बीकानेर. सरकार की राजस्व प्राप्ति के कई जरियों में से स्टांप भी एक है. जमीन की खरीद-फरोख्त, व्यवसायिक अनुबंध, लेन-देन के लिए दो पक्षों के बीच होने वाले लिखित अनुबंध तभी मान्य होते हैं जब वह स्टाम्प पर लिखा होता है. बीकानेर में अब ई-स्टाम्प का चलन बढ़ रहा है.
अलग-अलग श्रेणी और काम के लिए अलग-अलग राशि के स्टांप की अनिवार्यता है. आमतौर पर स्टांप की बिक्री के साथ ही कभी इसकी तय कीमत से ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायत तो कभी इसकी कमी को लेकर खबर आती रहती है. स्टांप महाराष्ट्र के नासिक में छपते हैं. वहां से इसकी आपूर्ति होती है. ऐसे में कई बार अलग-अलग राशि के स्टांप की खपत के मुकाबले आपूर्ति कम होने से दिक्कत आती है.
ऐसे में कई बार आपूर्ति कम होने के चलते स्टांप वेंडर ज्यादा राशि वसूलते हैं. बीकानेर में जब ईटीवी भारत की टीम ने स्टांप की आपूर्ति और खपत को लेकर पता किया तो मालूम चला कि 1000, 5000 और 10000 की स्टांप की आपूर्ति नहीं होने से उसकी कमी है. स्टांप विक्रेता गणेश राज व्यास और नवरतन कल्ला कहते हैं कि बड़ी राशि के स्टाम्प की आपूर्ति नहीं हो रही है.
हालांकि दिक्कत तो हो रही है क्योंकि ग्राहकों को इसकी मनाही करनी पड़ती है. लेकिन ई-स्टांपिंग के चलते से उपभोक्ता का तो काम हो जाता है. लेकिन वेंडर्स को नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं पंजीयन विभाग में काम के लिए आए प्रोपर्टी कारोबार से जुड़े मनोज ओझा कहते हैं कि स्टाम्प की कमी जैसी कोई बात नहीं है. वे कहते हैं कि कई बार फिजिकल स्टाफ की कमी होती है. लेकिन ई स्टांपिंग के कारण कमी महसूस नहीं होती.
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ओझा कहते हैं कि अब सरकार खुद डिजिटलाइजेशन के बढ़ावा दे रही है. वहीं पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की उपमहानिरीक्षक ऋषिबाला श्रीमाली कहती हैं कि बड़े राशि के स्टांप नासिक से आपूर्ति पर निर्भर है. हालांकि कम राशि के आपूर्ति किए हुए स्टाम्प की कमी जैसी कोई बात से उन्होंने इनकार किया. ऋषिबाला कहती हैं कि पिछले दिनों में ई स्टांपिंग का चलन बढ़ा है और ई स्टांपिंग के चलते स्टांप वेंडर द्वारा ज्यादा राशि लेने और स्टांप उपलब्ध नहीं होने जैसी बात खत्म हो गई है.
कुल मिलाकर डिजिटल के युग में अब स्टांप वेंडर का कामकाज भी धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है. ई स्टांप उपलब्ध होने से उपभोक्ता सीधे उसी को पसंद करता है. इसके लिए उसे न तो वेंडर के चक्कर काटने पड़ते हैं और ना ही ज्यादा राशि का भुगतान करना पड़ता है.
डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ स्टांप वेंडर के लिए भी रोजी रोटी का खतरा मंडराने लग गया है. वर्तमान में 100000 के साधारण स्टाम्प पर वेंडर को 1000 का कमीशन मिलता है. जबकि ई स्टांपिंग में यह कमीशन मात्र 125 रुपए है.
स्टाम्प वेंडर फिजिकल स्टाफ के साथ ई स्टांप बेच सकता है. लेकिन उसके लिए उसे दुकान में बिजली कनेक्शन के साथ ही कम्प्यूटर, कलर प्रिंटर और स्टेशनरी का भी खर्च भी उठाना होगा. जबकि फिजिकल स्टांप में उसे मिलने वाले कुल मेहनताने का महज 10 फीसदी ही ई स्टांपिंग में मिलेगा. ऐसे में यह स्टाम्प वेंडर के लिए घाटे का सौदा है.