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अभूतपूर्व है डूंगर कॉलेज का इतिहास, कई छात्र नेताओं ने सक्रिय राजनीति में गाड़े झंडे

राजस्थान छात्रसंघ चुनावों का बिगुल बज चुका है. छात्र नेता कैम्पस में कैम्पेनिंग करते देखे जा सकते हैं. अपना सिक्का जमाने की जुगत में सब हैं. बात करें बीकानेर की तो विश्वविद्यालयों से ज्यादा डूंगर कॉलेज को लेकर सिर्फ विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि छात्र संगठनों में भी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है. वजहें एक नहीं कई हैं. सबसे अहम तो ये कि जिस छात्रनेता ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया उसकी तूती प्रदेश ही नहीं पूरे देश में भी बोली.

Dungar College Bikaner history
अभूतपूर्व है डूंगर कॉलेज का इतिहास
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Published : Aug 17, 2022, 11:35 AM IST

Updated : Aug 17, 2022, 1:49 PM IST

बीकानेर. बीकानेर के डूंगर कॉलेज का इतिहास आजादी से भी पुराना है. रियासत काल में स्कूल से शुरू हुआ सफर कुछ सालों में ही कॉलेज तक पहुंचा और आज डूंगर कॉलेज बीकानेर संभाग का सबसे बड़ा महाविद्यालय है जिसकी गिनती प्रदेश के प्रमुख महाविद्यालय में होती है (Dungar College Bikaner history). दरअसल डूंगर कॉलेज केवल छात्रसंघ चुनाव तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि इस कॉलेज में चुनाव लड़ने वाले छात्र नेता और अध्यक्ष बन चुके नेता आज राजनीति में सफल हैं.

कई पूर्व छात्र मंत्री, यह भी एक संयोग!: यह भी एक संयोग है कि इसी कॉलेज के पूर्व छात्र आज देश और प्रदेश की सरकार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. फेहरिस्त लम्बी है. बीकानेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल इस कॉलेज के छात्र रह चुके हैं तो वहीं प्रदेश के शिक्षा मंत्री बी डी कल्ला यहां के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़, नरपत सिंह राजवी, पूर्व विधायक रेवत राम पंवार, आरके दास गुप्ता, सुरेंद्र पाल टीटी इसी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं.

अभूतपूर्व है डूंगर कॉलेज का इतिहास

नाम और भी हैं. इनमें केंद्र सरकार में मंत्री रहे और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे दिवंगत उस्मान आरिफ, पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत मानिक चंद सुराणा शामिल हैं. बीकानेर से ही विधायक रहे दिवंगत गोपाल जोशी भी छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तमान में राजनीतिक रूप से शहर भाजपा अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह, भगवान सिंह मेड़तिया, सुरेंद्र सिंह शेखावत, विजयपाल बेनीवाल, भागीरथ मूंड, शिवलाल गोदारा, धर्मचन्द गोदारा, रामनिवास कूकना महेश मूंड, सहित कई छात्र नेता राजनीति में सक्रिय हैं.

पढ़ें-Treaty of Versailles: 1919 में हुई वर्साय की संधि में बीकानेर के पूर्व महाराजा गंगासिंह रहे प्रमुख भूमिका में, दुर्लभ फोटो आए सामने

खेलों से लेकर सेना तक: इस कॉलेज ने देश को बहुत वीर सपूत भी दिए हैं. सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे देवनाथ सिंह, कश्मीर में देश के लिए शहादत देने वाले मरणोपरान्त शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद मेजर थॉमस, कर्नल बाग सिंह, ब्रिगेडियर जगमाल सिंह भी इसी कॉलेज के पास आउट थे. सीआरपीएफ में कमांडेंट और हाल ही में उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित हुए देवेंद्र सिंह कंस्वा भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं. वहीं भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान रहे अर्जुन पुरस्कार विजेता मगन सिंह राजवी, राजस्थान क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव अशोक ओहरी और रणजी खिलाड़ी रतन सिंह इसी कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं.

साहित्य से लेकर शिक्षा तक परचम: मीरा पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने माने साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य, दिवंगत कवि हरीश भादानी, कवि बुलाकीदास बावरा ने अपनी उच्च शिक्षा डूंगर कॉलेज से प्राप्त की. प्रदेश के एकमात्र पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति एके गहलोत एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर के पूर्व कुलपति डीएन पुरोहित कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति टीएन भारद्वाज, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जीएम देवड़ा, मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति राजा बाबू पवार, डीआरडीओ के डायरेक्टर रहे प्रख्यात रक्षा वैज्ञानिक और टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एचपी व्यास महाविद्यालय के पूर्व छात्र रहे है.

किसी भी शिक्षण संस्थान से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी का सपना होता है कि वो किसी दिन उसी जगह शिक्षार्थी नहीं बल्कि शिक्षक के तौर पर आए. ये गौरव भी महाविद्यालय की अभूतपूर्व शिक्षण पद्धति ने दिलवाई है. इसी महाविद्यालय से पढ़ाई कर इसी महाविद्यालय में प्राचार्य बनने का गौरव यहां के कुल 8 पूर्व छात्रों को मिला.

ये भी पढ़ें-World Environment day: मिलिए बीकानेर के ग्रीन मैन से! इनकी जिद्द ने मरुभूमि को हरा भरा बना दिया

पूर्व महाराजा डूंगर सिंह ने शुरू किया था स्कूल: कॉलेज के मीडिया प्रभारी और जियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र पुरोहित स्वर्णिम इतिहास की कहानी बताते हैं. कहते हैं कि रियासत काल में महाराजा डूंगर सिंह ने दरबार स्कूल के नाम से इसकी स्थापना की थी. बदलते समय के साथ 1928 में कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया और 1942 में यहां अलग-अलग संकाय खोले गए. बताते हैं कि राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा हर क्षेत्र में यहां के पूर्व विद्यार्थी अपना परचम लहरा रहे हैं तो वहीं वर्तमान में प्रदेश के 33 में से 8 जिलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश इसी डूंगर कॉलेज के पूर्व छात्र हैं. मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं.

बीकानेर. बीकानेर के डूंगर कॉलेज का इतिहास आजादी से भी पुराना है. रियासत काल में स्कूल से शुरू हुआ सफर कुछ सालों में ही कॉलेज तक पहुंचा और आज डूंगर कॉलेज बीकानेर संभाग का सबसे बड़ा महाविद्यालय है जिसकी गिनती प्रदेश के प्रमुख महाविद्यालय में होती है (Dungar College Bikaner history). दरअसल डूंगर कॉलेज केवल छात्रसंघ चुनाव तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि इस कॉलेज में चुनाव लड़ने वाले छात्र नेता और अध्यक्ष बन चुके नेता आज राजनीति में सफल हैं.

कई पूर्व छात्र मंत्री, यह भी एक संयोग!: यह भी एक संयोग है कि इसी कॉलेज के पूर्व छात्र आज देश और प्रदेश की सरकार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. फेहरिस्त लम्बी है. बीकानेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल इस कॉलेज के छात्र रह चुके हैं तो वहीं प्रदेश के शिक्षा मंत्री बी डी कल्ला यहां के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़, नरपत सिंह राजवी, पूर्व विधायक रेवत राम पंवार, आरके दास गुप्ता, सुरेंद्र पाल टीटी इसी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं.

अभूतपूर्व है डूंगर कॉलेज का इतिहास

नाम और भी हैं. इनमें केंद्र सरकार में मंत्री रहे और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे दिवंगत उस्मान आरिफ, पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत मानिक चंद सुराणा शामिल हैं. बीकानेर से ही विधायक रहे दिवंगत गोपाल जोशी भी छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तमान में राजनीतिक रूप से शहर भाजपा अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह, भगवान सिंह मेड़तिया, सुरेंद्र सिंह शेखावत, विजयपाल बेनीवाल, भागीरथ मूंड, शिवलाल गोदारा, धर्मचन्द गोदारा, रामनिवास कूकना महेश मूंड, सहित कई छात्र नेता राजनीति में सक्रिय हैं.

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खेलों से लेकर सेना तक: इस कॉलेज ने देश को बहुत वीर सपूत भी दिए हैं. सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे देवनाथ सिंह, कश्मीर में देश के लिए शहादत देने वाले मरणोपरान्त शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद मेजर थॉमस, कर्नल बाग सिंह, ब्रिगेडियर जगमाल सिंह भी इसी कॉलेज के पास आउट थे. सीआरपीएफ में कमांडेंट और हाल ही में उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित हुए देवेंद्र सिंह कंस्वा भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं. वहीं भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान रहे अर्जुन पुरस्कार विजेता मगन सिंह राजवी, राजस्थान क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव अशोक ओहरी और रणजी खिलाड़ी रतन सिंह इसी कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं.

साहित्य से लेकर शिक्षा तक परचम: मीरा पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने माने साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य, दिवंगत कवि हरीश भादानी, कवि बुलाकीदास बावरा ने अपनी उच्च शिक्षा डूंगर कॉलेज से प्राप्त की. प्रदेश के एकमात्र पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति एके गहलोत एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर के पूर्व कुलपति डीएन पुरोहित कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति टीएन भारद्वाज, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जीएम देवड़ा, मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति राजा बाबू पवार, डीआरडीओ के डायरेक्टर रहे प्रख्यात रक्षा वैज्ञानिक और टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एचपी व्यास महाविद्यालय के पूर्व छात्र रहे है.

किसी भी शिक्षण संस्थान से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी का सपना होता है कि वो किसी दिन उसी जगह शिक्षार्थी नहीं बल्कि शिक्षक के तौर पर आए. ये गौरव भी महाविद्यालय की अभूतपूर्व शिक्षण पद्धति ने दिलवाई है. इसी महाविद्यालय से पढ़ाई कर इसी महाविद्यालय में प्राचार्य बनने का गौरव यहां के कुल 8 पूर्व छात्रों को मिला.

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पूर्व महाराजा डूंगर सिंह ने शुरू किया था स्कूल: कॉलेज के मीडिया प्रभारी और जियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र पुरोहित स्वर्णिम इतिहास की कहानी बताते हैं. कहते हैं कि रियासत काल में महाराजा डूंगर सिंह ने दरबार स्कूल के नाम से इसकी स्थापना की थी. बदलते समय के साथ 1928 में कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया और 1942 में यहां अलग-अलग संकाय खोले गए. बताते हैं कि राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा हर क्षेत्र में यहां के पूर्व विद्यार्थी अपना परचम लहरा रहे हैं तो वहीं वर्तमान में प्रदेश के 33 में से 8 जिलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश इसी डूंगर कॉलेज के पूर्व छात्र हैं. मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं.

Last Updated : Aug 17, 2022, 1:49 PM IST
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