जयपुर. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ (MP Col Rajyavardhan Rathore) ने लोकसभा में जल संरक्षण (water conservation ) के लिए जागरूकता के सम्बंध में प्रश्न पूछे. उन्होंने पूछा कि कृषि विज्ञान कल्याण मेलों (Krishi Vigyan Kalyan Mela) ने देशभर में जल संरक्षण के मुद्दे का समाधान किया है. राजस्थान में मेलों का विवरण क्या है ?
सरकार ने भूजल (Groundwater level ) के गंभीर और अत्यधिक दोहन वाले जिलों में जल संरक्षण के बारे में संवेदनशीलता उत्पन्न करने के लिए क्या अतिरिक्त उपाय किए हैं ? जल शक्ति अभियान (Jal Shakti Abhiyan) के अंतर्गत राजस्थान में कितने जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन ढांचों का निर्माण किया गया है? सांसद कर्नल राज्यवर्धन की ओर से पूछे गए सवालों का जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel ) ने जवाब दिया.
पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि 3 अगस्त 2021 तक राजस्थान में जल शक्ति अभियान: कैच द रैन कैंपेन के अंतर्गत 12046 सहभागियों की ओर से 101 जागरूकता कार्यक्रम और कृषि विज्ञान केन्द्र मेलों का आयोजन किया गया है. 2 अगस्त तक जल शक्ति अभियान: कैच द रैन कैंपेन के अंतर्गत राजस्थान में 17066 जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन ढ़ांचों का निर्माण किया गया है.
जल शक्ति अभियान कैच द रैन (जेएसए, सीटीआर) अभियान के तहत जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, पारंपरिक और अन्य जल निकायों, टैंकों का नवीनीकरण, वाटरशेड विकास, गहन नवीनीकरण तथा जागरूकता उत्पन्न करने जैसे कार्य किये जा रहे हैं. कैंपेन भाग के रूप में, भारतीय राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद (National Council of Agricultural Research) का कृषि विज्ञान केन्द्र (Krishi Vigyan Kendra) भी प्रशिक्षण कार्यक्रम, बीज पैकेट और पौधों का वितरण, किसानों में आदि जागरूकता गतिविधियां कर रहा है.
पटेल ने बताया कि अब तक भूजल के संकटपूर्ण और अति दोहित क्षेत्र को लेकर देश के विभिन्न भागों में ऐसे 745 कार्यक्रम किये जा चुके हैं. जिसमें किसानों सहित लगभग 64 हजार लोगों को जल संरक्षण और भूजल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) ने 2019 में देश के जल की कमी वाले 256 जिलों के 1592 ब्लॉकों में जल शक्ति अभियान कार्यान्वित किया है
इसके अंतर्गत जल संरक्षण पर जागरूकता बढ़ाने वाली गतिविधियों का संचालन किया गया है. संकटपूर्ण और अति दोहित क्षेत्रों में फसलों को उगाने के लिए किसानों को ऐसी पैदावार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसमें पानी का अधिक उपयोग नहीं किया जाता. साथ ही आर्थिक रूप से लाभकारी स्वस्थ और पोषक, पर्यावरण के अनुकूल और क्षेत्र की एग्रो-क्लाइमेंट हाइड्रो विशेषताओं के अनुरूप हो.
भूजल के सतत प्रबंधन के लिए विश्व बैंक (world Bank) ने 6000 करोड़ रुपए की एक स्कीम स्वीकृत की है. जो गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अति दोहित और जल की कमी वाले चिह्नित क्षेत्रों में चलाई जा रही है.