बीकानेर. देवी की उपासना के शरादीय नवरात्रि के महापर्व (Shardiya Navratri 2022) में देवी के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा होती है और हर दिन की पूजा का एक खास महत्व है. अपने मनवांछित फल की प्राप्ति के साथ ही कष्टों को दूर करने के लिए नवरात्रि की पूजा में साधक तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की स्वरूप की पूजा करते हैं.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. माता चंद्रघंटा को कल्याणकारी और शांतिदायक का रूप मानते हैं. मा चंद्रंघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा का दृश्य है और इसी कारण मां के इस स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला. शारीरिक रूप से कष्ट पाने वाले लोगों अगर मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं तो उनकी जटिल रोगों की पीड़ा दूर हो सकती है. उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की पूजा में मालपुआ और खीर का भोग लगता है जो मां को अति प्रिय है. लेकिन इस बात करें मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की तो देशी गाय का दूध का अर्पण करने से भी मां अति प्रसन्न होती है. इसके अलावा माता को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं. लेकिन मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करते हुए मंदार के पुष्प अर्पण करने चाहिए.
इस तरह से जुड़ी है कथा: दरअसल जब भी देवताओं और असुरों के बीच युद्ध होता है और असुरों से युद्ध में देवता जीतने में असफल रहते हैं. तब अलग-अलग स्वरूप का अवतार हुआ. देवताओं की प्रार्थना के बाद माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार लिया था. नवरात्रि के समय महिषासुर का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था और उसी समय देवी के अलग-अलग अवतार हुए थे और मां चंद्रघंटा का अवतार भी इसी समय हुआ था. जब देवता ब्रह्मा, विष्णु, भगवान शिव से प्रार्थना करने पहुंचे और इस दौरान देवी चंद्रघंटा का अवतार हुआ. मां चंद्रघंटा को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने तेज और तलवार और सिंह प्रदान किए.