जयपुर. प्रदेश में डेंगू के डंक से अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की माने तो बीते साल के मुकाबले इस साल डेंगू के मामले 3 गुना तक बढ़ चुके हैं. अभी भी लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) के ब्लड बैंक में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) और रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) की मांग भी लगातार बढ़ने लगी है. ब्लड बैंक को 24 घंटे पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है. इसके अलावा इस साल डेंगू से पीड़ित मरीजों में ब्लीडिंग की समस्याएं भी सबसे अधिक देखने को मिल रही है.
आंकड़ों की बात करें तो इस बार कोविड-19 संक्रमण के बाद डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते साल के मुकाबले इस साल डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राजधानी जयपुर में अब तक सबसे अधिक डेंगू के मामले देखने को मिले हैं. इसके साथ ही अस्पतालों में एसडीपी और आरडीपी की मांग भी लगातार बढ़ने लगी है.
डेंगू से जुड़े आंकड़ों की बात की जाए तो बारिश के मौसम के बाद प्रदेश में डेंगू और अन्य मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. जिसमें सबसे अधिक डेंगू के मरीज देखने को मिल रहे हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात की जाए तो बेड की कमी होने से मरीजों को जमीन पर भी लेटा कर इलाज किया जा रहा है.
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आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में डेंगू के 9911 मामले देखने को मिले थे और 14 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी. साल 2019 में 13686 डेंगू के मामले देखने को मिले थे और 18 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी. साल 2020 में डेंगू के 2023 मामले सामने आए और 7 मरीजों की मौत दर्ज की गई. वहीं साल 2021 में अब तक 6448 डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं और 10 मरीजों की मौत हो चुकी है.
प्रदेश में सबसे अधिक डेंगू के मामले जयपुर में देखने को मिले हैं जयपुर में अब तक 1332 डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं. वहीं अजमेर में 289, अलवर में 440, बाड़मेर में 268, भीलवाड़ा में 269, बीकानेर में 270, चूरू में 270, धौलपुर में 201, झालावाड़ में 431, करौली में 531, कोटा में 598 और उदयपुर से डेंगू के 208 मामले अभी तक सामने आए हैं. जबकि अलवर में 3 बीकानेर में 1, दौसा में 2, सवाई माधोपुर में 1, जयपुर में 2, गंगानगर में 1 मरीज की मौत हो चुकी है.
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प्लेटलेट्स की मांग बढ़ी
राजधानी जयपुर की बात की जाए तो सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटैच 5 अस्पतालों के ब्लड बैंक में लगातार प्लेटलेट्स की मांग बढ़ने लगी है. सवाई मानसिंह अस्पताल की चिकित्सक डॉक्टर सरिता शर्मा का कहना है कि डेंगू के मामले बढ़ने के बाद अस्पताल के ब्लड बैंक में एसडीपी और आरडीपी की मांग अचानक बढ़ी है. क्योंकि डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स सबसे अधिक जरूरी होती है. ऐसे में एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक में अन्य दिनों में जहां सिर्फ दो या तीन एसडीपी की मांग बनी रहती थी, वह अब बढ़कर 12 से 15 पहुंच गई है. वहीं एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच अन्य अस्पतालों के ब्लड बैंक को शामिल किया जाए तो एसडीपी और आरडीपी की संख्या फिलहाल 150 से अधिक पहुंच चुकी है.
10 हजार से कम प्लेटलेट्स एसडीपी जरूरी
डॉक्टर सरिता शर्मा का कहना है कि इस साल डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. प्लेटलेट्स कम होने पर मरीजों में ब्लीडिंग की समस्याएं भी देखने को मिल रही है. आमतौर पर वयस्कों में 10 हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर शरीर से खून निकलना शुरू हो जाता है. जिसे ब्लीडिंग कहा जाता है. ऐसे में तुरंत मरीज को एसडीपी की जरूरत होती है. इसके अलावा छोटे बच्चों में यदि डेंगू के बाद प्लेटलेट्स 30000 से कम हो जाए तो एसडीपी देना आवश्यक हो जाता है नहीं तो मरीज की जान जा सकती है.