचिका में कहा गया कि संशोधित वेतनमान नियम 2008 में सरकार छूट दे सकती है। ऐसे में याचिकाकर्ता को समान पद पर वेतन वृद्धि दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 4 माह में नियमों में छूट देकर राहत देने को कहा है।
Conclusion: