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स्पेशल रिपोर्ट: बदहाली के आंसू बहा रही प्राचीन बीकाजी की टेकरी, सरंक्षित सूची में शामिल होने के बाद भी ऐसे हाल

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Published : Dec 8, 2019, 11:45 PM IST

बीकानेर में बीकाजी की टेकरी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जहां एक तरफ राजस्थान की पुराने किले व हवेलियां अपनी स्थापत्य कला के लिए जाने जाते है. वहीं संरक्षण के अभाव में बीकाजी की टेकरी खडंहर में तब्दील होती जा रहा है..देखिए बीकानेर से स्पेशल रिपोर्ट

Bikaji ki tekri, Bikaji ki tekri poor condition
बदहाली के आंसू बहा रही प्राचीन बीकाजी की टेकरी

बीकानेर. राजस्थान की पुराने किले व हवेलियां देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है. इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां आते है, लेकिन इस प्राचीन धरोहर के रख रखाव की बदहाल व्यवस्था का जीता जागता बीकाजी की टेकरी उदाहरण है. जिसको बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी द्वारा बनाया गया. 1968 में संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल ये 16वीं शताब्दी का स्मारक आज उपेक्षा व विभागीय उदासीनता के चलते खंडहर मे तब्दील होने लगा है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी के इस ऐतिहासिक स्मारक की बदतर स्थिति है.

बदहाली के आंसू बहा रही प्राचीन बीकाजी की टेकरी

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: खंडहर हो गया 'न्यू पाली' का सपना, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था करोड़ों रुपये की योजना का उद्धघाटन

ऐतिहासिक इमारत खंडहर में तब्दील
प्राचीन स्मारक व इमारतें हमें उस समय की कला और हमारे वैभवशाली इतिहास के साक्ष्य के रूप में देखने का मौका देता है. लेकिन वर्तमान में ऐसे कई स्मारक है जो सरंक्षित सूची में होने के बावजूद भी उपेक्षा का शिकार होने के कारण अपना पुरातन वैभव खो रही है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी की टेकरी जो सरंक्षित सूची में शामिल होने के बाद भी अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. स्थानीय निवासी कहते हैं कि करीब 20 वर्ष पहले थोड़ा बहुत रंग रोगन हुआ था, लेकिन उसके बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक इमारत एक खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है.

पढ़ें- स्पेशल: यहां करीब 40 हजार लोग डर के साए में जी रहे, पग-पग मौत की दीवार

52 साल बाद आज मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बीकाजी की टेकरी कहने को तो सरंक्षित सूची में है लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सूची में आने के 52 साल बाद आज तक ना तो यहां पानी की सुविधा है और ना ही बिजली की. यहीं नहीं चारों तरफ की दीवारें भी दरकने लगी है. हालत ये है कि ये दीवारें हवा का तेज झोंका भी बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी हमारे वैभवशाली इतिहास को कैसे जान पाएंगी.

पढ़ें- स्पेशल: रियासत काल की शान कही जाने वाली 'जैत सागर झील' अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही, विकास की दरकार

उदासीनता को दर्शाता अधिकारी का ऐसा बयान
वहीं बीकानेर में पुरातत्व विभाग के निरंजन पुरोहित से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बीकाजी की टेकरी हमारी सरंक्षित सूची में शामिल है इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हमने इसके जीर्णोद्धार को लेकर सरकार को बजट का प्रस्ताव भेजा है. वहीं लाइट पानी जैसी मूलभूत सुविधा पर कन्नी काटते हुए कहा की यह निगम के अधिकार क्षेत्र का विषय है. ऐसे में अधिकारी का इस तरह का बयान विभाग की उदासीनता को दर्शाता है.

बीकानेर. राजस्थान की पुराने किले व हवेलियां देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है. इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां आते है, लेकिन इस प्राचीन धरोहर के रख रखाव की बदहाल व्यवस्था का जीता जागता बीकाजी की टेकरी उदाहरण है. जिसको बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी द्वारा बनाया गया. 1968 में संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल ये 16वीं शताब्दी का स्मारक आज उपेक्षा व विभागीय उदासीनता के चलते खंडहर मे तब्दील होने लगा है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी के इस ऐतिहासिक स्मारक की बदतर स्थिति है.

बदहाली के आंसू बहा रही प्राचीन बीकाजी की टेकरी

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ऐतिहासिक इमारत खंडहर में तब्दील
प्राचीन स्मारक व इमारतें हमें उस समय की कला और हमारे वैभवशाली इतिहास के साक्ष्य के रूप में देखने का मौका देता है. लेकिन वर्तमान में ऐसे कई स्मारक है जो सरंक्षित सूची में होने के बावजूद भी उपेक्षा का शिकार होने के कारण अपना पुरातन वैभव खो रही है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी की टेकरी जो सरंक्षित सूची में शामिल होने के बाद भी अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. स्थानीय निवासी कहते हैं कि करीब 20 वर्ष पहले थोड़ा बहुत रंग रोगन हुआ था, लेकिन उसके बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक इमारत एक खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है.

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52 साल बाद आज मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बीकाजी की टेकरी कहने को तो सरंक्षित सूची में है लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सूची में आने के 52 साल बाद आज तक ना तो यहां पानी की सुविधा है और ना ही बिजली की. यहीं नहीं चारों तरफ की दीवारें भी दरकने लगी है. हालत ये है कि ये दीवारें हवा का तेज झोंका भी बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी हमारे वैभवशाली इतिहास को कैसे जान पाएंगी.

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उदासीनता को दर्शाता अधिकारी का ऐसा बयान
वहीं बीकानेर में पुरातत्व विभाग के निरंजन पुरोहित से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बीकाजी की टेकरी हमारी सरंक्षित सूची में शामिल है इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हमने इसके जीर्णोद्धार को लेकर सरकार को बजट का प्रस्ताव भेजा है. वहीं लाइट पानी जैसी मूलभूत सुविधा पर कन्नी काटते हुए कहा की यह निगम के अधिकार क्षेत्र का विषय है. ऐसे में अधिकारी का इस तरह का बयान विभाग की उदासीनता को दर्शाता है.

Intro:जस्थान की पुराने किले व हवेलियां देश मे ही नही विदेशों में भी अपनी स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है। इन्हे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक यहां आते है लेकिन इस प्राचीन धरोहर के रख रखाव और संरक्षण के लिए न तो सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन गंभीर दिखाई देता है । Body:राजस्थान की पुराने किले व हवेलियां देश मे ही नही विदेशों में भी अपनी स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है। इन्हे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक यहां आते है लेकिन इस प्राचीन धरोहर के रख रखाव बदहाल व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण है बीकानेर के संस्थापक द्वारा बनाया गया बीकाजी की टेकरी। वर्ष उन्नीस सौ 68 में संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल ये 16 शताब्दी का स्मारक आज उपेक्षा व विभागीय उदासीनता के चलते खंडहर मे तब्दील होने लगा है । बीकानेर के संस्थापक राव बीका के इस ऐतिहासिक स्मारक की बदतर स्थिति पर एक खास रिपोर्ट.....

प्राचीन स्मारक व इमारते हमे उस समय की कला ओर हमारे वैभवशाली इतिहास के साक्ष्य के रूप मे देखने का मौका देते है। लेकिन वर्तमान में ऐसे कई स्मारक है जो सरंक्षित सूची में होने के बावजूद भी उपेक्षा का शिकार होने के कारण अपना पुरातन वैभव खो रही है। इसी का जीता जागता उदाहरण है बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी की टेकरी जो सरंक्षित सूची में शामिल होने के बाद भी अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। स्थानीय निवासी कहते है कि करीब 20 वर्ष पूर्व थोड़ा बहुत रंग रोगन हुआ था लेकिन उसके बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते यह एतिहासिक इमारत एक खंडहर मे तब्दील होने के कगार पर है।
बीकाजी की टेकरी कहने को तो सरंक्षित सूची में है लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सूची में आने के 52 साल बाद आज तक न तो यहा पानी की सुविधा है और ना ही बिजली की ओर चारो तरफ की दीवारे दरकने लगी है हालत ये है कि ये दीवारे हवा का तेज झोका भी बर्दाश्त करने की हालत मे नही है । ऐसे में आने वाली पीढ़ी कैसे हमारे वैभवशाली इतिहास को जान पाएंगी।

बाइट महेंद्र खडगावत निदेशक राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेरConclusion:पुरातत्व विभाग के निरंजन  पुरोहित ने कहा कि बीकाजी की टेकरी हमारी सरंक्षित सूची में शामिल है ।हमने इसके जीर्णोद्धार को लेकर सरकार को बजट का प्रस्ताव भेजा है । वही लाइट पानी जैसी मूलभूत सुविधा  पर कन्नी काटते हुए कहा की यह निगम के अधिकार क्षेत्र का विषय है। अधिकारी की इस तरह की बात विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।

बाइट:- निरंजन पुरोहित, उप अधीक्षक पुरातत्व विभाग,बीकानेर
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