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Karauli violence case: कांग्रेस की 3 सदस्यीय कमेटी ने CM गहलोत को सौंपी रिपोर्ट, दोनों पक्षों की मानी गलती

करौली हिंसा मामले (Karauli violence case) में कांग्रेस की 3 सदस्यीय कमेटी ने सीएम अशोक गहलोत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. कमेटी ने हिंसा मामला में दोनों पक्षों की गलती मानी है. साथ ही कमेटी ने रिपोर्ट में पुलिस की लापरवाही की बात भी कही है.

Karauli violence case
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Published : Apr 6, 2022, 10:32 AM IST

जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से करौली में हुई हिंसा के मामले (Karauli violence case) में बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दी है. कमेटी मेंबर और करौली के प्रभारी सचिव ललित यादव (Congress on Karauli violence case) ने बताया कि इस मामले में कमेटी ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें दोनों पक्षों की गलती मानी गई है. रैली निकाल रहे लोगों की गलती यह थी कि वे लगातार भड़काऊ नारेबाजी करते रहे तो वहीं छतों पर मौजूद दूसरे पक्ष की गलती यह थी कि वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और उन्होंने पथराव किया.

कमेटी ने मुख्यमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि इस मामले में भले ही दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष की गलती क्यों न हो, सीसीटीवी फुटेज में जो भी नजर आ रहा हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि चाहे इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं की गलती हो या फिर कांग्रेस से जुड़े लोगों की, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की जिसने भी कोशिश की है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई बिना किसी भेदभाव के होनी चाहिए.

पढ़ें- Karauli Violence: जांबाज नेत्रेश ने जान की परवाह किए बिना बचाई 4 जिंदगियां...सीएम ने की फोन पर बात...हेड कांस्टेबल पद पर दी पदोन्नित

पुलिस की भी मानी गलती: कमेटी ने अपनी रिपोर्ट (Congress on Karauli violence case) में पुलिस प्रशासन की भी गलती मानी है. रिपोर्ट में कमेटी की ओर से लिखा गया है कि जब इस रैली को निकालने में लाउडस्पीकर की परमिशन नहीं थी तो फिर रैली में लाउडस्पीकर कैसे बजा. साथ ही जैसे ही लाउडस्पीकर बजने लगा पुलिस ने इसे क्यों नहीं रोका. इसके साथ ही प्रशासन के पास मौजूद 30 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को रैली में नहीं लगाकर रिजर्व में बिठाए रखना भी एक गलती थी. अगर पुलिसकर्मियों को पहले ही संभावित घटनाक्रम वाली संदिग्ध जगह लगा दिया जाता तो यह घटना रोकी जा सकती थी.

39 दुकानें जली : कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि जैसे ही पथराव हुआ उसके बाद रैली निकालने वाले लोग गुस्से में आ गए और इसी आवेश में दुकानें भी जलाई गई. कमेटी ने कुल 39 दुकानों को नुकसान होने की बात कही है. इन 39 दुकानों में से ज्यादातर दुकानों का स्वामित्व तो हिंदुओं के पास था, लेकिन उन दुकानों को चलाने वाले किराएदार मुस्लिम थे. अब कमेटी ने इन लोगों को मुआवजा देने की बात प्रशासन को कही है. बता दें, कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र, कांग्रेस सचिव और करौली प्रभारी ललित यादव के साथ ही विधायक रफीक खान की एक कमेटी बनाई थी, जिसने मंगलवार को हिंसा और आगजनी वाले क्षेत्र में जाकर अपनी रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को मंगलवार शाम को ही भेजा जा चुका है जबकि प्रदेश कांग्रेस को यह रिपोर्ट आज शाम या कल सुबह भेजी जाएगी.

पढ़ें- Karauli Violence : भाजपा के बाद कांग्रेस की तीन सदस्यीय टीम पहुंची करौली, रफीक बोले- दोषियों के खिलाफ की जाए सख्त कार्रवाई...

