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मीणा-मीना विवाद के स्थायी समाधान के लिए CM से मिले 3 विधायक

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Published : Oct 24, 2020, 12:23 AM IST

लबें समय से चले आ रहे मीणा-मीना विवाद को लेकर शुक्रवार को विधायक पृथ्वीराज मीणा, रामकेश मीणा और मुरारीलाल मीणा मुख्यमंत्री से मिले. विधायकों ने इस विवाद का स्थायी समाधान करने के लिए सीएम को ज्ञापन दिया है. वहीं मुख्यमंत्री ने 52 नवीन/क्रमोन्नत न्यायालयों के सृजन के लिए मितव्ययता परिपत्र में शिथिलन को मंजूरी दे दी है.

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मीणा-मीना विवाद

जयपुर. मीणा और मीना उपनाम को लेकर विवाद जारी है. इस विवाद के बीच तीन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की. सभी विधायकों ने सीएम गहलोत से मीणा और मीना विवाद का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है.

बता दें कि, मुख्यमंत्री निवास पर सीएम गहलोत से मिलने पहुंचे विधयकों में टोडाभीम से विधायक पृथ्वीराज मीणा, गंगापुर से विधायक रामकेश मीणा, दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा शामिल हैं. इन विधायकों ने सीएम मुलाकात की और मीणा-मीना विवाद के स्थायी समाधान के लिए ज्ञापन दिया. मुख्यमंत्री ने विधायकों की बात को गंभीरता से सुना और कहा कि इस विषय में केन्द्र सरकार को पुन पत्र लिखकर शीघ्र ही स्पष्टीकरण जारी करने का आग्रह किया जाएगा.

बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की ओर से कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसीक्यूटर के पद पर भर्ती के लिये विज्ञापन जारी किया. इसमें 'Mina' जाति वाले अभ्यर्थियों को अनुसूचित जनजाति मानकर आरक्षण के लाभ के लिए योग्य (Eligible) माना गया है. जबकि 'Meena' सरनेम वाले अभ्यर्थियों को योग्य नहीं माना गया है. जबकि राजस्थान राज्य में मीना/मीणा दोनों सरनेम वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी किये जाते रहे हैं.

ये पढ़ें: जयपुर: नगर निगम की चुनावी तकरार के बीच पूनिया और डोटासरा आए एक मंच पर, किया ये वादा

वहीं मीणा और मीना के मुद्दे पर माननीय उच्च न्यायालय में भी कई रिट याचिकायें डाली गईं है. जिस पर मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार की ओर से माननीय न्यायालय में शपथ पत्र देकर स्पष्ट किया गया कि मीना/मीणा दोनों एक ही जाति हैं. इनमें केवल स्पैलिंग का अंतर है. राजस्थान सरकार ने मीना/मीणा विवाद के संदर्भ में राज्य सरकार की स्थिति साफ करते हुये केंद्र सरकार द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के लिए 2018 में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को पत्र लिखा था. जिसका केंद्र सरकार ने अभी तक जवाब नहीं दिया है. राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है. राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा एक ही मान इस विवाद को खत्म करने के लिये फिर से पत्र लिखेगी.

मुख्यमंत्री ने 52 नवीन/क्रमोन्नत न्यायालयों के सृजन के लिए मितव्ययता परिपत्र में शिथिलन को मंजूरी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजकीय व्यय में मितव्ययता परिपत्र के बिंदू संख्या 5(प) में शिथिलन देते हुए 52 नवीन/क्रमोन्नत न्यायालय मय स्टाफ खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार की ओर से तीन सितम्बर, 2020 को जारी राजकीय मितव्ययता परिपत्र के अनुसार 'वित्तीय वर्ष 2020-21 में 100 प्रतिशत राज्यनिधि से वित्त पोषित कोई भी नया कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी. पूर्व में स्वीकृत कार्यालय जो आरम्भ नहीं हुए हैं, उन्हें भी इस वित्तीय वर्ष में स्थापित नहीं किया जाएगा'.

ये पढ़ें: राज्यपाल ने 26 कुलपतियों से किया ऑनलाइन संवाद

ऐसे में मुख्यमंत्री ने इसमें शिथिलन देते हुए इन न्यायालयों को मय स्टाफ खोलने को मंजूरी दे दी है. उल्लेखनीय है कि 52 नवीन न्यायालयों पर करीब 156 करोड़ रुपए का एकमुश्त व्यय एवं 52 करोड़ रुपए वार्षिक व्यय होने की संभावना है. एकमुश्त व्यय में नवीन न्यायालय भवन और फर्नीचर पर तीन करोड़ रुपए प्रति न्यायालय यानी 52 न्यायालयों पर 156 करोड़ रुपए खर्च होना संभावित है.

जयपुर. मीणा और मीना उपनाम को लेकर विवाद जारी है. इस विवाद के बीच तीन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की. सभी विधायकों ने सीएम गहलोत से मीणा और मीना विवाद का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है.

बता दें कि, मुख्यमंत्री निवास पर सीएम गहलोत से मिलने पहुंचे विधयकों में टोडाभीम से विधायक पृथ्वीराज मीणा, गंगापुर से विधायक रामकेश मीणा, दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा शामिल हैं. इन विधायकों ने सीएम मुलाकात की और मीणा-मीना विवाद के स्थायी समाधान के लिए ज्ञापन दिया. मुख्यमंत्री ने विधायकों की बात को गंभीरता से सुना और कहा कि इस विषय में केन्द्र सरकार को पुन पत्र लिखकर शीघ्र ही स्पष्टीकरण जारी करने का आग्रह किया जाएगा.

बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की ओर से कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसीक्यूटर के पद पर भर्ती के लिये विज्ञापन जारी किया. इसमें 'Mina' जाति वाले अभ्यर्थियों को अनुसूचित जनजाति मानकर आरक्षण के लाभ के लिए योग्य (Eligible) माना गया है. जबकि 'Meena' सरनेम वाले अभ्यर्थियों को योग्य नहीं माना गया है. जबकि राजस्थान राज्य में मीना/मीणा दोनों सरनेम वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी किये जाते रहे हैं.

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वहीं मीणा और मीना के मुद्दे पर माननीय उच्च न्यायालय में भी कई रिट याचिकायें डाली गईं है. जिस पर मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार की ओर से माननीय न्यायालय में शपथ पत्र देकर स्पष्ट किया गया कि मीना/मीणा दोनों एक ही जाति हैं. इनमें केवल स्पैलिंग का अंतर है. राजस्थान सरकार ने मीना/मीणा विवाद के संदर्भ में राज्य सरकार की स्थिति साफ करते हुये केंद्र सरकार द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के लिए 2018 में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को पत्र लिखा था. जिसका केंद्र सरकार ने अभी तक जवाब नहीं दिया है. राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है. राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा एक ही मान इस विवाद को खत्म करने के लिये फिर से पत्र लिखेगी.

मुख्यमंत्री ने 52 नवीन/क्रमोन्नत न्यायालयों के सृजन के लिए मितव्ययता परिपत्र में शिथिलन को मंजूरी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजकीय व्यय में मितव्ययता परिपत्र के बिंदू संख्या 5(प) में शिथिलन देते हुए 52 नवीन/क्रमोन्नत न्यायालय मय स्टाफ खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार की ओर से तीन सितम्बर, 2020 को जारी राजकीय मितव्ययता परिपत्र के अनुसार 'वित्तीय वर्ष 2020-21 में 100 प्रतिशत राज्यनिधि से वित्त पोषित कोई भी नया कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी. पूर्व में स्वीकृत कार्यालय जो आरम्भ नहीं हुए हैं, उन्हें भी इस वित्तीय वर्ष में स्थापित नहीं किया जाएगा'.

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ऐसे में मुख्यमंत्री ने इसमें शिथिलन देते हुए इन न्यायालयों को मय स्टाफ खोलने को मंजूरी दे दी है. उल्लेखनीय है कि 52 नवीन न्यायालयों पर करीब 156 करोड़ रुपए का एकमुश्त व्यय एवं 52 करोड़ रुपए वार्षिक व्यय होने की संभावना है. एकमुश्त व्यय में नवीन न्यायालय भवन और फर्नीचर पर तीन करोड़ रुपए प्रति न्यायालय यानी 52 न्यायालयों पर 156 करोड़ रुपए खर्च होना संभावित है.

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