बीकानेर. राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को लेकर काफी कुछ लिखा जा चुका है और आज भी शोधार्थियों के सीखने और समझने के लिए यहां बहुत कुछ मौजूद है. भाषा और संस्कृति के मामले में भारत बेहद समृद्ध है और राजस्थानी भाषा की इस दृष्टि से अलग पहचान है. भले ही संविधान की आठवीं अनुसूची में इस भाषा को अब तक शामिल नहीं किया गया है लेकिन करोड़ों लोगों की बोलचाल की भाषा को उसका अधिकार दिलाने के लिए लंबे समय से संघर्ष जारी है. इस भाषा के समृद्ध होने का प्रत्यक्ष गवाह है बीकानेर के राजस्थान राज्य अभिलेखागार में करीब 200 साल पुराना रखा एक हस्तलिखित पत्र.
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108 मुहावरों को पत्र में किया गया है प्रयोग
बताया जाता है कि तत्कालीन जोधपुर रियासत के महाराजा मानसिंह को उनकी रियासत की सुखसेज राय नाम की एक महिला ने राजस्थानी भाषा में पत्र लिखा था. इस पत्र की खास बात यह है कि इसमें 108 राजस्थानी मुहावरों का इस्तेमाल किया गया है. करीब 2 फीट लंबे इस पत्र में सबसे ऊपर महाराजा मानसिंह और महिला का फोटो भी है. महाराजा मानसिंह को कई दिनों से नहीं देख पाने पर महिला ने पत्र लिखकर यह संदेश उन तक पहुंचाया था. लेकिन इस पत्र की खासियत उस मायने में बढ़ गई जब इसे लिखने में एक पंक्ति के इस संदेश से पहले महाराजा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए महिला ने राजस्थानी भाषा के 108 मुहावरों से उन को संबोधित किया था.
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अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेंद्र खडगावत कहते हैं कि राजस्थानी भाषा साहित्यिक रूप से कितनी संपन्न है, इसका अंदाजा इस पत्र से आसानी से लगाया जा सकता है. एक आम महिला अपने महाराजा के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हुए पत्र लिखती है, उससे साफ है कि इस भाषा का महत्व आज भी है. उन्होंने बताया कि इस पत्र में जन मुहावरों का इस्तेमाल किया गया जैसे माथा रा मोड़, सिर रा सेवरा, मेहला रा मांडण, हिवड़े रो हार, फूला बीच गुलाब, उगता सूरज, राजश्री, सकल गुण निधान, बहुजाण, आत्मा रां आधार, पूनम रो चांद और इससे इस भाषा की न सिर्फ गूढ़ता का पता चलता है बल्कि किसी सम्मानित व्यक्ति को अलंकृत करने में राजस्थानी भाषा के शब्दों का चयन कितना प्रभावी है, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है.
बीकानेर के अभिलेखागार के अभिलेख म्यूजियम में यह पत्र आज भी सुरक्षित रखा है. यहां आने वाले पर्यटकों में इस पत्र को पढ़ने को लेकर काफी रुचि दिखाई देती है. पत्र में लिखे गए मुहावरों का प्रयोग लोगों में इसके अर्थ को समझने की उत्सुकता बढ़ाता है. इसके साथ ही शोधार्थियों के लिए भी यह पत्र रिसर्च का विषय है.