क्या है पूरा मामला: राजस्थान के करौली में हिंदू नववर्ष के अवसर पर निकाली जा रही रैली पर (Stone pelting on Hindu New Year rally) कुछ लोगों ने पथराव किया था. इस हिंसा में 42 लोग घायल हुए थे. माहौल बिगड़ते देख भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और एहतियातन कर्फ्यू लगाया गया था. इसी मामले को लेकर पक्ष प्रतिपक्ष की ओर से एक दूसरे पर प्रहार किया जा रहा है. दोनों ओर से इसकी जांच के लिए टीम गठित की गई थी.

जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से करौली में हुई हिंसा के मामले (Karauli violence case) में बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दी है. कमेटी मेंबर और करौली के प्रभारी सचिव ललित यादव (Congress on Karauli violence case) ने बताया कि इस मामले में कमेटी ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें दोनों पक्षों की गलती मानी गई है. रैली निकाल रहे लोगों की गलती यह थी कि वे लगातार भड़काऊ नारेबाजी करते रहे तो वहीं छतों पर मौजूद दूसरे पक्ष की गलती यह थी कि वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और उन्होंने पथराव किया.

कमेटी ने मुख्यमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि इस मामले में भले ही दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष की गलती क्यों न हो, सीसीटीवी फुटेज में जो भी नजर आ रहा हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि चाहे इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं की गलती हो या फिर कांग्रेस से जुड़े लोगों की, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की जिसने भी कोशिश की है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई बिना किसी भेदभाव के होनी चाहिए.

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पुलिस की भी मानी गलती: कमेटी ने अपनी रिपोर्ट (Congress on Karauli violence case) में पुलिस प्रशासन की भी गलती मानी है. रिपोर्ट में कमेटी की ओर से लिखा गया है कि जब इस रैली को निकालने में लाउडस्पीकर की परमिशन नहीं थी तो फिर रैली में लाउडस्पीकर कैसे बजा. साथ ही जैसे ही लाउडस्पीकर बजने लगा पुलिस ने इसे क्यों नहीं रोका. इसके साथ ही प्रशासन के पास मौजूद 30 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को रैली में नहीं लगाकर रिजर्व में बिठाए रखना भी एक गलती थी. अगर पुलिसकर्मियों को पहले ही संभावित घटनाक्रम वाली संदिग्ध जगह लगा दिया जाता तो यह घटना रोकी जा सकती थी.

39 दुकानें जली : कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि जैसे ही पथराव हुआ उसके बाद रैली निकालने वाले लोग गुस्से में आ गए और इसी आवेश में दुकानें भी जलाई गई. कमेटी ने कुल 39 दुकानों को नुकसान होने की बात कही है. इन 39 दुकानों में से ज्यादातर दुकानों का स्वामित्व तो हिंदुओं के पास था, लेकिन उन दुकानों को चलाने वाले किराएदार मुस्लिम थे. अब कमेटी ने इन लोगों को मुआवजा देने की बात प्रशासन को कही है. बता दें, कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र, कांग्रेस सचिव और करौली प्रभारी ललित यादव के साथ ही विधायक रफीक खान की एक कमेटी बनाई थी, जिसने मंगलवार को हिंसा और आगजनी वाले क्षेत्र में जाकर अपनी रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को मंगलवार शाम को ही भेजा जा चुका है जबकि प्रदेश कांग्रेस को यह रिपोर्ट आज शाम या कल सुबह भेजी जाएगी.

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क्या है पूरा मामला: राजस्थान के करौली में हिंदू नववर्ष के अवसर पर निकाली जा रही रैली पर (Stone pelting on Hindu New Year rally) कुछ लोगों ने पथराव किया था. इस हिंसा में 42 लोग घायल हुए थे. माहौल बिगड़ते देख भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और एहतियातन कर्फ्यू लगाया गया था. इसी मामले को लेकर पक्ष प्रतिपक्ष की ओर से एक दूसरे पर प्रहार किया जा रहा है. दोनों ओर से इसकी जांच के लिए टीम गठित की गई थी.

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