जयपुर. जयपुर शहर में नगर निगम चुनाव के नामांकन को लेकर सोमवार को हलचल रही. जयपुर शहर में नामांकन जमा कराने के लिए 25 केंद्र बनाए गए जहां अंतिम दिन सोमवार को उम्मीदवारों की भीड़ उमड़ी. अंतिम दिन उम्मीदवारों को नामांकन जमा कराने के लिए साढ़े 4 घंटे का समय मिला. बड़ी पार्टियों के कुछ पार्षद उम्मीदवार ऐसे भी रहे जो, समय पर नहीं पहुंचने के कारण अपना नामांकन जमा नहीं करा पाए.
टिकट देने के मामले में विरोध को देखते हुए दोनों ही प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा करने में देरी कर दी. भाजपा ने रविवार देर रात को नामों की घोषणा की वहीं कांग्रेस ने सोमवार सुबह नामों की घोषणा की. ऐसे में दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार देरी से नामांकन केंद्र पहुंचे. जिसके कारण वह अपना नामांकन जमा नहीं करा सके.
जयपुर ग्रेटर के वार्ड 133 में कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षत जैन मोदी को टिकट दिया गया था, लेकिन निर्धारित समय पर नामांकन केंद्र नहीं पहुंच पाए. इसके कारण उनका नामांकन जमा नहीं हो पाया. अक्षय जैन को राजीव अरोड़ा ने टिकट दिया था. उम्मीदवार ने बड़े-बड़े राजनेताओं से जिला प्रशासन को फोन भी कराएं लेकिन उसका फॉर्म जमा नहीं हो पाया.
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इसी तरह से नगर निगम हैरिटेज के वार्ड 6 और 7 के भाजपा उम्मीदवार समय पर नहीं पहुंच सके और इसके कारण उनका नामांकन भी जमा होने से रह गया. वार्ड 6 में भाजपा ने मजीद शाह और 7 में सईद खान को टिकट दिया था. हेरिटेज के वार्ड 74 में भाजपा ने ऐनवक्त अपना टिकट बदल दिया और कुसुम यादव को टिकट दिया, लेकिन तीन बजे बाद पहुंचने पर उनका सिंबल स्वीकार नहीं किया गया. इससे पहले मुन्नी देवी को भाजपा ने टिकट दिया था और उसी के सिंबल को रिटर्निग अधिकारी ने स्वीकार किया.
नामांकन के दौरान जिला कलेक्ट्रेट में भी ऐसा ही एक मामला देखने को मिला. नगर निगम ग्रेटर के वार्ड 111 में भाजपा ने पहले लक्ष्मी वर्मा को टिकट दिया था, लेकिन बाद में उसका टिकट बदलकर सुगना देवी को दे दिया गया. लक्ष्मी वर्मा को इसकी जानकारी नहीं थी और वह कलेक्ट्रेट के नामांकन केंद्र पर अपना नामांकन जमा कराने के लिए पहुंच गई. उसने पैसों की रसीद भी कटवा ली थी, लेकिन गेट बंद होने पर वह अंदर प्रवेश नहीं कर पाई. इसके बाद लक्ष्मी वर्मा और उसके साथ आए लोगों ने हंगामा शुरु कर दिया. वे जबरदस्ती अंदर जाने की कोशिश करने लगे. लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया.
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इसके बाद रिटर्निग अधिकारी बाहर आए और लक्ष्मी वर्मा की बात सुनी. आरओ नर समझाया कि समय समाप्त हो चुका है इसलिए उनका नामांकन नहीं लिया जा सकता. लक्ष्मी वर्मा रोने लग गयी और उसने पैसे लेने का आरोप भी लगाया. लक्ष्मी वर्मा जबरदस्ती आरओ कक्ष में घुस गई और नीचे बैठकर आरओ के हाथ पांव भी जोड़े, लेकिन आरओ ने नियमों का हवाला देकर उसका नामांकन नहीं लिया. दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के अलावा कुछ निर्दलीय भी ऐसे रहे जो समय पर नहीं पहुंचने के कारण अपना नामांकन नहीं जमा करा पाए.