जयपुर. प्रदेश में शनिवार को कोरोना संक्रमण के 2765 नए मामले देखने को मिले हैं, जिसके बाद प्रदेश में कुल संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 2,62,805 पर पहुंच गया है. वहीं, बीते 24 घंटों में 19 मरीजों की मौत दर्ज की गई है और अब तक प्रदेश में 2274 मरीज इस बीमारी से दम तोड़ चुके हैं. शनिवार को एक बार फिर जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर, अलवर और भीलवाड़ा से सबसे अधिक संक्रमित मामले देखने को मिले हैं.
चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को अजमेर से 115, अलवर से 179, बांसवाड़ा से 14, बारां से 37, बाड़मेर से 13, भरतपुर से 88, भीलवाड़ा से 108, बीकानेर से 59, बूंदी से 42, चित्तौड़गढ़ से 17, चूरू से 64, दौसा से 13, धौलपुर से 6, डूंगरपुर से 45, गंगानगर से 62, हनुमानगढ़ से 24, जयपुर से 627, जैसलमेर से 25, जालोर से 25, झालावाड़ से 20, झुंझुनू से 24, जोधपुर से 449, करौली से 13, कोटा से 219, नागौर से 92, पाली से 71, प्रतापगढ़ से 7, राजसमंद से 28, सवाई माधोपुर से 29, सीकर से 75, सिरोही से 26, टोंक से 39 और उदयपुर से 110 संक्रमित मामले देखने को मिले हैं.
वहीं, शनिवार को 2178 नए मरीज रिकवर्ड हुए हैं और अब तक प्रदेश में 2,31,780 कुल मरीज रिकवर्ड हो चुके हैं. इसके अलावा प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 28,751 पर पहुंच गई है.
जयपुर के जनाना अस्पताल में प्लेटलेट्स की सुविधा शुरू
प्रदेश के सबसे बड़े जनाना हॉस्पिटल में अब मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए अन्य जगह भटकना नहीं पड़ेगा. जनाना अस्पताल के ब्लड बैंक में अब मरीजों को प्लेटलेट्स भी उपलब्ध हो सकेगी और शनिवार से अस्पताल में यह सुविधा शुरू कर दी गई है.
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अस्पताल के सीनियर प्रोफेसर और ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि इससे पहले प्रसव के दौरान कई बार महिलाओं को प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती थी. ऐसे में मरीजों के लिए अन्य जगह से प्लेटलेट्स की व्यवस्था करनी पड़ती थी, लेकिन अब अस्पताल में एक गंभीर प्रसव के दौरान महिलाओं को प्लेटलेट्स आसानी से मिल सकेगी. शनिवार से जयपुर के जनाना अस्पताल में इसकी शुरुआत भी कर दी गई है. इससे पहले यह सुविधा सिर्फ सरकारी क्षेत्र के सवाई मानसिंह अस्पताल में ही उपलब्ध थी.
अमित शर्मा ने बताया कि अब मरीजों के हित में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की शुरुआत सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटैच जनाना अस्पताल चांदपोल में शुरू कर दी गई है. अस्पताल में प्लेटलेट्स की शुरुआत के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे.